हिंडनबर्ग रिपोर्टः सेबी प्रमुख माधबी के पति धवल बुच कौन हैं, क्या धंधा है
हिंडनबर्ग का भूत फिर सामने आ गया है। अब हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख और उनके पति पर निशाना साधा है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी प्रमुख और उनके पति कथित अडानी घोटाले में शामिल हैं। हिंडनबर्ग ने कहा कि अगर सेबी ने अडानी की ऑफशोर कंपनियों की जांच की होती, तो बुच के शामिल होने की कहानी सामने आ सकती थी। खास बात यह है कि इस बार सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के साथ उनके पति धवल का नाम भी सामने आया है। माधबी पुरी बुच को हर कोई जानता है। लेकिन सबसे पहले मशहूर हुए सेबी प्रमुख के पति धवल बुच के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है।
धवल बुच वर्तमान में ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्सल में एक वरिष्ठ सलाहकार हैं, और गिल्डन के बोर्ड में एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में भी कार्य करते हैं। वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आईआईटी-दिल्ली) के पूर्व छात्र हैं, जहां उन्होंने 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएट की डिग्री हासिल की। इससे पहले, उन्होंने यूनिलीवर के सीईओ के रूप में कार्य किया और इसके मुख्य परचेज अधिकारी बने। उनकी लिंक्डइन प्रोफ़ाइल उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में वर्णित करती है जिसके पास "परचेज और सप्लाई चेन के सभी पहलुओं में गहरा अनुभव है।"
हिंडनबर्ग द्वारा कोट किए गए दस्तावेजों के अनुसार, धवल बुच की कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर है। दस्तावेज़ों से पता चलता है कि विनोद अडानी उस समय यूनिलीवर में थे जब उनकी कंपनियों में कथित निवेश किया गया था। इसके अलावा, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में धवल बुच के कार्यकाल के दौरान, कंपनी ने माइंडस्पेस और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को शुरू किया था, जो प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए सेबी की मंजूरी प्राप्त करने वाला भारत का दूसरा और आखिरी रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट था, जो आईपीओ लाया था।
सेबी प्रमुख और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें पूरी तरह से निराधार बताया। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि सेबी में आने से पहले उनकी कंपनियों ने कुछ निवेश किया था। हिंडनबर्ग ने रविवार 11 अगस्त को इसका विस्तृत जवाब दिया और बुच दंपति के खंडन की धज्जियां उड़ा दीं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने कहा कि बुच दंपती खुद ही निवेश किया जाना स्वीकार कर रहे हैं। उनके पति धवल बुच के निवेश और आर्थिक हित सामने हैं।
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल अडानी समूह में कथित गबन के लिए किया गया था।
हिंडनबर्ग के अनुसार, बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में संदिग्ध ऑफशोर फंड में अघोषित निवेश किया था। उन्होंने कहा कि ये वही फंड थे जिनका इस्तेमाल विनोद अडानी ने कथित तौर पर फंड का गबन करने और समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए किया था। विनोद अडानी, अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई हैं। हिंडनबर्ग के अनुसार, ये संस्थाएं कथित तौर पर विनोद अडानी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किए गए नेटवर्क में शामिल थीं, जिससे हितों के संभावित टकराव के कारण सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
हिंडनबर्ग के अनुसार, ये निवेश 2015 में किए गए थे। ये निवेश 2017 में सेबी के स्थायी सदस्य और मार्च 2022 में इसके अध्यक्ष के रूप में माधवी पुरी बुच की नियुक्ति से काफी पहले किए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस फंड में निवेश करने वालों में बरमूडा स्थित ग्लोबल अपॉर्चुनिटीज फंड भी शामिल था। ग्लोबल अपॉर्चुनिटीज फंड का इस्तेमाल कथित तौर पर अडानी समूह से जुड़ी इकाइयों द्वारा समूह की कंपनियों के शेयरों का व्यापार करने के लिए किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेजों से पता चलता है कि धवल बुच ने 22 मार्च, 2017 को मॉरीशस स्थित फंड मैनेजर ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक ईमेल लिखा था, जो कि बुच को सेबी चेयरमैन नियुक्त किए जाने से कुछ हफ्ते पहले था। यह ईमेल उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड (जीडीओएफ) में निवेश के बारे में था। इसी आधार हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने कहा कि माधबी बुच ने सेबी के ईमेल का इस्तेमाल इस काम के लिए किया था।