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हिजाब : 'निजता के अधिकार से पसंद का अधिकार भी जुड़ा है'

हिजाब : 'निजता के अधिकार से पसंद का अधिकार भी जुड़ा है'

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 12 सितंबर को हिजाब मामले की सुनवाई जारी रही। सोमवार को वकीलों ने अपने तर्क ज्यादा रखे। जजों की टिप्पणी कम आईं। 

हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 12 सितंबर को भी सुनवाई जारी रही। खास बात यह रही कि सोमवार को वकीलों ने अपनी बात ज्यादा कही, जज हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया ने टिप्पणियां कम कीं। इससे पहले की सुनवाई में जजों की टिप्पणियां बहुतायत में आई थीं। जिनकी जनता में भी काफी चर्चा रही।

इस मामले को लगातार कवर कर रहे लाइव लॉ पोर्टल के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ मुछाला ने आपत्ति जताई कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को वर्दी पहनने पर ऐतराज नहीं है लेकिन धार्मिक रूप से जिसे पहनने को कहा गया है, उसे भी पहनने की इजाजत होना चाहिए। निजता के अधिकार से पसंद का अधिकार जुड़ा हुआ है। क्या महिलाओं का सिर पर कपड़ा रखना जुर्म है। महिला इसमें अपनी गरिमा देख रही है। हम अपनी राय जबरन उन पर नहीं थोप सकते।

उन्होंने कहा कि हिजाब पर बैन लगाने से मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा का अधिकार प्रभावित होता है क्योंकि उनके सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकार वैसे भी स्वीकार नहीं किए जाते हैं। उन्होंने इस संबंध में सरकारी रिकॉर्ड से कुछ दस्तावेज पेश किए। उन्होंने पढ़ाः

हिजाब पहनने वाली महिलाओं को कैरिकेचर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्हें गरिमा के साथ देखा जाना चाहिए। वे मजबूत इरादों वाली महिलाएं हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें इसकी वजह से शक्ति मिली है। कोई भी उन पर अपना निर्णय नहीं थोप सकता है।


- यूसुफ मुछाला, वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट

वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 51 ए (एच) (वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने) के तहत मौलिक कर्तव्य पर जोर देते हुए हाईकोर्ट के फैसले ने अनुच्छेद 51 ए (एफ) की अनदेखी की, जो "समग्र संस्कृति" को संरक्षित करने की बात करता है। उन्होंने "योग्य सार्वजनिक स्थान" (अदालत ने कहा था कि कुछ योग्य सार्वजनिक स्थानों पर आपको वर्दी पहनना पड़ती है) के मुद्दे पर अदालत को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा -

योग्य सार्वजनिक स्थान कुछ स्थानों पर अच्छा हो सकता है। अगर मैं सेना में हूं, तो मुझे तय वर्दी पहननी होगी। अगर मैं बार काउंसिल का सदस्य हूं, तो मुझे तय वर्दी पहननी होगी। मैं तय वर्दी पहनूंगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या मैं कुछ और पहन सकता हूं जो मेरी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है।


- सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट

इस मामले की सुनवाई बुधवार को सुबह 11.30 बजे जारी रहेगी।

बता दें कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर बैन लगा दिया था। हालांकि कर्नाटक में कई दशक से मुस्लिम लड़कियां स्कूल, कॉलेजों में हिजाब पहनकर आ रही थीं। बैन लगाने के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों ने इसे कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के बैन को सही ठहरा दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब धार्मिक पोशाक नहीं और न ही इस्लाम में यह अनिवार्य है। हालांकि कुरान में महिलाओं की प्राइवेसी को लेकर तमाम आयतें हैं लेकिन हाईकोर्ट ने उस ध्यान नहीं दिया। हाईकोर्ट के आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पिछली तारीखों पर सुनवाई के दौरान खासतौर से हिजाब को लेकर जस्टिस हेमंत गुप्ता की टिप्पणियां उल्लेखनीय रही हैं। जिन पर देश में बहस भी हो रही है। 

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