हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किलें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं। राज्यसभा चुनाव में अपने छह विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग के बाद कांग्रेस पर पैदा हुए संकट को टालने के एक दिन बाद भी कई घटनाक्रम ऐसे घटे हैं जो कांग्रेस के लिए ख़तरे के संकेत हैं। पार्टी सांसद और राज्य प्रमुख प्रतिभा सिंह बीजेपी की तारीफ़ कर रही हैं और उधर बागी छह विधायकों ने बैठक की है। तो क्या सच में कांग्रेस का संकट ख़त्म हो गया है?
प्रतिभा सिंह ने कहा है कि कांग्रेस की तुलना में भाजपा का सभी निर्वाचन क्षेत्रों में काम बेहतर रहा है। उन्होंने एएनआई से कहा, 'कांग्रेस में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। एक सांसद के रूप में मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करती रहती हूं और स्थानीय लोगों से बातचीत करने और उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करती हूं। उनकी प्रतिक्रिया से मुझे यह समझ में आया है कि भाजपा का कामकाज हमसे बेहतर रहा है।'
प्रतिभा सिंह ने कहा कि उन्होंने यह संदेश हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिया है और उनसे संगठन को मजबूत करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा, 'पहले दिन से मैं सीएम से कह रही थी कि हम आगामी चुनावों का सामना तभी कर पाएंगे जब वह संगठन को मजबूत करेंगे। यह हमारे लिए बहुत कठिन स्थिति है। हम ज़मीन पर बहुत सारी कठिनाइयाँ देख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी पीएम मोदी के निर्देशानुसार काम कर कई काम कर रही है।'
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने आगे कहा, 'हम कमजोर स्थिति में हैं। मैं कह सकती हूं कि यह कठिन समय है।' फिर भी हमें चुनाव लड़ना है और जीतना है।'
प्रतिभा सिंह का यह बयान उनके बेटे राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा अपने पिता को अपमानित किए जाने का आरोप लगाते हुए सुक्खू कैबिनेट से इस्तीफे की पेशकश के कुछ दिनों बाद आया है।
हालाँकि, कांग्रेस नेतृत्व द्वारा संकट का हल करने का दावा किये जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश ईकाई अलर्ट पर है।
रिपोर्टें हैं कि विक्रमादित्य सिंह ने गुरुवार रात छह बागी विधायकों से मुलाकात की थी। इन छह बागी विधायकों की क्रॉस-वोटिंग ने इस राजनीतिक तूफान को जन्म दिया। हालाँकि छह बार के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने क्रॉस-वोटिंग नहीं की, लेकिन उस दिन उन्होंने गुस्सा दिखाया था। उन्होंने कांग्रेस पर अपने पिता की स्मृति का अनादर करने का आरोप लगाया।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि उन्होंने बाग़ी विधायकों से मुलाकात की। बाकी विधायकों ने शुक्रवार सुबह अपनी अयोग्यता के खिलाफ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया।
बता दें कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने छह सदस्यीय समन्वय समिति गठित करने का फैसला किया था। इसको राज्य इकाई के भीतर मतभेदों को दूर करने का काम सौंपा गया था। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह अनिच्छा से समिति गठित करने के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर सहमत हुए हैं, लेकिन खुश नहीं हैं।
दलबदल विरोधी कानून के तहत छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रतिभा सिंह ने कहा कि इस कदम से विधायकों का नाराज होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा, 'जब एक वर्ष से अधिक समय हो गया और आपने कोई संज्ञान नहीं लिया या उनकी बात नहीं सुनी तो उनका परेशान होना स्वाभाविक है। अगर आप उनके साथ बैठते, उनसे बात करते और कोई समाधान निकालते तो यह स्थिति नहीं होती।'