+
पाकिस्तान: कोरोना के कारण आर्थिक मार झेल रहे हिंदू धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर

पाकिस्तान: कोरोना के कारण आर्थिक मार झेल रहे हिंदू धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर

धर्म परिवर्तन कराने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम मुल्क़ पाकिस्तान में एक बार फिर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने की ख़बरें सामने आई हैं। 

धर्म परिवर्तन कराने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम मुल्क़ पाकिस्तान में एक बार फिर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने की ख़बरें सामने आई हैं। न्यूयार्क टाइम्स में हाल में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, पाकिस्तान के सिंध राज्य के बदीन जिले में जून में कई दर्जन हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुसलमान बना दिया गया। 

पाकिस्तान में बुरी तरह उपेक्षित हिंदू आबादी कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से बंद हो चुके काम धंधों की मार झेल रही है। हिंदू समुदाय के नेता भी कहते हैं कि आर्थिक दबावों के चलते भी हाल में धर्मांतरण के मामलों में तेजी आई है। सीधी बात है कि ग़रीब हिंदुओं की मजबूरी का फायदा उठाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। 

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इस बात को कहा है कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर भयावह, धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हुए हैं और इस हिंसा, पूर्वाग्रह और असमानता को ख़त्म करने की दिशा में की गई कोई कोशिश दिखाई नहीं देती। 

अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे बड़े तबक़े हिंदुओं को पाकिस्तान में दो यम दर्जे का नागरिक समझा जाता है और घर मिलने से लेकर नौकरी तक में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। 

धर्म परिवर्तन कर सवान भील से मोहम्मद असलम शेख़ बन चुके एक शख़्स ने न्यूयार्क टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, ‘हम सामाजिक हैसियत चाहते हैं और कुछ नहीं।’ शेख़ अपने परिवार के साथ बदीन में हुए कार्यक्रम में मुसलमान बने थे। इस कार्यक्रम में 100 से ज़्यादा लोगों ने धर्म परिवर्तन कराया था। 

शेख़ ने कहा कि ग़रीब हिंदुओं में इस तरह के धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम बात हैं। इसके बदले में उन्हें धर्म परिवर्तन कराने वाले मुसलिम उलेमाओं और दानदाता समूहों की ओर से नौकरी और ज़मीन का लालच दिया जाता है। 

आर्थिक बर्बादी के ढेर पर बैठे पाकिस्तान के बारे में विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि कोरोना की मार के कारण इसकी अर्थव्यवस्था 1.3 फ़ीसदी तक सिकुड़ जाएगी और पाकिस्तान में 1.80 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं।

शेख़ और उनके परिवार को उम्मीद है कि उन्हें अमीर मुसलिम परिवारों या इसलामिक संस्थाओं से मदद मिलेगी। शेख़ कहते हैं कि इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है और हर कोई अपने धर्म के लोगों की मदद करता है। 

आज़ादी के वक्त पाकिस्तान में 20.5 फ़ीसदी हिंदू थे जो 1998 में घटकर 1.6 फ़ीसदी रह गए थे। 

जबरन धर्मांतरण 

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कुछ समय पहले कहा था कि पंजाब और सिंध में 14 साल की बच्चियों का अपहरण किया गया, उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया और शादी के लिए मजबूर किया गया। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत से हिंदुओं और ईसाइयों के जबरन धर्मांतरण की ख़बरें आना आम बात है। 

आयोग ने कहा है कि बीते कुछ सालों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है और ईश निंदा के आरोपों में भीड़ ने उन पर हमले किए हैं। 

आयोग के मुताबिक़, पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ख़ुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। आयोग ने कहा है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का एक लंबा इतिहास रहा है। 

आयोग अपनी हालिया रिपोर्ट में कहता है कि लोगों को स्कूलों में इसलामिक शिक्षा पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अलावा ईसाइयों के कब्रिस्तान और हिंदुओं के श्मशान के लिए भी देश में पर्याप्त जगह नहीं है।

‘हज़ारों हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराया’ 

पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार ‘डॉन’ ने इन घटनाओं पर कई ख़बरें की हैं। 'डॉन' ने उमरकोट ज़िले के सरहंदी श्राइन के गद्दी नशीं पीर मुहम्मद अयूब जन सरहंदी से बातचीत के आधार पर 17 अगस्त, 2017 को एक रिपोर्ट छापी थी। बातचीत के दौरान सरहंदी दावा करते हैं कि उन्होंने हज़ारों हिंदू लड़कियों का इसलाम में धर्मांतरण कराया है। वह कहते हैं, ‘इसमें से अधिकतर लड़कियाँ अनुसूचित जाति से संबंधित भील, मेघवार और कोहली समुदाय की थीं।’ 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें