हिमाचल प्रदेश में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। दो भाजपा विधायकों के साथ कांग्रेस के 6 बागी और तीन निर्दलीय विधायक शनिवार को भाजपा शासित उत्तराखंड पहुंचे। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह हरियाणा की नंबर प्लेट वाली एक बस ऋषिकेश के ताज होटल में पहुंची। 11 विधायक भारी सुरक्षा वाली बस से उतरे। हालांकि इस घटनाक्रम से राज्य की सरकार को कोई खतरा फिलहाल नहीं है।
सीएम सुक्खू ने मीडियाकर्मियों को बताया कि तीन निर्दलीय विधायकों सहित सभी छह बागी विधायकों को चंडीगढ़ के एक होटल से एक अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया है। बैजनाथ में शिवरात्रि उत्सव में भाग लेने के दौरान, सुक्खू ने कहा, “हमें पता चला कि तीन निर्दलीय विधायकों के साथ छह बागी विधायकों को चंडीगढ़ हवाई अड्डे से एक चार्टर्ड विमान द्वारा ले जाया गया। वे ललित होटल में नहीं हैं। इन अयोग्य विधायकों के परिवार के सदस्य उनसे वापस लौटने का आग्रह कर रहे थे और किसी भी दबाव से बचने के लिए, कुछ राजनीतिक ताकतों ने उन्हें चंडीगढ़ से हटा दिया। सूत्रों ने दावा किया कि विधायकों को पहले देहरादून और फिर ऋषिकेश ले जाया गया।
उधर, कांग्रेस में भी राजनतीतिक गतिविधियां जारी हैं। अभी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिल्ली बुलाया था। सुक्खू ने दो दिन दिल्ली में बिताए। इसके बाद जैसे वो शिमला पहुंचा, उधर विधायक उत्तराखंड पहुंच गए।
सूत्रों ने बताया कि सुक्खू राजनीतिक हालात पर रिपोर्ट पेश करने और लोकसभा चुनाव पर चर्चा करने के लिए दिल्ली गए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह छह विद्रोहियों को वापस लेंगे, सुक्खू ने गुरुवार को कहा था- "अगर किसी को अपनी गलती का एहसास होता है तो वह व्यक्ति एक और मौके का हकदार है।" लेकिन असंतुष्ट पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
इससे पहले, हिमाचल के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और विद्रोहियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई है और अब फैसला कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लेना है।
बता दें कि पिछले महीने, छह बागियों और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया, जिस वजह से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस के छह विधायकों सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो को बगावत के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया। स्पीकर के इस कदम के खिलाफ बागी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।