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किसान कांड वाले लखीमपुर खीरी में भी बीजेपी ने पलट दी बाजी

किसान कांड वाले लखीमपुर खीरी में भी बीजेपी ने पलट दी बाजी

जहां किसानों को कुचलने की घटना हुई थी, उसी लखीमपुर जिले में जनता ने बीजेपी को सभी सीटों पर भरपूर वोट दिया है। जबकि इस जिले में विपक्ष का प्रदर्शन बहुत ही निचले स्तर का है। 

लखीमपुर खीरी जिले में बीजेपी के बढ़त के क्या मायने हैं? किसान आंदोलन के दौरान किसानों को कुचलने की घटना इसी जिले में हुई थी। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा उस मामले में आरोपी है। इतना सब कुछ होने के बावजूद लखीमपुर खीरी जिले में बीजेपी को निर्णायक बढ़त मिल चुकी है। ताजा संकेतों के मुताबिक निघासन सीट से बीजेपी के शशांक वर्मा सपा के आर.एस. कुशवाहा से लगभग 40 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं।लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान 4 किसानों को गाड़ी से कुचला गया था, जबकि 4 अन्य की मौत यहां हुई हिंसा में हुई थी। वहां के किसान तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, जिन्हें अंत में सरकार ने वापस ले लिया था। सभी विपक्षी दलों ने इस पूरे चुनाव में इस मुद्दे को उठाया था। उम्मीद थी कि सत्ताधारी दल को "किसान विरोधी" होने के लिए जनता दंडित करेगी।

इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक बीजेपी अपराह्न 4:40 बजे तक, लखीमपुर खीरी जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों पर आगे चल रही है, समाजवादी पार्टी सिर्फ एक सीट पर मात्र 2,000 वोटों से आगे है। बीजेपी उम्मीदवारों ने पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बीजेपी मंत्री के बेटे को लेकर हुए भारी हंगामे के बाद विपक्ष इस बार सेंध लगाने की उम्मीद कर रहा था। जिन सीटों के लिए इस बार चुनाव हुआ, उनमें निघासन, पलिया, गोला गोरखनाथ,धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता, श्रीनगर, लखीमपुर और मोहम्मदी शामिल हैं। इनमें से कास्त को छोड़कर सभी में बीजेपी प्रत्याशी आगे हैं।

चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक शशांक वर्मा को 1, 10, 820 वोट और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 71, 707 वोट मिले हैं।

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों की हत्या में मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की कथित भूमिका चुनावी मौसम में एक बड़े विवाद में बदल गई थी। उन पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध मार्च के दौरान लखीमपुर खीरी में चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने वाली महिंद्रा थार एसयूवी चलाने का आरोप है। उन्हें कुछ दिनों बाद गिरफ्तार किया गया था और पिछले महीने राज्य उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी।

अजय मिश्रा, हालांकि एक केंद्रीय मंत्री थे, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की स्टार प्रचारक सूची का हिस्सा नहीं थे और अपने पैतृक जिले लखीमपुर खीरी में पार्टी के सार्वजनिक पहुंच कार्यक्रमों में कम दिखाई देते थे। अक्टूबर में हुई हिंसा को लेकर बीजेपी पर लगातार हो रहे हमलों के बीच मिश्रा ने जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों में भी भाग नहीं लिया था।

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