अडानी के बाद हिंडनबर्ग के निशाने पर अब कौन?
अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च एक और भारतीय कंपनी के बारे में सनसनीखेज खुलासा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अदानी समूह की कथित धोखाधड़ी पर रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद शॉर्ट-सेलर ने भारत में एक और 'बड़े' खुलासे का संकेत दिया है। एक्स पर एक पोस्ट में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा, "भारत के बारे में जल्द ही कुछ बड़ा होगा।" हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी समूह और भारतीय बाजार के शेयरों को काफी लंबे समय तक प्रभावित किया था। अडानी समूह के शेयरों में $150 बिलियन का नुकसान हुआ था।
हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह पर कथित वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने की रिपोर्ट के एक साल बाद भारत पर नई रिपोर्ट लाने की घोषणा की गई है। हालांकि अडानी समूह ने लगातार हिंडनबर्ग के सभी आरोपों से इनकार किया है। हिंडनबर्ग ने सेबी-अडानी संबंध, टैक्स हेवन के गैरकानूनी इस्तेमाल और स्टॉक हेरफेर के संबंध में अडानी समूह की जांच की ती। हालांकि, इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अडानी ग्रुप को बाजार नियामक सेबी की मौजूदा जांच से परे और अधिक जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है। यानी सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच से मना कर दिया।
अडानी समूह की ओर से बचाव में इस मामले को सनसनीखेज बनाने की कोशिशें कुछ कम नहीं हुईं। इसमें सबसे ताज़ा मामला जुलाई में वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता महेश जेठमलानी के हालिया आरोपों से सामने आया। उन्होंने दावा किया कि अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट चीनी कनेक्शन वाले एक अमेरिकी व्यवसायी द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने विशेष रूप से रिपोर्ट के पीछे कथित पक्ष के रूप में किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी के मार्क किंगडन का नाम लिया।
हाल ही में अडानी एंटरप्राइजेज की एजीएम को संबोधित करते हुए,कारोबारी गौतम अडानी ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट अधिकतम नुकसान पहुंचाने के इरादे से अडानी समूह को बदनाम करने के लिए बनाई गई एक सोची-समझी साजिश थी। गौतम ने कहा- “सामान्य शॉर्ट सेलर वित्तीय बाजारों से लाभ का लक्ष्य रखते हैं। लेकिन ये अलग तरह का दोतरफा हमला था। हमारी वित्तीय स्थिति की एक अस्पष्ट आलोचना और साथ ही राजनीतिक युद्ध के मैदान में खींचा जाना।''
गौतम अडानी ने कहा- “हमला हमारी सार्वजनिक बाजार पेशकश के समापन से दो दिन पहले एक सोचीसमझी साजिश थी। मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रचारित कर हमें बदनाम करने, अधिकतम नुकसान पहुंचाने और हमारी मेहनत से अर्जित बाजार मूल्य को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।”
अब जबकि शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक नए रहस्योद्घाटन के साथ पूरी तरह तैयार है, अडानी प्रकरण अभी खत्म नहीं हुआ है। जुलाई में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि उसे 27 जून को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से कारण बताओ नोटिस मिला है, जिसमें भारतीय नियमों के संदिग्ध उल्लंघनों को रेखांकित किया गया है। शॉर्ट सेलर ने कारण बताओ नोटिस को 'बकवास' कहकर खारिज कर दिया। इसके तुरंत बाद जारी एक ब्लॉग पोस्ट में कहा गया, "आज हम इस नोटिस की संपूर्णता को साझा कर रहे हैं, स्पष्ट रूप से क्योंकि हमें लगता है कि यह बकवास है, एक पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति के लिए मनगढ़ंत है: भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है। इससे भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा की गई धोखाधड़ी की बात छिपाई नहीं जा सकती।”
उसने भारत सरकार पर भी हमला किया। उसने कहा कि भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन एक 'मिथक' है। यानी कॉरपोरेट की आड़ में उद्योग समूहों को धोखाधड़ी की पूरी छूट है। हिंडनबर्ग ने भारतीय निवेशकों से भी कहा- “आपके पास धोखाधड़ी से कोई वास्तविक सुरक्षा नहीं है। भारत में कॉरपोरेट प्रशासन उन व्यवसायियों के लिए एक मिथक है जो रसूख को खरीद सकते हैं।''