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कोरोना के इतने केस कि व्यवस्थाएँ चरमराईं, हालात कैसे संभलेंगे?

कोरोना के इतने केस कि व्यवस्थाएँ चरमराईं, हालात कैसे संभलेंगे?

कोरोना संक्रमण इतना फैल गया है कि सुविधाएँ कम पड़ने लगी हैं। अस्पताल में बेड कम पड़ने लगे हैं। कई राज्यों के अस्पतालों में लोगों को फर्श पर लेटाकर ऑक्सीजन दिए जाने की तसवीरें आई हैं। गुजरात में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी दिखीं। 

कोरोना संक्रमण इतना फैल गया है कि सुविधाएँ कम पड़ने लगी हैं। पिछले साल की तरह। लेकिन एक बड़ा अंतर है। पिछले साल तैयारी नहीं थी तो संक्रमण के मामले अपेक्षाकृत कम आने पर भी सुविधाएँ चरमरा गई थीं, लेकिन इस बार क़रीब एक साल से तैयारी होने के बावजूद व्यवस्था चरमराती दीख रही है। अस्पताल में बेड कम पड़ने लगे हैं। कई राज्यों के अस्पतालों में लोगों को फर्श पर लेटाकर ऑक्सीजन दिए जाने की तसवीरें आई हैं। गुजरात में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी दिखीं। कई वीडियो और तसवीरों में श्मसान घाट में कोरोना से मरने वालों के शवों की कतारें दिखीं। हाल में कोरोना वैक्सीन की माँग इतनी बढ़ गई कि कई राज्यों में वैक्सीन का स्टॉक कम पड़ने की ख़बरें आने लगीं।

महाराष्ट्र, यूपी, गुजरात, छत्तीसगढ़, दिल्ली जैसे राज्यों में हालात ख़राब होने लगे हैं। देश में सबसे ज़्यादा ख़राब हालत महाराष्ट्र की है। पाँच दिन पहले ही राज्य के तीन बड़े शहरों-मुंबई, पुणे व नासिक में इतना बुरा हाल था कि अस्पतालों में बेड फुल हो गए थे। आईसीयू व वार्ड भरने के बाद गलियारों में बिस्तर लगाकर मरीजों की जान बचाने के उपाय किए जाने की तसवीरें आईं। ऑक्सीजन की भी कमी होने लगी है। 'अमर उजाला' की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि महाराष्ट्र के कई ज़िलों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई। ग्लोबल फ़ाउंडेशन के अनुसार औरंगाबाद के अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी हो गई। इसके बाद से भी लगातार रिकॉर्ड मामले आ रहे हैं और अब तो रविवार को एक दिन में 65 हज़ार केस आए हैं। नागपुर अस्पताल से तो एक-एक बेड पर दो-दो मरीज़ों की तसवीरें आई थीं।

हाल ही में उत्तर प्रदेश से ख़बर आई थी कि एक आईएएस अधिकारी को कोरोना बेड नहीं मिल पा रहा था और काफ़ी जद्दोजहद के बाद उनको बेड मिल पाया। 

गुजरात के गाँधीनगर में भी ऐसी ही एक रिपोर्ट आई है। 'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय विश्वविद्यालय गुजरात में स्कूल ऑफ़ नैनोसाइंसेज की डीन और प्रोफ़ेसर डॉ. इंद्राणी बनर्जी का निधन हो गया। पिछले दो दिनों से डॉ. बनर्जी को साँस लेने में दिक्कत हो रही थी और वह एक एम्बुलेंस के लिए संघर्ष कर रही थीं। हालाँकि, उनके छात्र उन्हें अपने निजी वाहन में शनिवार दोपहर को अहमदाबाद के एक नगर निगम चांदखेड़ा स्थित कोरोना अस्पताल में ले गए, लेकिन उन्हें भर्ती लेने से इसलिए इनकार कर दिया गया क्योंकि उन्हें 108 एम्बुलेंस में नहीं लाया गया था। बाद में उन्हें उसी निजी अस्पताल में ले जाया गया जहाँ पहले उनका इलाज किया जा रहा था। कई अस्पतालों में बेड फुल थे। निजी अस्पताल में भी ऑक्सीजन-वेंटिलेटर की व्यवस्था करने को कहा गया। बाद में स्थिति गंभीर हुई और उनका निधन हो गया। 

 - Satya Hindi

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में व्यवस्थाएँ कम पड़ने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि अस्पतालों की व्यवस्था हमारे काबू में रही तो हमें दिल्ली में लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन अगर अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी, तो कहीं ऐसा न हो कि लॉकडाउन लगाना पड़े। 

कुछ ऐसी ही बात महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार कहती रही है कि अस्पतालों में सुविधाएँ कम पड़ने पर लॉकडाउन लगाया जाएगा। राज्य सरकार जल्द ही लॉकडाउन की घोषणा कर सकती है।

रेमडेसिविर की कमी

देश के कई राज्यों में रेमडेसिविर की कमी हो रही है। कई जगहों पर मेडिकल स्टोर पर इस दवा के लिए लाइनें लगीं। यह दवा कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल होती है। गुजरात में भी रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है। लेकिन इस बीच बीजेपी दफ्तरों में इस दवा को बाँटे जाने से राजनीति भी शुरू हो गई है। गुजरात बीजेपी के प्रमुख सीआर पाटिल ने सूरत में इस दवा के 5000 इंजेक्शन बंटवाने की घोषणा की थी। सवाल पूछे जा रहे हैं कि इस दवा की कमी के बावजूद बीजेपी नेता के पास इतनी मात्रा में दवा कैसे आई।

श्मशान में कम पड़ने लगी लकड़ी!

लखनऊ में कोरोना से हो रही मौतें के बीच अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियाँ कम पड़ने की ख़बर आई थी। हालाँकि बाद में सीतापुर से आठ ट्रक लकड़ी मंगानी पड़ी। रविवार को बैकुंठ धाम व गुलाला घाट पर कुल 142 शव पहुँचे। इसमें 118 शवों का अंतिम संस्कार लकड़ी से किया गया। इसमें 38 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई थी। 

तेज़ संक्रमण, पाबंदियाँ और अब लॉकडाउन की आशंका के मद्देनज़र लोग शहरों से अपने गाँवों के लिए निकल पड़े हैं। सार्वजनिक वाहन उनको नहीं मिल पा रहे हैं।

वैक्सीन की कमी!

हाल के दिनों में कोरोना वैक्सीन पर बहस तेज़ हो गई। यह बहस यह है कि देश में कोरोना वैक्सीन की कमी है या नहीं? यह तब शुरू हुई जब महाराष्ट्र ने पिछले हफ़्ते सबसे पहले आगाह किया था कि उसके पास सिर्फ़ तीन दिनों के लिए ही वैक्सीन उपलब्ध है।

इसके बाद एक के बाद एक कई राज्यों से ख़बरें आईं कि वैक्सीन का स्टॉक कम पड़ गया है। कई राज्यों में तो टीकाकरण केंद्रों के बंद होने की ख़बर भी आई। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने पिछले हफ़्ते कहा था कि महाराष्ट्र के पास 14 लाख वैक्सीन के डोज बचे हैं जिसका मतलब है कि यह तीन दिन का स्टॉक है। इस बीच अब स्पूतनिक-V वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है। 

बता दें कि देश में कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया लगता है। देश में हर रोज़ संक्रमण के मामले अब डेढ़ लाख से ज़्यादा आने लगे हैं। रविवार को 1 लाख 68 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए। यह लगातार छठी बार है जब एक लाख से ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं। अब तक कुल सात बार 1 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए हैं।

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