पहली खुराक में कोविशील्ड ज़्यादा कारगर: आईसीएमआर
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कहा है कि कोवैक्सीन की पहली खुराक से शरीर में उतनी एंटी-बॉडी नहीं बनती है जितनी कोविशील्ड की खुराक से। कोवैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटी-बॉडी बनती है जिससे कि शरीर कोरोना वायरस से लड़ सके। आईसीएमआर प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि कोविशील्ड की पहली खुराक लेने पर ही काफ़ी मात्रा में एंटी-बॉडी बन जाती है। डॉ. भार्गव का बयान तब आया है जब हाल ही में कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल को 12-16 हफ़्ते तक बढ़ा दिया गया है, जबकि कोवैक्सीन की खुराकों का अंतराल यह कहते हुए नहीं बढ़ाया गया है कि यह 4 हफ़्ते में ही प्रभावी है।
डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, 'नए अध्ययन में पता चला है कि कोवैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद ज़्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती, बल्कि दूसरी खुराक पर्याप्त एंटी-बॉडी बनाती है। कोविशील्ड की पहली खुराक के बाद ही इससे अच्छी संख्या में एंटी-बॉडी बन जाती है।'
बता दें कि हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन की जो खुराकें शुरुआत में 4 हफ़्ते के अंतराल में लगाई जा रही थीं उसको बढ़ाकर 12-16 हफ़्ते कर दिया गया है। क़रीब दो महीने में यह दूसरी बार है जब कोविशील्ड की खुराक के अंतराल को बढ़ाया गया है। शुरुआत में यह अंतराल 4 हफ़्ते यानी 28 दिन का था। मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 28 दिनों के अंतराल को बढ़ाकर छह-आठ सप्ताह किया गया था। और अब मई के मध्य में इस अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ़्ते किया गया।
जब कोविशील्ड की खुराकों के बीच का अंतराल बढ़ाया गया तो सवाल उठे कि ऐसा क्यों किया गया? कहीं इसलिए तो नहीं कि देश में टीके की भारी किल्लत है और इसको देखते हुए वह फ़ैसला लिया गया हो? भले ही टीके की कमी को देखते हुए यह फ़ैसला लिया गया हो, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि यह अच्छा फ़ैसला था।
कोविशील्ड की खुराक का अंतराल बढ़ा तो यह भी सवाल उठा कि कोवैक्सीन को लेकर ऐसा फ़ैसला क्यों नहीं लिया गया? हालाँकि इसका जवाब अब आईसीएमआर प्रमुख के बयान से मिलता लग रहा है।
उन्होंने कहा, 'कोवैक्सीन की पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी उस स्तर की नहीं थी और इसका मतलब था कि 4 हफ़्ते बाद दूसरी खुराक ली जाए ताकि पूरी इम्यूनिटी आ जाए।'
इस कारण कोवैक्सीन के निर्माताओं पर टीके की दूसरी खुराक उपलब्ध कराने का भी दबाव बढ़ा है। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक हैदराबाद के अलावा कोलार, कर्नाटक और पुणे के पास मंजरी में उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया में है।
डॉ. भार्गव ने इस पर भी सफ़ाई दी है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों को 3 महीने बाद टीके लगाने को क्यों कहा गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ों में तीन महीने तक एंटी-बॉडी पर्याप्त रूप में मौजूद होती है जिससे कि संक्रमण से शरीर की सुरक्षा होती है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर तीन लाख से नीचे रहे लेकिन मौतों का आंकड़ा बढ़ गया। बुधवार को संक्रमण का आंकड़ा 2,76,110 था और 3,874 लोगों की मौत हुई थी जबकि बीते 24 घंटों में संक्रमण के 2,59,551 नए मामले सामने आए और 4,209 लोगों की मौत हुई है। बीते 24 घंटों में 3,57,295 ठीक हुए हैं। भारत में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 30,27,925 है जबकि अब तक 2,91,331 लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो चुकी है।