मंत्री ने कहा, जेएनयू की फ़ीस का मामला सुलझा, छात्र आन्दोलन ख़त्म करें
मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने दावा किया है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फ़ीस से जुड़े मामले का निपटारा कर लिया गया है। अब छात्रों को आन्दोलन ख़त्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत कर मामले को सलटा लिया गया है।
Union Minister Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’: The fee related matter of JNU has been sorted out following several rounds of discussions with representatives of JNU students and teachers; continuation of agitation by students is not justified (file pic) pic.twitter.com/D3vKPlp8uR
— ANI (@ANI) January 13, 2020
निशंक ने कहा कि सरकार ने जेएनयू में हॉस्टल और दूसरे मद में फ़ीस बढ़ाने के मुद्दे पर चल रहे आन्दोलन के मद्देनज़र सरकार ने एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। इसे सभी सम्बन्धित पक्षों से बात कर सरकार को सुझाव देने को कहा गया था।
मानव संसाधन मंत्री ने स्थिति साफ़ नहीं की कि छात्रों की किन माँगो को माना गया है और वे किन मुद्दों पर किस तरह राजी हुए हैं। इसलिए अभी भी इस मुद्दे पर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।
बता दें कि इसके पहले 10-12 दिसंबर को ही इस मुद्दे पर एक तरह से सहमति बन गई थी। यह फ़ॉर्मूला निकाला गया था कि हॉस्टल की फीस से गरीबी की रेखा से नीचे के छात्रों को छूट मिल जाएगी और दूसरी फ़ीस की भरपाई विश्वविद्यालय अनुदान आयोग करेगा। छात्रों से वह पैसा नहीं वसूला जाएगा।
विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर थोड़ी हिचक के बाद राजी हो गए थे, मानव संंसाधन मंत्रालय राजी हो चुका था, छात्र संगठन मान चुके थे। लेकिन फिर किसी का दवाब आया और सरकार पीछे हट गई। सरकार ने उस फ़ॉर्मूले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। बात ख़त्म हो गई।
सुब्रमणियन फ़ॉर्मूला!
मानव संसाधन मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमणियन ने एक फ़ॉर्मूला निकाला, जो मोटे तौर पर सबको मंजूर था। इसे प्रधानमंत्री के कार्यालय ने भी हरी झंडी दे दी थी। दिसंबर के पहले हफ़्ते में इस पर सभी पक्षों से राय मशविरा किया गया और सबको बातचीत की मेज पर लाया गया। इस पर बातचीत 10-12 दिसंबर को हुई।छात्रों से कहा गया कि वे इस पर राज़ी हो जाएं कि वे प्रशासनिक भवन के सामने धरना नहीं देंगे, बातचीत करेंगे। यह भी तय हुआ कि प्रदर्शनकारी छात्रों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह भी तय हुआ कि अकादमिक भरपाई के लिए छात्रों को दो हफ़्ते का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
वाइस चांसलर की भूमिका
इस फ़ॉर्मूले पर हुई बातचीत का रिकॉर्ड जेएनयू के वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार को 12 दिसंबर को सौंप दिया गया। वाइस चांसलर इससे सहमत नहीं थे, उन्होंने इसका विरोध किया। उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय की बैठकों का बॉयकॉट कर दिया। उन्हें मनाने की ज़िम्मेदारी मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को दी गई। पोखरियाल वाइस चांसलर से रात में टेलीफ़ोन पर दो घंटे की बातचीत के बाद उन्हें राजी करा पाए। लेकिन इसी मुद्दे पर मंत्रालय के मुख्य सचिव से जगदीश कुमार की ठन गई। उन्होंने अपने पैर एक बार फिर पीछे खींच लिए।बाद में गृह मंत्रालय ने कहा कि हालांकि यह मामला मानव संसाधन विभाग का था, लेकिन क़ानून व्यवस्था गृह मंत्रालय के तहत आता है, लिहाजा उसकी बात सुनी जानी चाहिए। गृह मंत्रालय ने कहा कि इस मुद्दे पर और अधिक बातचीत की जानी चाहिए, दूसरे लोगों से भी संपर्क किया जाना चाहिए।
इसलिए अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि आखिर किन माँगों को मान लिया गया है और छात्र इस पर राजी हैं या नहीं। छात्र संगठनों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं दी है।