हरियाणाः सरकार विरोधी लहर से परेशान भाजपा कुछ मंत्रियों के टिकट काटेगी
हरियाणा में अंदरुनी हालात से परेशान भाजपा कई विधायकों के टिकट काटने जा रही है। 2019 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार कम से कम 25 फीसदी नए चेहरे मैदान में होंगे। कई मंत्रियों और मौजूदा विधायकों पर गाज गिरने की संभावना है। राज्य के विधानसभा चुनाव में दो महीने रह गए हैं। सितंबर में तारीखों का ऐलान हो सकता है।
हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर से मुकाबला करने के लिए भाजपा 'जीतने योग्य' उम्मीदवारों की सूची तैयार कर रही है। राज्य में इस समय टिकट के दावेदारों की 'जीतने की क्षमता' को तौलने के लिए पार्टी मंत्रियों, मौजूदा विधायकों और संभावित उम्मीदवारों के 'रिपोर्ट कार्ड' तैयार कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ मंत्रियों और मौजूदा विधायकों को दोबारा टिकट नहीं मिलेगा। सिर्फ जीतने की क्षमता वाले लोगों के नाम पर पार्टी विचार कर रही है। पार्टी जिन महान उद्देश्यों की बात कहती रही है, उसके बजाय सरकार बनाने के उपाय करने वालों को महत्व मिलेगा।
हालांकि, हाल में नियुक्त किए गए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने मीडिया को पुष्टि की है कि पार्टी 2019 का चुनाव लड़ने वाले 90 उम्मीदवारों में से करीब 25 फीसदी चेहरों को बदल देगी। बडोली ने कहा- “हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि सभी 41 मौजूदा विधायकों को हटा दिया जाएगा। 25 फीसदी श्रेणी में आने वाले नए चेहरे 2019 के चुनावों में असफल उम्मीदवारों में से भी हो सकते हैं।” यानी उनकी हार का अंतर देखा जाएगा।
पार्टी 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों तलाशने के लिए सर्वे, कार्यकर्ताओं और नेताओं की प्रतिक्रिया ले रही है। बाद में, उम्मीदवारों के चयन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवारों का एक पैनल केंद्रीय चुनाव समिति को सौंपा जाएगा। पिछले चुनाव में पार्टी के कई बड़े नेताओं के अहम के कारण भी कुछ लोगों के टिकट काट दिए गए थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। मसलन फरीदाबाद में एक मंत्री के कहने पर पिछली बार भाजपा आलाकमान ने कई बेहतरीन चेहरों को टिकट नहीं दिया था। इस बार उन लोगों को संभावित प्रत्याशी सूची में लाया जा रहा है।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि हटाए गए अधिकांश उम्मीदवार उन 46 विधानसभा क्षेत्रों से होंगे जहां पार्टी को हाल के लोकसभा चुनावों में हार का स्वाद चखना पड़ा। इनमें से अधिकतर विधानसभा क्षेत्र अंबाला, सोनीपत, रोहतक, हिसार और सिरसा संसदीय क्षेत्रों में आते हैं, जहां विपक्षी कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
भाजपा मुख्य रूप से उन 44 विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां पार्टी ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पर अपनी बढ़त बनाए रखी है। सूत्रों ने बताया कि अगला फोकस उन विधानसभा क्षेत्रों पर होगा जहां कांग्रेस की जीत का अंतर बहुत कम था।
बहरहाल, टिकट के दावेदारों की 'जीतने की क्षमता' का आकलन करने के लिए पार्टी मंत्रियों, मौजूदा विधायकों और संभावित उम्मीदवारों के 'रिपोर्ट कार्ड' तैयार कर रही है। इसके लिए पुलिस की लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट का सहारा भी लिया जा रहा है। दरअसल, कई सीटों पर विभिन्न मुद्दों के कारण मौजूदा भाजपा विधायकों की छवि खराब है। लेकिन पार्टी इसकी पुष्टि सरकारी एजेंसी करके ही किसी नतीजे पर पहुंचना चाहती है। क्योंकि हर जिले में गुटबंदी की वजह से एक गुट दूसरे गुट के खिलाफ फर्जी शिकायतों का भी सहारा ले रहा है।