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10 गारंटियों के साथ हिमाचल में चुनाव जीत पाएगी कांग्रेस?

10 गारंटियों के साथ हिमाचल में चुनाव जीत पाएगी कांग्रेस?

हिमाचल प्रदेश में इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में है। ऐसे में क्या विपक्षी वोटों में सेंध लगेगी?

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतरने से पहले राज्य की जनता को 10 गारंटियां दी हैं। इन गारंटियों में युवाओं को 5 लाख रोजगार, 300 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने जैसे वादे अहम हैं। कांग्रेस ने वादा निभाया है वादा निभाएंगे और हिमाचल का संकल्प कांग्रेस ही विकल्प का नारा भी दिया है। 

बता दें कि आम आदमी पार्टी भी लगातार हिमाचल प्रदेश की जनता से तमाम तरह के वादे कर रही है और कई गारंटियों का एलान भी कर चुकी है। हिमाचल में नवंबर-दिसंबर तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। 

कांग्रेस की ओर से इन गारंटियों को जारी करते वक्त पार्टी के चुनाव पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, पंजाब में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। 

हिमाचल में कांग्रेस को इस बार अपने वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह की कमी बहुत खलेगी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। 

हिमाचल कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस मौके पर कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हमने जनता से जो वादे किए थे उन्हें पूरा किया और आने वाले समय में जिस-जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी वहां भी जनता से किए वादों को पूरा किया जाएगा। 

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कांग्रेस ने इस साल अप्रैल में संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जबकि वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। गुटबाजी को दूर करने के लिए छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे। 

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दोनों दलों में है गुटबाजी 

कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है लेकिन वह गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं। 

बीजेपी में भी गुटबाजी है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गुट आमने-सामने दिखाई देते हैं।

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पंजाब के नतीजों का होगा असर?

हिमाचल प्रदेश से लगते हुए राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है और वह हिमाचल प्रदेश में जोर-शोर से चुनाव लड़ रही है। ऐसे में इस बात की आशंका है कि वह राज्य में विपक्षी वोटों में सेंध लगा सकती है। 

हिमाचल प्रदेश की बड़ी सीमा पंजाब से लगती है और दोनों राज्यों के लोगों का व्यवसाय और पर्यटन के लिहाज से एक-दूसरे के राज्य में आना-जाना भी है। इसलिए पंजाब की सियासी हवा का थोड़ा बहुत असर हिमाचल में भी हो सकता है। पंजाब में कांग्रेस को करारी हार मिली थी।

केजरीवाल की गारंटियां 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आम आदमी पार्टी की ओर से हिमाचल प्रदेश की जनता को चार गारंटियां दे चुके हैं। इन गारंटियों में शानदार शिक्षा की गारंटी, बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं की गारंटी, 1 करोड़ की शहीद सम्मान राशि गारंटी और महिलाओं को 1,000 रुपए प्रति माह स्त्री सम्मान राशि की गारंटी शामिल है। 

आनंद शर्मा ने दिया था झटका

कांग्रेस को कुछ दिन पहले एक झटका तब लगा था जब हिमाचल प्रदेश से आने वाले उसके वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था हालांकि आनंद शर्मा हमेशा केंद्र की राजनीति में रहे हैं और राज्य में उनका कोई बड़ा आधार नहीं है लेकिन फिर भी चुनाव से ठीक पहले पार्टी को उन्हें साथ लेकर चलना ही होगा। 

कई राज्यों में चुनावी हार से पस्त हो चुकी कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ ही गुजरात का विधानसभा चुनाव भी अहम है। जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव होने हैं और उसके ठीक पहले उसके बड़े नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है और वह अपना दल बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। 

2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने के ठीक बाद 2024 के लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, गुजरात के साथ ही 2023 के चुनावी राज्यों में भी जीत दर्ज करनी होगी वरना 2024 के चुनाव में विपक्ष तो दूर यूपीए का नेतृत्व करने में भी उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। 

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