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लॉकडाउन नहीं होता तो कितने लोग कोरोना से संक्रमित होते, एक लाख?

लॉकडाउन नहीं होता तो कितने लोग कोरोना से संक्रमित होते, एक लाख?

क्या लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण की रफ़्तार धीमी हो गई है? क्या लॉकडाउन से कोई फ़ायदा नहीं मिला है?

क्या लॉकडाउन की वजह से कोरोना रोकथाम में वाकई मदद मिली है क्या इससे संक्रमण की रफ़्तार धीमी हो गई है क्या लॉकडाउन से कोई फ़ायदा नहीं मिला है या लॉकडाउन नहीं होने पर स्थिति ज़्यादा भयावह हो सकती थी

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि लॉकडाउन में छूट देने के समय आज ऐसा लगता है मानो इससे कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ है। 

40 दिन में 42 हज़ार मामले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दिन पहली बार लॉकडाउन का एलान किया था, उस दिन यानी 24 मार्च को देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 525 थी।

लॉकडाउन लागू होने के 40 दिन बाद जब कई तरह की रियायतें दी गई हैं, कोरोना के 42,500 मामले हैं। यानी 40 दिनों में भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 42 हज़ार बढ़ी है।

लॉकडाउन नहीं होता तो

लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि यदि लॉकडाउन नहीं लगाया गया होता तो कोरोना संक्रमण बहुत तेज़ी से फैला होता है और इससे संक्रमित लोगों की संख्या आज की तुलना में बहुत अधिक हुई होती। 

इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। उस दक्षिण भारतीय राज्य में जनवरी के अंतिम हफ़्ते में पहला मामला सामने आया था, उसके बाद दो और मामले आए, यानी जनवरी के अंत में कुल तीन मामले थे। वहाँ पर 2 मार्च को चौथा मामला आया, उसे 100 तक पहुँचने में 14 दिन लगे।

अप्रैल में एक लाख संक्रमित होते

देश में कोरोना मामले को शून्य से 100 होने में 14 दिन लगे। लेकिन 100 से 1000 मामले होने में भी 14 दिन ही लगे। उसके बाद के 15 दिन में यह संख्या 10 हज़ार हो गई। यदि यह संक्रमण इसी रफ़्तार से बढ़ रहा होता तो अप्रैल के अंत में देश में एक लाख लोग संक्रमित हो चुके होते। 

लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो आज देश में एक लाख से ज़्यादा कोरोना मरीज होते। आज यह संख्या 42,500 है। यानी जो संख्या हो सकती थी, उसकी लगभग आधी है।

लॉकडाउन का असर

पर्यवेक्षकों का कहना है कि लॉकडाउन का असर अप्रैल के दूसरे हफ़्ते में दिखने लगा। अप्रैल के दूसरे हफ़्ते में कोरोना के 35 हज़ार मामले थे। इनमें से 10 हज़ार ठीक हो गए। यानी सक्रिय मामले 25 हज़ार ही हैं। 

रेड ज़ोन में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत अधिक बढने की आशंका नहीं है। कोरोना संक्रमण के इस चरण का क्या और कितना असर पड़ेगा, यह एक हफ़्ते बाद ही साफ़ हो पाएगा। 

रविवार को 2,693 नए मामले सामने आए। एक दिन की यह सबसे बड़ी तादाद है। बीते चार दिनों में रोज़ नए मामले के रिकॉर्ड बनते रहे, यानी रोज़ यह संख्या बढ़ती रही।

चार दिन में सबसे ज़्यादा मामले

सिर्फ़ दिल्ली में शनिवार को 384 तो रविवार को 427 नए मामले सामे आए। इसके पहले दिल्ली में रोज़ाना औसतन 100-150 नए मामले आ रहे थे। यह क्यों हुआ, इसे समझना अभी मुश्किल है। 

भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 2553 मामले सामने आए हैं। देश में संक्रमण के कुल मामले 42,533 हो चुके हैं। भारत में बीते 24 घंटों में 72 लोगों की मौत हुई है और मरने वालों का आंकड़ा अब तक 1373 हो गया है। 

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत में अब तक 11,07,233 लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में कोरोना का कहर चरम पर है। महाराष्ट्र में संक्रमण के 12 हज़ार से ज़्यादा मामले हैं जबकि गुजरात में 5400 और दिल्ली में यह आंकड़ा 4500 से ज़्यादा हो चुका है। 

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