केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में स्वास्थ्य मंत्री ने राहुल गांधी से कोरोना के मद्देनजर भारत जोड़ो यात्रा को देश हित में स्थगित करने की अपील की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने राजस्थान के सांसद पीपी चौधरी, निहाल चंद और देवजी पटेल के द्वारा लिखे गए पत्रों का हवाला दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि इन सभी सांसदों ने बीते दिनों राजस्थान में चल रही भारत जोड़ो यात्रा से कोविड-19 के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है और कुछ अनुरोध किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, इन सांसदों ने अपने पत्रों में कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा में कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन हो, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग हो और जिन लोगों को कोरोना के टीके लग चुके हैं, वही इस यात्रा में हिस्सा लें।
मंडाविया ने कहा है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि यात्रा में जुड़ने से पहले और बाद में यात्रियों को आइसोलेट किया जाए और अगर कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं हो तो पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए और कोरोनावायरस से देश को बचाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा को देश हित में स्थगित कर दिया जाए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि संसद सदस्यों के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए वह इन बिंदुओं पर शीघ्र कार्यवाही करने की अनुशंसा करते हैं। बताना होगा कि बीते कई दिनों से भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में चल रही थी लेकिन बुधवार सुबह यह यात्रा हरियाणा में प्रवेश कर गई है।
चीन में हालात चिंताजनक
कोरोना को लेकर एक बार फिर चिंताजनक तस्वीर इसलिए सामने आ रही है क्योंकि पड़ोसी मुल्क चीन में कोरोना से हालात बिगड़ रहे हैं। वहां से आ रहे वीडियो से पता चलता है कि अस्पतालों में बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज भर्ती हैं, कई जगहों पर लोगों को दवा नहीं मिल पा रही है।
महामारी विशेषज्ञों ने कहा है कि अगले 90 दिनों में चीन के 60 फीसद लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं और पूरी दुनिया में लगभग 10 फ़ीसदी लोग इस महामारी की चपेट में आ सकते हैं। साथ ही लाखों लोगों की मौत होने की आशंका भी जताई गई है।
इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में कई महकमों के अफसरों को बुलाया गया है। अगर कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो आने वाले कुछ दिनों में इस महामारी को लेकर केंद्र सरकार बड़े कदम उठा सकती है।
चुनाव में भी रैलियां
यहां याद दिलाना होगा कि बीते साल अप्रैल-मई में जब कोरोना की दूसरी लहर आई थी तो उस वक्त पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव हो रहे थे। तब बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने की खबरें भी सामने आई थी लेकिन उस दौरान तमाम राजनीतिक दलों ने तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, असम के साथ ही पश्चिम बंगाल में भी रैलियां की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो कूच बिहार में हुई एक जनसभा में यहां तक कहा था कि जहां तक उनकी नजर नहीं पहुंच पा रही है, वहां तक भी लोगों की जबरदस्त भीड़ है।
आखिर कोरोना की जब दूसरी लहर चरम पर थी और हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही थी तो ऐसे वक्त में राजनीतिक दलों ने इन चुनावी राज्यों में अपने चुनाव प्रचार कार्यक्रम को क्यों नहीं रोका था। बीजेपी ने विशेषकर पश्चिम बंगाल में जबरदस्त रैलियां की थी। क्या तब उसे देशहित में अपने चुनाव प्रचार को नहीं रोकना चाहिए था?