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अडानी की ऑफशोर कंपनियों में हिस्सा इसलिए सेबी प्रमुख की कार्रवाई नहीं: हिंडनबर्ग

अडानी की ऑफशोर कंपनियों में हिस्सा इसलिए सेबी प्रमुख की कार्रवाई नहीं: हिंडनबर्ग

हिंडनबर्ग रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट जनवरी 2023 में पहली बार राजनीतिक तूफ़ान खड़ा करने के क़रीब 18 महीने बाद आई है। जानिए, ताज़ा रिपोर्ट में सेबी प्रमुख पर क्या आरोप लगाया गया है। 

अमेरिकी सॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने फिर से अपनी एक रिपोर्ट से भारत के शेयर बाज़ार को लेकर तूफ़ान खड़ा कर दिया है। इसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेबी प्रमुख माधबी बुच की अडानी की ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी थी इसलिए उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की। हालाँकि, माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक बयान में कहा है कि वे रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों का खंडन करते हैं। उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, 'ये सभी आरोप झूठ हैं। हमारा जीवन और वित्त एक खुली किताब है।'

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव के सवाल उठाया है। अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को आरोप लगाया कि 'उसे संदेह है कि अडानी समूह में संदिग्ध ऑफशोर शेयरधारकों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा की एक खास वजह हो सकती है। सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच की गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किए गए ठीक उसी फंड का इस्तेमाल करने में मिलीभगत हो सकती है।' 

हिंडनबर्ग रिसर्च की यह रिपोर्ट जनवरी 2023 में पहली बार राजनीतिक तूफ़ान खड़ा करने के क़रीब 18 महीने बाद आई है। पिछले साल 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। 

हिंडनबर्ग अमेरिका आधारित निवेश रिसर्च फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एकस्पर्ट है। रिसर्च फर्म ने तब कहा था कि उसकी दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से 17.8 ट्रिलियन (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के स्टॉक के हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी में शामिल था। फर्म की पिछले साल की रिपोर्ट के मुताबिक़ अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने तीन सालों के दौरान लगभग 120 अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ अर्जित किया था जिसमें से अडानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक मूल्य की बढ़ोतरी से 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कमाये। इसमें पिछले तीन साल की अवधि में 819 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कैरेबियाई देशों, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स हैवन देशों में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियों का कथित नेक्सस बताया गया था। तब से अडानी समूह ने लगातार इन आरोपों का खंडन किया है। 

पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च के उस आरोप पर अडानी समूह ने कहा था कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे ऐसा आरोप लगाया गया।

इसने कहा था कि अडानी समूह आईपीओ की तरह ही फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र यानी एफ़पीओ ला रहा था और इस वजह से एक साज़िश के तहत कंपनी को बदनाम किया गया। वह रिपोर्ट अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई थी। समूह ने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ को बाद में वापस ले लिया था।

बहरहाल, अब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सेबी प्रमुख को लेकर आई है। माधबी पुरी बुच 2017 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी में पूर्णकालिक सदस्य बनीं और मार्च 2022 में इसकी अध्यक्ष बनीं।

अडानी मामले में खुलासे के क्रम में ही व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब दावा किया है कि सेबी के अध्यक्ष की अडानी फंड साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई गुप्त ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि आज तक सेबी ने इंडिया इंफोलाइन द्वारा संचालित अन्य संदिग्ध अडानी शेयरधारकों: ईएम रिसर्जेंट फंड और इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इन आरोपों पर माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने कहा, 'ज़रूरी सभी खुलासे पिछले कुछ वर्षों में सेबी को पहले ही दिए जा चुके हैं। हमें किसी भी और सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इसमें वो जानकारियाँ भी शामिल हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे। कोई भी और हर अधिकारी ये जानकारियाँ मांग सकता है। इसके अलावा, पूरी पारदर्शिता के हित में हम तय समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।'

दोनों ने अपने बयान में कहा,

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ सेबी ने कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का रास्ता अपनाया है।


माधबी पुरी बुच और धवल बुच का बयान

जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2024 के अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अडानी-हिंडनबर्ग मामले में बाजार नियामक सेबी द्वारा जांच की मांग की गई थी। अदालत की निगरानी में या सीबीआई द्वारा जांच की मांग को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाजार नियामक आरोपों की व्यापक जांच कर रहा है और मामले में सेबी की जांच विश्वास जगाती है। 

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए गौतम अडानी ने कहा था, 'सत्य की जीत हुई है... भारत की विकास की कहानी में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा।' जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उसे भारतीय कंपनियों के ऑफशोर निवेशकों को नियंत्रित करने वाले मौजूदा नियमों में हस्तक्षेप करने की ज़रूरत नहीं है।

हिंडनबर्ग की ताज़ा रिपोर्ट पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा है कि हिंडनबर्ग के खुलासे ने अडानी महाघोटाले की पूरी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की उसकी मांग को और मजबूत किया है। तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, 'इससे गौतम अडानी की बुच के सेबी अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद 2022 में उनके साथ लगातार दो बैठकों के बारे में नए सवाल उठते हैं। याद करें कि उस समय सेबी कथित तौर पर अडानी के लेन-देन की जांच कर रही थी।'

टीएमसी प्रवक्ता ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होने तक सेबी अध्यक्ष को तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए और सभी हवाई अड्डों और इंटरपोल को उनके और उनके पति को देश छोड़ने से रोकने के लिए लुकआउट नोटिस जारी किए जाने चाहिए।'

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