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खरगोन हिंसा: इब्रिस खान की हत्या के आरोप में 5 गिरफ़्तार

खरगोन हिंसा: इब्रिस खान की हत्या के आरोप में 5 गिरफ़्तार

मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई हिंसा के दौरान इब्रिश ख़ान की हत्या के मामले में अब आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है। जानिए कौन हैं आरोपी और किसलिए हत्या की गई थी। 

मध्य प्रदेश में रामनवमी पर खरगोन में भड़की हिंसा के बीच इब्रिस ख़ान की हत्या के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मध्य प्रदेश के खरगोन में झड़पों में 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे। पुलिस ने कहा है कि हिंसा के सिलसिले में अब तक 44 मामले दर्ज किए गए हैं और 148 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

रिपोर्टों में स्थानीय पुलिस के हवाले से कहा गया है कि जिस रात हिंसा हुई थी उसी रात सात-आठ लोगों ने इब्रिस खान उर्फ सद्दाम की हत्या कर दी थी। पुलिस ने कहा कि अगले दिन मिला शव अज्ञात रह गया था और खरगोन में फ्रीजर की सुविधा नहीं होने के कारण इंदौर के मुर्दाघर भेज दिया गया था। रामनवमी पर 10 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद से इब्रिस ‘लापता’ था। उसका शव कई दिनों बाद इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में मिला था। पुलिस ने मौत को लेकर अज्ञात आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया।

शव की पहचान खरगोन के इस्लामपुरा के रहने वाले इब्रिस उर्फ सद्दाम पिता कल्लूखान (28 वर्ष) के रूप में हुई थी। 10 अप्रैल को हुए सांप्रदायिक उपद्रव के ठीक पहले इब्रिस अपने घर से शाम सात बजे के क़रीब आनंद नगर मसजिद में नमाज़ और रोजे़दारों को इफ्तार देने के लिये निकला था। इसके बाद वापस नहीं लौटा।

परिवार वाले चार दिनों तक उसकी तलाश करते रहे, लेकिन नहीं मिला। परिवार वालों ने 14 तारीख़ को खरगोन पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई की है। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान दिलीप, संदीप, अजय कर्मा, अजय सोलंकी और दीपक प्रधान के रूप में हुई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार खरगोन के कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी ने कहा कि आरोपियों ने इब्रिस खान की 'धार्मिक उन्माद' से हत्या कर दी। उन्होंने आगे कहा कि गिरफ्तार किए गए पांच लोगों ने अपराध करना कबूल कर लिया है। हालांकि कम से कम 3 और लोग फरार हैं।

रिपोर्ट के अनुसार चश्मदीदों ने भी पुष्टि की कि वे लोग 10 अप्रैल की रात आनंद नगर-कपास मंडी इलाक़े में इब्रिस खान पर हमला करने वालों में शामिल थे।

बता दें कि इस मामले में परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। उसके भाई इकलाक का आरोप था, ‘दंगे आरंभ होने के पहले इब्रिस आनंद नगर मसजिद में रोजेदारों को इफ्तार देने गया था। वहां पत्थरबाजी की वारदात हुई। बाद में हिन्दू समाज के लोगों ने घेरकर उसे बहुत मारा। पत्थरों, लठों, औजारों के साथ तलवारें मारी गईं।’

परिवार का आरोप लगाया था कि जब बुरी तरह घायल अवस्था में इब्रिस को पुलिस सबके सामने गिरफ्तार करके ले गई थी तो मौत कैसे हुई? इसके अलावा भी कई सवाल उठाए थे।

इकलाक के अनुसार, ‘रविवार को पुलिस का एक जवान पूछने आया तो हमने उसे पूरा वाकया बताया। जवान ने हमारी सूचना/बयान दर्ज करने से मना कर दिया। जवान ने कहा कि आप टीआई साहब से जाकर बात करना। मैं तो सिर्फ नाम-पता लिखने आया हूं।’ इकलाक ने बताया, ‘मैंने पुलिस जवान को चेताया कि आज इतवार है, लिहाजा मीडिया को नहीं बुला पाया। सोमवार को मीडिया को बुलाकर पूरा घटनाक्रम बताऊंगा!’

इकलाक के मुताबिक, ‘मीडिया की धमकी देते ही जवान ने बता दिया कि इब्रिस का शव एम.वाय. अस्पताल में है। हमें पहुंचकर बॉडी लेने को भी उसने कहा।’ इकलाक ने आरोप लगाया था कि, ‘आठ दिनों से हम पागलों के मॉफिक इब्रिस को खोज रहे थे। मगर पुलिस और प्रशासन ने कोई सुराग नहीं दिया।’

खरगोन के प्रभारी एसपी रोहित केशवानी ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘10 अप्रैल की रात को एक युवक के घायल पड़े होने की सूचना पुलिस को मिली थी। तत्काल उसे अस्पताल पहुंचाया गया था। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। शव की पहचान नहीं हो पायी थी। पीएम कराया गया था। कोई रिपोर्ट नहीं थी। चूंकि खरगोन में शव रखने की सुविधा नहीं थी, लिहाजा शव को इंदौर भिजवा दिया गया था।’

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