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‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला

‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला

खट्टर सरकार ने करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला कर दिया है। सिन्हा का किसानों का ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाला वीडियो ख़ासा वायरल हुआ था। 

किसानों का ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने के बाद चर्चा में आए करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का बुधवार को तबादला कर दिया गया है। सिन्हा का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और हरियाणा सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को लेकर दबाव में थी। 

राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि सिन्हा अब नागरिक संसाधन सूचना विभाग में एडिशनल सेक्रेट्री के पद पर काम करेंगे। 

सिन्हा का जो वीडियो वायरल हुआ था उसमें वे पुलिसकर्मियों से कह रहे थे, ‘सिर फोड़ दो, इतने लट्ठ मारना।’ फिर वे पुलिसकर्मियों से पूछते हैं- लट्ठ मारोगे। वह यह भी कहते हैं, “ईंटें उठा-उठाकर मारना और कोई निर्देश की ज़रूरत नहीं है। यहां से कोई बंदा नहीं जाना चाहिए और जाए तो उसका सिर फूटा होना चाहिए।” वहां मौजूद पुलिसकर्मी उनकी हां में हां मिलाते हैं। 

सिन्हा का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी। कई लोगों ने उनकी गिरफ़्तारी की मांग की थी। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि इस अफ़सर को नक्सलवादी क्षेत्र में या जम्मू-कश्मीर में भेज देना चाहिए। 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस मामले में कहा था कि सिन्हा के शब्दों का चयन सही नहीं था। जबकि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि सरकार इस अफ़सर के ख़िलाफ़ ज़रूर कार्रवाई करेगी। 

मंगलवार को हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने इस मामले में करनाल के उप आयुक्त से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। सिन्हा का यह वीडियो बीते शनिवार का था जब किसान हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओपी धनखड़ के काफ़िले का विरोध करने के लिए बस्तारा टोल प्लाज़ा पर जमा हुए थे। 

आरोप है कि किसानों ने धनखड़ की कार पर हमला किया। किसानों ने उस जगह जाने की भी कोशिश की, जहां धनखड़ बैठक लेने जा रहे थे। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। 

लाठीचार्ज से ग़ुस्साए किसानों ने हाईवे और कई सड़कों को जाम कर दिया था। हरियाणा में कई जगहों पर किसान सड़क पर उतर आए थे। पुलिस ने रात को किसानों के गिरफ़्तार साथियों को रिहा कर दिया था और इसके बाद किसानों ने भी जाम खोल दिया था।   

बता दें कि किसान कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर बीते 10 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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