जेएनयू के लापता छात्र की माँ ने मोदी से पूछा सवाल, 'भक्तों' ने बेटे को कहा आतंकवादी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार से सवाल पूछने पर बीजेपी की साइबर सेना किस तरह हमला करती है और सवाल पूछने वाले का मुँह बंद करने की कोशिश करती है, इसका एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। इस उदाहरण से यह भी पता चलता है कि वे लोग किस तरह संवेदनहीन हो सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लगभग ढाई साल से गायब कश्मीरी छात्र नजीब अहमद की माँ ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि आप चौकीदार हैं तो मेरा गुमशुदा बेटा क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गुंडों को गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया है। उन्होंने शनिवार को मोदी के प्रचार अभियान #MainBhiChowkidar शुरू होने के बाद ये सवाल पूछे थे।
If you are a chowkidar then tell me
— Fatima Nafis (@FatimaNafis1) March 16, 2019
where is my son Najeeb ?
Why Abvp goons not arrested ?
Why three toped agencies failed to find my son ? #WhereIsNajeeb https://t.co/5GjtKSTIDh
नजीब की माँ को प्रधानमंत्री या सरकार से कोई जवाब तो नहीं मिला, अलबत्ता यह ज़रूर हुआ कि सोशल मीडिया पर एक तसवीर वायरल कर दी गई, जिसके साथ यह कहा गया था कि नजीब आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गया। समझा जाता है कि बीजेपी की साइबर सेना से जुड़े लोगों ने यह काम किया है।
एक दूसरे ट्वीट में यह कहा गया है कि नजीब जेएनयू से निकल कर ख़ुद गए और इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गए। लोगों ने नाहक ही एबीवीपी, भारत सरकार, नरेंद्र मोदी और दिल्ली पुलिस पर दोष मढ़ दिया। यह भी कहा गया कि कन्हैया कुमार और दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा चलाना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे पर नजीब का साथ दिया था।
क्या है नजीब का मामला?
जेएनयू में एम. एससी. बायोटेक्नोलॉजी के प्रथम वर्ष के छात्र नजीब 15 अक्टूबर 2016 को रहस्यमय तरीके से गायब हो गए। वह माही मान्डवी होस्टल में रहते थे और उनकी गुमशुदगी के एक दिन पहले रात में होस्टल में एबीवीपी के कुछ छात्रों से उनकी झड़प हो गई थी और कहा जाता है कि उन्हें पीटा भी गया था। नजीब की गुमशुदगी की रिपोर्ट बसंत कुंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन नतीजा अब तक सिफ़र है। नजीब की माँ ने हार थक कर 25 नवंबर 2016 को दिल्ली हाई कोट में बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी हैबियस कॉर्पस दायर कर दिया। इस मामले की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ने जाँच की, सीबीआई ने जाँच की, कुछ पता नहीं चला। अंत में यह मामला बंद कर दिया गया।
जिस फ़ोटो को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है और उसमें नीचे बैठे शख्स को नजीब बताया गया है, वह समाचार एजेंसी रॉयटर्स के फ़टोग्राफ़र ताहिर अल-सूडानी ने इराक़ी शहर अल अलम से सटे कस्बे ताल कसीबा में खींची थी।
क्या है फ़ोटो की सच्चाई?
तसवीर में दिख रहे लोग इसलामिक स्टेट से जुड़े हुए नहीं है, वे आईएस के ख़िलाफ़ लड़ाई में इराक़ी सुरक्षा बलों का साथ देने वाले शिया मिलिशिया के लड़ाके हैं। यह तसवीर 7 मार्च, 2015 को खींची गई थी, यानी नजीब के गायब होने से तक़रीबन डेढ़ साल पहले। शिया मिलिशिया ने आइएस को तिकरित शहर से खदेड़ दिया था और शहर पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने इसका जश्न मनाने के लिए आईएस के झंडे पर निशाना साधते हुए गोलियाँ चलाई थीं। गोलियों के दाग झंडे पर साफ़ दिख रहे हैं।क्या किया था राम माधव ने?
नजीब को पहली बार निशाने पर नहीं लिया गया है। इसके पहले बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने इस तरह के ट्वीट किए थे और यह साबित करने की कोशिश की थी कि नजीब वाकई इसलामिक स्टेट में शामिल हो गया है।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने बीते साल फ़रवरी में एक ट्वीट किया था, जिसमें एक तरफ़ रायटर्स की तसवीर में नीचे बैठा शख़्स है तो दूसरी तरफ नजीब से मिलता जुलता चेहरे वाला एक दूसरा आदमी। यह बताया गया था कि देखिए, नजीब आतंकवादी बन चुका है।
सच क्या है?
सच तो यह है कि यह इसमें से कोई तसवीर नजीब की नहीं है। नजीब के ग़ायब होने के बाद उन्हें खोजने के लिए एक पोस्टर जारी किया गया, उन्हें ढूंढने वाले को एक लाख रुपये का ईनाम देने की घोषणा करते हुए एक दूसरी तसवीर जारी की गई। ग़ौर से देखने पर साफ लगता है कि नजीब की असली तसवीर से रायटर्स की तसवीर में मौजूद आदमी की शक्ल बिल्कुल मेल नहीं खाती हैं।क्या कहना है पुलिस का?
जहाँ साइबर सेना के लोग नजीब के आतंकवादी होने का सबूत पेश करने का दावा कर रहे हैं और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी कह रहे हैं कि नजीब आइएस में शामिल हो गया, वहीं दिल्ली पुलिस आधिकारिक रूप से इससे इनकार करती है। दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता देपेंद्र पाठक ने एक सवाल के जवाब मे साफ़-साफ़ कहा कि अब तक की जाँच के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है।Any association with ISIS has not come up in Delhi Police investigation - Dependra Pathak Chief spokesperson Delhi police on my son case.
— Fatima Nafis (@FatimaNafis1) March 18, 2019
I also filed a case against media houses in Delhi HC for linking my son with IS. pic.twitter.com/dLDcwDfMvK
यह तो सिर्फ़ एक बानगी है। सच तो यह है कि आज के समय सरकार, सत्तारूढ़ दल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई सवाल नहीं किया जा सकता है। कोई वाजिब सवाल करने पर भी उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है, उसे सीधे सेना और राष्ट्रवाद से जोड़ दिया जाता है और सवाल पूछने वाले को देशद्रोही क़रार दिया जाता है। पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ़ की विधवा ने कहा कि उसे युद्ध नहीं चाहिए तो इसी साइबर सेना ने उन्हें बुरी तरह ट्रोल किया था।
नजीब की माँ के सामान्य से सवाल पर उनके बेटे को आतंकवादी साबित करने की कोशिश करना जले पर नमक छिड़कना तो है ही, लोगों को डराने की कोशिश भी है। यह संकेत देने की कोशिश की जा रही है कि कोई सरकार या प्रधानमंत्री से सवाल न पूछे। चुनाव के ठीक पहले इस तरह की हरकत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पहले के हुए सर्वेक्षणों में किसी में सत्तारूढ़ दल को बहुमत पाता हुआ नहीं दिखा था। उसके बाद पुलवामा आतंकवादी हमला हुआ और फिर बालाकोट हवाई हमला। उसके बाद बीजेपी और ख़ुद प्रधानमंत्री ने राष्ट्रवाद का हव्वा खड़ा कर लोगों पर दबाव बनाने की कोशिश की है। रणनीति यह है विपक्षी दल किसी सूरत में सरकार को चुनौती न दे सकें, कोई आदमी सरकार या प्रधानमंत्री से असहज करने वाला कोई सवाल न करे।