हिंडनबर्ग-अडानी-सेबीः जांच में देरी पर याचिका को कोर्ट रजिस्ट्रार लिस्ट क्यों नहीं कर रहे
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 13 अगस्त को एक अपील दायर की गई है, जिसमें कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा उस याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार करने को चुनौती दी गई है, जो अडानी समूह की कंपनियों और सेबी से जुड़ी हुई है। याचिका में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा धोखाधड़ी के आरोपों पर सेबी की कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट की मांग की गई है।
लाइव लॉ के मुताबिक वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर अपील में कहा गया है कि 3 जनवरी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को अपनी जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। उस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों में हस्तक्षेप करने या आगे की कार्रवाई का आदेश नहीं दिया था लेकिन सेबी को निर्देश जरूर जारी किया था। अदालत ने तब कहा था कि इस मामले में किसी और कार्रवाई की आवश्यकता है या नहीं, यह निर्णय लेने का अधिकार सेबी पर छोड़ दिया गया है। लेकिन सेबी का हाल सामने है। अब सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर ही अडानी समूह की कंपनियों में निवेश का आरोप हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में लगाया है। बुच दंपति ने नई रिपोर्ट का खंडन करते हुए स्वीकार किया कि सेबी में आने से पहले धवल बुच ने अपने बचपन के दोस्त के जरिए अडानी की कंपनियों में निवेश किया था।
लाइव लॉ के मुताबिक वकील विशाल तिवारी की वर्तमान याचिका में कहा गया है कि अदालत का यह कहना कि जांच समयसीमा के भीतर पूरी होनी चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि शीर्ष अदालत ने कोई समय सीमा तय नहीं की है। चूंकि यह "समय सीमा" (तीन महीने) समाप्त हो चुकी है, तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर करने की मांग की है। विशाल तिवारी ने मुद्दा उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी की जांच रिपोर्ट 3 जून को सौंपी जानी थी। केंद्र सरकार के साथ-साथ सेबी द्वारा एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी कि क्या उसने बाजार में सुधार के लिए कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर विचार किया। केंद्र सरकार और सेबी को लोकसभा 2024 के नतीजों के बाद शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों के नुकसान पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए।
कोर्ट रजिस्ट्रार ने 5 अगस्त को यह कहते हुए याचिका अर्जी को रजिस्टर करने से इनकार कर दिया कि यह "पूरी तरह से गलत धारणा" पर आधारित है और किसी भी उचित कारण का खुलासा नहीं किया गया है। रजिस्ट्रार ने तर्क दिया कि कोर्ट ने तिवारी के रुख के विपरीत सेबी की जांच के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार ने अपने लिखित आदेश में कहा-
“
माननीय न्यायालय ने इस माननीय न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट या निर्णायक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्र सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया। ऐसे किसी भी स्पष्ट निर्देश के अभाव में केंद्र सरकार और सेबी को प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट, अनुपालन के लिए निर्देश के लिए यह आवेदन... पूरी तरह से गलत है।''
-सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार 5 अगस्त 2024 सोर्सः वकील विशाल तिवारी/लाइव लॉ
विशाल तिवारी ने मंगलवार को अपनी अपील में कोर्ट रजिस्ट्रार के इस कदम को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है, "पंजीकरण के लिए कोई उचित कारण नहीं होने के आधार पर, जिसने याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार को सस्पेंड कर दिया है और याचिकाकर्ता के लिए माननीय न्यायालय का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया है।" तिवारी ने कहा है कि जनता और निवेशकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि अडानी समूह के खिलाफ 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद जो नुकसान हुआ है, उस पर सेबी जांच के निष्कर्ष क्या हैं।
हिंडनबर्ग और अडानी विवाद फिर से शुरू हुआ है। अमेरिका स्थित शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर के अपने पहले के आरोपों को दोहराते हुए नए खुलासे किए हैं। 10 अगस्त को जारी एक नई रिपोर्ट में, हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि सेबी अध्यक्ष माधाबी पुरी बुच की वजह से हितों के टकराव का मामला बन रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों की जांच में सेबी द्वारा दिखाई गई दिलचस्पी की स्पष्ट कमी का एक संभावित कारण यह हो सकता है कि बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी कंपनियों से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी थी। यानी सेबी इसी वजह से अडानी समूह को समर्थन कर रही है और जांच में रोड़े अटका रही है या देरी कर रही है।
वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है। तिवारी ने याचिका में कहा है कि "(10 अगस्त की) रिपोर्ट अडानी समूह पर पिछली रिपोर्ट के डेढ़ साल बाद आई है। जिसके दूरगामी परिणाम हुए थे। जिसके बाद कंपनी ने 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन सार्वजनिक प्रस्ताव को रद्द कर दिया था। इससे जनता और निवेशकों के मन में संदेह बना है और ऐसी परिस्थितियों में, सेबी के लिए लंबित जांच को पूरा करना और जांच के निष्कर्ष की घोषणा करना अनिवार्य हो जाता है।''
इसके बाद सेबी प्रमुख और धवल बुच ने आरोपों से इनकार किया। सेबी ने अपने आधिकारिक बयान में अलग से निवेशकों से ऐसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले शांत रहने का अनुरोध किया। सेबी ने आश्वासन दिया कि अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की विधिवत जांच की गई है। सेबी भारतीय पूंजी बाजार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने पूरा सीबीआई को सौंपने या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौंपने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा कि अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप बार-बार सामने आ रहे हैं। ऐसे में गहन जांच जरूरी है। नेता विपक्ष ने सवाल उठाया है कि अगर निवेशकों के पैसे डूबे तो उसका जिम्मेदार कौन होगा- क्या मोदी-अडानी जिम्मेदार होंगे। भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर जवाबी हमला किया। भाजपा नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करना चाहते हैं। राहुल गांधी अराजकता फैलाना चाहते हैं। यानी भाजपा यह कहना चाहती है कि अडानी के खिलाफ आरोप लगाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। भाजपा ने सेबी प्रमुख बुच से यह नहीं पूछा कि अगर सेबी में आने से पहले उन्होंने और उनके पति ने अडानी समूह में निवेश किया था तो क्या सेबी को इसकी जानकारी उन्होंने दी थी।