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हिमाचल चुनाव: सियासी रण में इन अहम सीटों पर है बड़ी लड़ाई

हिमाचल चुनाव: सियासी रण में इन अहम सीटों पर है बड़ी लड़ाई

हिमाचल प्रदेश में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। हिमाचल प्रदेश में साल 1985 से अब तक हर विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदलती रही है। देखना होगा कि इस बार क्या होगा?

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी। बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस छोटे से राज्य में डेरा डाले रहे। जबकि कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने चुनाव प्रचार किया। 

आइए जानते हैं कि 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में कौन सी ऐसी सीटें हैं, जिन पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर लगी हुई है और इन सीटों से कौन-कौन से नेता चुनाव मैदान में हैं। 

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जयराम ठाकुर

सिराज 

सबसे पहले बात करते हैं सिराज विधानसभा सीट की। इस सीट से बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस ने यहां से चेतराम ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जयराम ठाकुर ने चेतराम को 11254 वोटों से हराया था। अगर फिर से बीजेपी की सरकार बनती है तो जयराम ठाकुर का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। 

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विक्रमादित्य सिंह

शिमला ग्रामीण

छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह इस सीट से चुनाव मैदान में हैं। विक्रमादित्य सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं।  उससे पहले वीरभद्र सिंह यहां से जीते थे। बीजेपी ने यहां से रवि मेहता को चुनाव मैदान में उतारा है।  विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और मंडी लोकसभा सीट से सांसद हैं। 

पावंटा साहिब

सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल पावंटा साहिब के नाम वाली इस सीट से बीजेपी ने ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। सुखराम चौधरी पिछली बार भी इस सीट से चुनाव जीते थे। कांग्रेस की ओर से किरणेश जंग चुनाव मैदान में हैं। 2017 के चुनाव में भी यही दोनों नेता आमने-सामने थे और तब सुखराम चौधरी को जीत मिली थी। लेकिन साल 2012 के विधानसभा चुनाव में किरणेश जंग इस सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे। 

हरौली

यह सीट इसलिए अहम है क्योंकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने यहां से रामकुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। 

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कुलदीप सिंह राठौर।

ठियोग

शिमला जिले में आने वाली इस सीट पर पिछले चुनाव में सीपीएम के राकेश सिंघा को जीत मिली थी। सीपीएम ने यहां से राकेश सिंघा को ही उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है। कुलदीप सिंह राठौर का यह पहला विधानसभा चुनाव है। इससे पहले इस सीट से हिमाचल में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं विद्या स्टोक्स विधायक रही थीं। बीजेपी के टिकट पर अजय श्याम चुनाव मैदान में हैं। 

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सुखविंदर सिंह सुक्खू

नादौन

इस सीट से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू चुनाव मैदान में हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुक्खू इस सीट से चुनाव जीते थे। वह 2003 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं। बीजेपी ने यहां से विजय अग्निहोत्री को चुनाव मैदान में उतारा है। अग्निहोत्री ने 2012 के चुनाव में सुक्खू को हराया था लेकिन 2017 में उन्हें सुक्खू से हार का सामना करना पड़ा था। सुक्खू को राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में भी देखा जाता है। 

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कुसुम्पटी 

कुसुम्पटी से बीजेपी ने जयराम सरकार में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे पहले सुरेश भारद्वाज चार बार शिमला शहरी सीट से चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदल दी है और इस वजह से यहां बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी है।  कांग्रेस ने यहां से विधायक अनिरुद्ध सिंह को टिकट दिया है। अनिरुद्ध सिंह दो बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।

कसौली (सुरक्षित) 

बीजेपी ने यहां से जयराम सरकार में परिवार कल्याण मंत्री राजीव सैजल को उम्मीदवार बनाया है। राजीव सैजल तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं और जीतने की उनकी क्षमता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी से है। राजीव सैजल दो बार विनोद सुल्तानपुरी को हरा चुके हैं। 

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कांगड़ा और मंडी 

हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा और मंडी जिले बेहद अहम हैं। कांगड़ा जिले में 15 सीटें हैं जबकि मंडी जिले में विधानसभा की 10 सीटें हैं। इन दोनों राज्यों से ही हिमाचल प्रदेश की सत्ता का रास्ता होकर निकलता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांगड़ा जिले में 11 सीटों पर जीत मिली थी जबकि मंडी में उसने 9 सीटें जीती थी। 

बीजेपी-कांग्रेस में इन सीटों पर बगावत 

इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही जबरदस्त बगावत का सामना करना पड़ा है। बीजेपी में मंडी, बिलासपुर सदर, कांगड़ा, धर्मशाला, झंडुता, चंबा, देहरा, कुल्लू, हमीरपुर, नालागढ़, फतेहपुर, किन्नौर, आनी, सुंदरनगर, नाचन और इंदौरा सीट पर बागी चुनाव मैदान में हैं जबकि कांग्रेस में पछड़, आनी, ठियोग, सुलह, चौपाल, आनी, हमीरपुर और अर्की सीटों पर नेता ताल ठोक रहे हैं। साफ है कि बीजेपी में बगावत ज्यादा है।

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