हाऊडी मोडी ! दुनिया के सबसे बड़े नेता की छवि गढ़ने की कोशिश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और वहाँ के लगभग 60 सांसद 22 सितंबर को ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में मौजूद रहेंगे, जहाँ तक़रीबन 50,000 लोग एक समारोह में भाग लेंगे। लेकिन इस रंगारंग समारोह का मुख्य आकर्षण ट्रंप नहीं होंगे और न ही अमेरिकी संसद का कोई सदस्य राष्ट्रपति के बारे कोई बात करेगा। इस समारोह के मुख्य वक्ता होंगे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। समारोह की थीम भारतीय संस्कृति होगी और मौजूद लोगों में ज़्यादातर भारतीय मूल के अमेरिकी होंगे। यह पहली बार होगा कि अमेरिका में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति किसी भारतीय प्रधानमंत्री के साझा कार्यक्रम में शिरकत करेगा। इस कार्यक्रम का नाम है 'हाऊडी मोडी'।
'हाऊडी मोडी' का मतलब
ह्यूस्टन और उसके आसपास के इलाक़े में 'हाउ डू यू डू' को 'हाऊडी' कहते हैं। अमेरिका में पहली बार किसी से मिलने पर ऐसा कहते हैं। यानी इस पूरी बात का मतलब हुआ, 'मोदी! आप कैसे हैं'
क्या होगा
टेक्सस में बसे भारतीय मूल के लोगों का संगठन है 'द टेक्सस इंडिया फ़ोरम'। यह संगठन ही यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जिसके लिए इसने ख़ास तौर पर वेबसाइट बनाई है। इसने इसे 'हाउडी मोडी! शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर' का नाम दिया है। मोदी ख़ुद इससे काफ़ी प्रभावित हैं और उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है कि खुद राष्ट्रपति इसमें शिरकत करेंगे।
A special gesture by @POTUS, signifying the special friendship between India and USA!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 16, 2019
Delighted that President @realDonaldTrump will join the community programme in Houston on the 22nd.
Looking forward to joining the Indian origin community in welcoming him at the programme.
इस कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के जीवन और संस्कृति की विविधता दिखाई जाएगी। एक सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा, 'वुवन: द इंडियन अमेरिकन स्टोरी'। यह 90 मिनट का होगा और इसमें 400 कलाकार भाग लेंगे। मोदी अंत में भाषण देंगे। कार्यक्रम स्थानीय समय के अनुसार सुबह 10 बजे यानी भारतीय समय के अनुसार रात के लगभग 8 बजे शुरू होगा।
संगठन का कहना है कि इसके लोग अमेरिका के 48 राज्यों में हैं। संस्था अमेरिका-भारत सहयोग को बढ़ाने के लिए काम करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति, संपन्नता और विकास पर ध्यान दिया जा सके।
60 सांसद
इस कार्यक्र में 60 सांसद मौजूद रहेंगे, जिनमें डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही होंगे। इसके अलावा सैकड़ों व्यापारी और उद्योगपति भी शिरकत करेंगे।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय का यह तीसरा सार्वजनिक कार्यक्रम होगा, जिसमें मोदी शामिल होंगे। पहला कार्यक्रम 2014 में मैडिसन स्क्वैयर और दूसरा 2016 में सिलीकन वैली में किया गया था, जिनमें लगभग 20 हज़ार लोग मौजूद थे। लेकिन 'हाऊडी मोडी' कार्यक्रम में 50 हज़ार लोगों के शिरकत करने की संभावना है। यह अमेरिका में किसी विदेश नेता का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा।
ये कार्यक्रम अनायास नहीं होते हैं और न ही स्वत:स्फूर्त होते हैं। मोदी की लोकप्रियता इसका सबसे बड़ा कारण निश्चित तौर पर है, पर उससे भी बड़ी बात है कि तय नीति और योजना के तहत ये कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं, ताकि मोदी की विशाल छवि गढ़ी जा सके, यह साबित किया जा सके कि मोदी आज दुनिया के सबसे बड़े नेता है।
सोची समझी मुहिम
भारत के प्रधानमंत्री को विश्व स्तर पर सबसे बड़े, सफल और लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित करने की मुहिम का यह एक हिस्सा भर है। भारत के प्रधानमंत्री ने इसके पहले अमेरिका के मैडिसन स्क्वैयर में हज़ारों की भीड़ को संबोधित किया था। वह इसके अलावा लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में ऐसा ही कर चुके हैं। वह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में ऐसा कर चुके हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहाँ-जहाँ जाते हैं, भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हैं। इसके तहत वहाँ एक मेगा शो आयोजित किया जाता है, जिसमें भारतीय मूल के लोग एकत्रित होते हैं, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, मोदी भाषण देते हैं। उस पूरे कार्यक्रम का ज़बरदस्त मीडिया कवरेज होता है। मोदी इस पर कितना ध्यान देते हैं, इसे इससे समझा जा सकता है कि मैडिसन स्क्वैयर कार्यक्रम आयोजित किए जाते समय अमेरिका में भारतीय राजदूत रहे एस. जयशंकर इस समय विदेश मंत्री हैं।
पुतिन-जिनपिंग-मोदी
दुनिया में अब मोदी की तुलना रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन, चीन के शी जिनपिंग और तुर्की के रिचप तैयप अर्दोवान से की जाने लगी है। मोदी की तरह ही वे भी कट्टरपंथी हैं, उन पर भी उग्र राष्ट्रवादी होने और विरोधियों को दबाने के आरोप लगते रहे हैं। पर ऐसा सफल कार्यक्रम न तो पुतिन के लोग करा पाते है न ही चीनी लोग। तुर्कियों की तादाद वैसे भी कम है।
मोदी में क्या करामात है मोदी के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि वह उस भारत के प्रधानमंत्री हैं, जो सबसे बड़ा बाज़ार है, जिसके पास बहुत बड़ा मध्यवर्ग है, जो सामान खरीदता है।
इस भारत से ब्रिटेन, कनाडा या अमेरिका, सब दोस्ती करना चाहते हैं ताकि अपना उत्पाद वहाँ बेच सकें। 'हाऊडी मोडी' कार्यक्रम में बड़ी कंपनियों के चोटी के अफ़सरों के शामिल होने के पीछे यही वजह है कि वे अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं ताकि वे इसका फ़ायदा उठा सकें।
भारतीयों का राजनीतिक दबदबा
अमेरिका और ब्रिटेन की एक खूबी यह भी है कि वहाँ भारतीय मूल के लोग बहुत बड़ी तादाद में हैं। वे वहाँ की राजनीति को वोट से तो प्रभावित करते ही हैं, चंदा देने में भी आगे रहते हैं। अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियाँ शुरू हो जाएँगी, उसका पहला चरण प्राइमरी शुरू हो जाएगा। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय मूल के लोगों को रिझाने की कोशिश करेंगे। यही वजह है कि 60 सांसद भी इसमें भाग लेंगे।अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कोई स्थायी दोस्त नहीं होता है, निजी तौर पर तो कोई व्यक्ति कुछ नहीं होता है। यही नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें गुजरात का मुख्य मंत्री रहते हुए अमेरिका जाने का वीज़ा तक नहीं मिला था। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने गुजरात दगों में उनकी कथित भूमिका की वजह से अड़ंगा लगाया था और उन्हें वीज़ा नहीं दिया था।
लेकिन जैसा एक बार लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था, मोदी एक बहुत ही कुशल इवेंट मैनेजर हैं। वह किसी भी घटना को इवेंट में बदलना और उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाना जानते हैं। वह इसके लिए एक मजबूत टीम भी गढ़ लेते हैं। मोदी की टीम उनकी अमेरिका यात्रा को भी इवेंट बनाएगी और उनकी बहुत विशाल छवि गढ़ेगी।