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कोरोना से ज़्यादा लोगों को अब चिंता आर्थिक संकट की: सर्वे

कोरोना से ज़्यादा लोगों को अब चिंता आर्थिक संकट की: सर्वे

कोरोना संक्रमण से ज़्यादा लोगों की चिंताएँ अब आर्थिक संकट को लेकर हो गई हैं। यह रिपोर्ट एक ताज़ा सर्वे में आई है। 

कोरोना संक्रमण से ज़्यादा लोगों की चिंताएँ अब आर्थिक संकट को लेकर हो गई हैं। यह रिपोर्ट एक ताज़ा सर्वे में आई है। 

जब कोरोना संक्रमण फैलना शुरू हुआ था तो लोग कोरोना के खौफ़ में थे। जब लॉकडाउन लागू हुआ तो आर्थिक हालात बिगड़ने लगे और करोड़ों लोगों की नौकरियाँ चली गईं। ऐसी ही स्थिति में यह ताज़ा सर्वे सामने आया है। यह सर्वे किया है आईआईएम लखनऊ में सेंटर फॉर मार्केटिंग इन इमर्जिंग इकोनॉमीज यानी सीएमईई ने। यह सर्वे 23 राज्यों के 104 शहरों में फ़ेसबुक, लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से अंग्रेज़ी में ऑनलाइन किया गया है। यानी इस सर्वे में भाग लेने वालों में शायद ही वे लोग शामिल हुए होंगे जो करोड़ों की संख्या में शहरों में मज़दूरी करते हैं और लंबे समय से पैदल चलकर ही अपने-अपने घरों को पहुँचने की जद्दोजहद में रहे। 

बहरहाल, ऑनलाइन सर्वे में पाया गया है कि कोरोना महामारी की वजह से पैदा होने वाले स्वास्थ्य मुद्दों की तुलना में लोग आर्थिक संकट से अधिक चिंतित हैं। अधिकतर लोग (79 प्रतिशत) लोग चिंतित हैं और (40 प्रतिशत) लोग भय की भावना से व (22 प्रतिशत) लोग दुख की भावना से घिरे हुए हैं। सर्वे में कहा गया है कि आर्थिक प्रभाव की चिंता लोगों (32 प्रतिशत) के मन में सबसे अधिक है, जबकि लॉकडाउन के दौरान दूसरे लोगों द्वारा ग़ैर जिम्मेदाराना व्यवहार किए जाने का डर (15 प्रतिशत) और इन सभी पर अनिश्चितता का डर (16 प्रतिशत) अन्य प्रमुख डर के कारणों में हैं।

चिंता का एकमात्र सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव से संबंधित था, जबकि इसके बाद दूसरा बड़ा कारण अनिश्चितता थी कि यह लॉकडाउन कितने समय तक चलेगा।

बता दें कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से 12 करोड़ से ज़्यादा लोगों की रोज़ी-रोटी छिन गई है। इनमें छोटे-मोटे काम धंधा करने वाले लोग और इस तरह के धंधों से जुड़ी दुकानों या कंपनियों में काम करने वाले लोग ज़्यादा हैं। सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईई ने इस महीने की शुरुआत में ही यह आँकड़ा दिया है। इसने अनुमान लगाया है कि इसमें से कम से कम 75 प्रतिशत तो दिहाड़ी मज़दूर ही हैं। 

एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ अप्रैल महीने में लगभग 1.80 करोड़ छोटे व्यवसायियों का धंधा बंद हो गया। आँकड़ों के अनुसार देश में इस तरह के लगभग 7.80 करोड़ धंधे थे, लेकिन अप्रैल में यह संख्या घट कर 6 करोड़ हो गई। मतलब साफ है, लगभग 1.80 करोड़ कारोबार बंद हो गए। 

कोरोना वायरस महामारी के पहले से ही लोगों की नौकरियाँ जा रही थीं अब लॉकडाउन के बाद ने तो स्थिति भयावह कर दी है। सीएमआईई ने मई की शुरुआत में जारी आँकड़े में कहा था कि लॉकडाउन से पहले 15 मार्च वाले सप्ताह में जहाँ बेरोज़गारी दर 6.74 फ़ीसदी थी वह तीन मई को ख़त्म हुए सप्ताह में बढ़कर 27.11 फ़ीसदी हो गई है। हालाँकि पूरे अप्रैल महीने में बेरोज़गारी दर 23.52 फ़ीसदी रही जो मार्च महीने में 8.74 फ़ीसदी रही थी। 

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