किसानों के 'सिर तोड़ने' का आदेश देने वाले अफ़सर को कौन बचा रहा है?
हरियाणा के करनाल में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे किसानों के 'सिर तोड़ने' का निर्देश देने वाले वरिष्ठ अफ़सर को कौन बचा रहा है?
इस पुलिस कार्रवाई में वाकई कई किसानों के सिर फूटे और एक घायल किसान को बाद में दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई।
पर दो दिन बीत जाने के बावजूद आदेश देने वाले अफ़सर के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है, यह सवाल उठता है।
क्या हुआ था?
बता दें कि करनाल में किसानों ने शनिवार को उस रास्ते को बंद कर दिया जिस रास्ते मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष व दूसरे लोगों को एक कार्यक्रम में जाना था।
आरोप है कि किसानों ने पुलिस वालों पर पत्थर फेंके, जिसके बाद पुलिस ने ज़बरदस्त लाठी चार्ज किया, जिसमें कई किसानों के सिर फूटे, कुछ लहू-लुहान हो गए।
भारतीय किसान यूनियन का दावा है कि एक घायल किसान को बाद में दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।
क्या कहा था चौटाला ने?
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रविवार को करनाल के सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान इन अफ़सरों को संवेदनशील होने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
लेकिन अब तक आयुष सिन्हा के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि उन्हें कौन बचा रहा है।
क्या कहा था मुख्यमंत्री ने?
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एसडीएम का बचाव करते हुए पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराया था।
उन्होंने कहा था कि किसानों ने पत्थर फेंके थे और वे पत्थर फेकेंगे तो पुलिस लाठी ज़रूर चलाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा था, "यदि किसानों को विरोध प्रदर्शन करना ही था तो वे शांतिपूर्ण तरीके से कर सकते थे, किसी को इससे कोई विरोध नहीं है। पहले उन्होंने आश्वस्त किया था कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा।"
खट्टर ने आगे कहा,
“
किसानों ने पुलिस पर पत्थर फेंके, राजमार्ग जाम कर दिया। ऐसे में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी ही होगी।
मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा
दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला का बयान है, जो इसके ठीक उलट है। उन्होंने रविवार को कहा, "मैं अफ़सर के व्यवहार से वाकई आहत हूं। एक अफ़सर से यह उम्मीद नहीं की जाती है। एक अफ़सर जो ड्यटी मजिस्ट्रेट हो, उसे बहुत ही सतर्कता से कोई कदम उठाना चाहिए।"
एसडीएम के साथ अफ़सरशाही
दूसरी ओर अफ़सरशाही का एक वर्ग 'सिर तोड़ने' का निर्देश देने वाले एसडीएम को उचित ठहरा रहा है और उनके साथ खड़ा है। इन वरिष्ठ आईएएस अफ़सरों का तर्क है कि एसडीएम आयुष सिन्हा ड्यूटी मजिस्ट्रेट थे, उन्होंने पुलिस कर्मियों को हल्के लाठीचार्ज का आदेश दिया था।
आईजी ममता सिंह ने कहा था,
“
हमने हल्के बल का प्रयोग किया था क्योंकि उन्होंने राजमार्ग रोक दिया था। पुलिस पर पथराव भी किया गया था। भीड़ को तितर- बितर करने के लिए हल्के बल का प्रयोग किया गया था।
ममता सिंह, आईजी, हरियाणा पुलिस
इसी तरह हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस निदेशक (क़ानून व्यवस्था) नवदीप सिंह वर्क ने कहा है कि सिर्फ चार प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं, जबकि दस पुलिस कर्मियों को चोटें आई हैं।
इनका यह भी कहना है कि मामला तब बिगड़ा जब किसानों ने बस्तरा में राजमार्ग जाम कर दिया और पूरे यातायात को अवरुद्ध कर दिया।
वीडियो का सच
लेकिन सोशल मीडिया पर चला रहा एक वीडियो पुलिस की पोल खोलता है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया, जबकि उस वीडियो में यह देखा जा सकता है कि एसडीएम साफ कह रहे हैं कि 'एक सीमा के उस पार किसी हालत में किसी को नहीं जाने देना है।'
वे यह कहते हुए भी दिखते हैं कि 'लाठी उठा कर दे मारो, किसी निर्देश की ज़रूरत नहीं है।'
इतना ही नहीं, एसडीएम आयुष सिन्हा यह कहते हुए भी दिखते हैं कि 'यदि कोई प्रदर्शनकारी इस लाइन के उस पार मुझे दिखे तो उसका सिर फूटा हुआ होना चाहिए, हाथ टूटा हुआ होना चाहिए।'
यही हुआ भी था। कई किसानों के सिर फूट गए, कई किसान लहू-लुहान हो गए।
लेकिन इस वारदात के दो दिन से अधिक समय बीत जाने और उप मुख्यमंत्री के एलान के बावजूद एसडीएम के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है।