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सोशल मीडिया पर जजों को गाली, हाईकोर्ट से 49 को अवमानना नोटिस 

सोशल मीडिया पर जजों को गाली, हाईकोर्ट से 49 को अवमानना नोटिस 

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 49 लोगों के ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस जारी किया है। इनमें राज्य के सत्तारूढ़ दल वाईएसआर कांग्रेस से जुड़े लोग भी शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 49 लोगों के ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस जारी किया है। इनमें राज्य के सत्तारूढ़ दल वाईएसआर कांग्रेस से जुड़े लोग भी शामिल हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने राज्य सरकार के ख़िलाफ़ प्रतिकूल टिप्पणी करने वाले जजों को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में निशाना बनाया है।

इसके पहले कभी किसी अदालत ने इतने लोगों के ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस नहीं दिया था। 

अदालत इस बात से ख़फ़ा है कि उसने जगनमोहन रेड्डी सरकार के कुछ प्रस्तावों को खारिज कर दिया तो कुछ लोगों ने जजों के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ दी। अदालत इससे नाराज़ है कि इन जजों को 'पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का आदमी' बताया गया है।

मामला क्या है 

अदालत को 22 मई और 24 मई के बीच कई शिकायत भरे ई-मेल मिले और सोशल मीडिया पर कई पोस्ट दिखे। इन पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कुछ जजों को 'दुर्भावना से ग्रस्त, जातिवादी और भ्रष्ट' बताया गया था। इन पोस्ट में जजों को गालियाँ दी गई थीं और उन्हें डराया धमकाया गया था।

ये वे जज हैं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ दायर कुछ जनहित याचिकाओं में प्रतिकूल टिप्पणियाँ की थीं।

अपमानजनक वीडियो

अदालत ने ऐसे ही एक वीडियो के बारे में कहा कि 'जानबूझ कर ग़लत तथ्य पेश किए गए हैं, अपमानजनक और नफ़रत' फैलाने वाली बातें कही गईं। यह बात वाईएसआरसीपी के सदस्य नंदीगाम सुरेश के वीडियो के बारे में कही गई है। इस वीडियो में आरोप लगाया गया है कि चंद्रबाबू नायडू ने हाई कोर्ट पर कब्जा कर रखा है।

अदालत ने कहा है कि इस तरह के पोस्ट और वीडियो जनता की निगाह में हाई कोर्ट की प्रतिष्ठा कम करने और उसकी छवि खराब करने के मक़सद से किए गए हैं।

एडवोकेट जनरल ने वीडियो और पोस्ट देखने के बाद कहा कि ये पूरी तरह 'ग़ैरज़रूरी हैं और न्यायपालिका को बदनाम करने की नीयत से किए गए हैं।' उन्होंने कहा कि इन लोगों के ख़िलाफ़ अवमानना की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।

इसके पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने यह प्रस्ताव दिया था कि राज्य के स्कूलों में अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाई अनिवार्य कर दिया जाए। अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद ही उन जजों को निशाना बनाया गया जो इसे खारिज करने वाली बेंच में शामिल थे।

इसके अलावा जब सरकारी भवनों को सत्तारूढ़ दल के झंडे के रंग में रंगने की मुहिम शुरू हुई तो अदालत ने इसे रोका। इसके बाद अदालत पर हमला और तेज़ हो गया।

बीते कुछ दिनों से यह प्रवृत्ति बढ़ गई है कि फ़ैसला ख़िलाफ़ जाने पर कुछ लोग अदालत के उन जजों को निशाना बनाते हैं, सोशल मीडिया पर उनके ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणियाँ करते हैं।

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