कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा बुधवार सुबह हरियाणा पहुंच गई है। यह यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान का सफर तय करते हुए हरियाणा पहुंची है।
यात्रा के हरियाणा पहुंचने पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा, राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसका जोरदार स्वागत किया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया था कि यात्रा 24 दिसंबर की शाम को दिल्ली पहुंचेगी। उसके बाद 9 दिनों का ब्रेक होगा, ताकि कंटेनरों को मरम्मत करके उत्तर में पड़ने वाली कठोर सर्दी के लिए इन्हें तैयार किया जा सके। साथ ही इस यात्रा में शामिल कई लोग लगभग 4 महीने बाद अपने परिवार से मिलेंगे। 3 जनवरी 2023 को यात्रा फिर शुरू होगी।
भारत जोड़ो यात्रा कुल 3570 किमी. की है। यात्रा लगभग 3000 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। यात्रा को तमाम जगहों पर अच्छा-खासा समर्थन मिला है। कांग्रेस का कहना है कि यह यात्रा उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार करने में कामयाब रही है।
यात्रा में अब तक आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, एक्टिविस्ट मेधा पाटकर, धर्मगुरु कंप्यूटर बाबा, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, बॉक्सर विजेंदर सिंह जैसे जाने पहचाने लोग शामिल हो चुके हैं। आने वाले दिनों में अभिनेता और मक्कल निधि मय्यम के अध्यक्ष कमल हासन भी इस यात्रा से जुड़ेंगे।
जब भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र से निकल रही थी तो इसमें शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे के साथ ही एनसीपी नेता सुप्रिया सुले भी शामिल हुई थीं और इस तरह कांग्रेस ने सहयोगी विपक्षी दलों को भी इस यात्रा से जोड़ने की कोशिश की थी।
'विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस जरूरी'
सत्य हिंदी से बातचीत में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि, “कमजोर कांग्रेस से विपक्ष मज़बूत नहीं होगा और सिर्फ़ एंटी मोदी मंच बनने से काम नहीं चलेगा। एक रचनात्मक कार्यक्रम बनाना होगा। लोगों के सामने प्रोग्राम रखना होगा और बताना होगा कि हम सरकार में आने पर क्या काम करेंगे। ऐसे में सिर्फ मोदी विरोधी प्लेटफ़ॉर्म बना देने भर से विपक्ष मज़बूत नहीं होगा।”
जयराम रमेश ने साफ़ तौर पर कहा था कि अगर कोई ये सोचे कि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस को 200 सीट दे देंगे और पार्टी मान जायेगी, ये संभव नहीं है। उनका साफ़ कहना है कि मज़बूत कांग्रेस देश के हित में है और कांग्रेस को कमजोर कर के विपक्षी एकता मज़बूत नहीं हो सकती है।
कांग्रेस के सामने चुनौती
कांग्रेस लंबे वक्त देश में एकछत्र शासन करती रही है। साथ ही देश के कई राज्यों में भी उसने अपने दम पर हुकूमत चलाई है लेकिन गठबंधन की राजनीति के दौर में कांग्रेस कमजोर होना शुरू हुई। 2004 से 2014 तक उसने केंद्र में गठबंधन सरकार चलाई। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के साथ ही पार्टी को कई राज्यों में चुनावी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसके अलावा बड़ी संख्या में कई वरिष्ठ नेता भी पार्टी छोड़कर चले गए। हालांकि हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों ने उसे ऊर्जा दी है।
अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ डेढ़ साल का वक्त बचा है तो कांग्रेस एक बार फिर भारत जोड़ो यात्रा के जरिए संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।