आईएमएफ़ ने पाक की ऋण प्रबंधन योजना को खारिज क्यों किया?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने पाकिस्तान की उस संशोधित ऋण प्रबंधन योजना के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जो उसने आईएमएफ़ से ऋण लेने के लिए पेश किया था। उसने कहा है कि पाकिस्तान अब फिर से संशोधित ऋण प्रबंधन योजना को पेश करे। आईएमएफ़ को मुख्य तौर पर आपत्ति बिजली पर दी जाने वाली भारी-भरकम सब्सिडी को लेकर है। इसने बिजली के टैरिफ़ को भी बढ़ाने को कहा है। आईएमएफ़ की ये शर्तें इसलिए आई हैं क्योंकि पाकिस्तान अपने नागरिकों को बिजली सब्सिडी देने के लिए 335 बिलियन पाकिस्तानी रुपए का घाटा झेलता है।
इसी वजह से आईएमएफ ने पाकिस्तान के संशोधित परिपत्र ऋण प्रबंधन योजना यानी सीडीएमपी को खारिज कर दिया है। इसने पाकिस्तान सरकार से चालू वित्त वर्ष के लिए 335 बिलियन पाकिस्तानी रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी को नियंत्रित करने के लिए 11-12.50 रुपये प्रति यूनिट की सीमा में बिजली शुल्क बढ़ाने का आह्वान किया है।
आईएमएफ़ और पाकिस्तान ने 7 बिलियन डॉलर की विस्तारित निधि सुविधा को पूरा करने के लिए बातचीत की है। बातचीत का यह दौर क़रीब हफ्ते भर और चलेगा। यदि इस बीच इस पर बात बनती है तो पाकिस्तान को आईएमएफ़ से मदद मिल सकती है। इसी को लेकर वैश्विक संस्था ने पाकिस्तान को संशोधित योजना पेश करने के लिए पहले ही कहा था। लेकिन पाकिस्तान ने जो योजना पेश की उसको आईएमएफ़ ने 'अवास्तविक' क़रार दे दिया।
पाकिस्तान सरकार को बिजली क्षेत्र के नुक़सान को सीमित करने के लिए अपने नीतिगत नुस्खे में बदलाव करना होगा।
पाकिस्तान सरकार ने संशोधित सीडीएमपी में दिखाया था कि 2023 की पहली दो तिमाहियों में त्रैमासिक टैरिफ समायोजन और जून से तीसरी तिमाही के लिए कुछ टैरिफ शुल्क बढ़ाने के बावजूद सरकार को 675 बिलियन रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी की आवश्यकता है।
लेकिन आईएमएफ ने सवाल उठाया है कि पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 675 बिलियन रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी आवश्यकता के आँकड़े की गणना कैसे की।
रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ़ ने संशोधित सीडीएमपी के एक निश्चित आधार का विरोध किया है और सरकार से 11 रुपये से 12.50 रुपये प्रति यूनिट की सीमा में टैरिफ बढ़ाने के लिए कहा है ताकि अतिरिक्त सब्सिडी की ज़रूरत को 675 बिलियन रुपये के मौजूदा स्तर से घटाकर आधा किया जा सके।
ऋण कार्यक्रम को लेकर आईएमएफ़ ने नवंबर 2022 में भी पाकिस्तान सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि सरकार पहले अपना ख़र्च कम करे, उसके बाद ही आईएमएफ़ ऋण देगा।
बता दें कि सऊदी अरब और यूएई से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का ख़तरा मंडरा रहा है। क्योंकि पाकिस्तान को जून 2023 तक 13 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी कर्ज चुकाना है। यूएई के लोन रोलओवर के बाद भी पाकिस्तान को लगभग 10 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। इसलिए पाकिस्तान के पास अब एक मात्र उपाय आईएमएफ से आर्थिक मदद ही है।