हरियाणाः जाटों को बांटने की रणनीति क्या नाकाम हो गई, JJP का इतना विरोध क्यों?
हरियाणा में भिवानी जिले के कुंगड़ गांव में मंगलवार 9 अप्रैल को काले झंडे लेकर सैकड़ों किसानों ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला के काफिले को रोक दिया। अजय ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सुनने से इनकार कर दिया। आखिरकार जेजेपी नेता गांव में बिना बैठक किए ही वापस लौट गए। पिछले सप्ताह अजय चौटाला के बेटे और हाल तक राज्य के डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला को उनके चुनाव अभियान के दौरान दो बार रोका गया - हिसार के गमरा गांव में और नारनौंद विधानसभा क्षेत्र के नाडा गांव में। हरियाणा में जाट बेल्ट हिसार, भिवानी, झज्जर, रोहतक, सोनीपत, सिरसा, जींद आदि के गांवों में ऐसे बैनर, पोस्टर लगे हुए हैं, जिनमें जेजेपी और भाजपा नेताओं के घुसने की मनाही है। एक महीने में हरियाणा की चुनावी फिजा बदल गई।
दुष्यंत के बाद अजय चौटाला का विरोध, भिवानी जिले के गांव कुंगड़ में ग्रामीणों ने दिखाए काले झंडे। किसानों के विरोध को देखते हुए वापस लौटा काफिला। #jjp #AjayChautala #Haryana pic.twitter.com/fv7ETGJtq2
— Haryana Tak (@haryana_tak) April 9, 2024
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी को 10 सीटें मिली थीं, भाजपा को 40 सीटें और कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। उस चुनाव में जेजेपी किंगमेकर पार्टी बनकर उभरी थी। इससे पहले कि कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा जेजेपी के दुष्यंत चौटाला से कोई समझौता करते, अमित शाह ने दुष्यंत चौटाला को दिल्ली बुलाया और अगले दिन हरियाणा फिर से भाजपा की सरकार जेजेपी की मदद से बन गई। दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बन गए। इसे भाजपा के लिए गेमचेंजर बताया गया। दिल्ली में संसद भवन तक ट्रैक्टर चलाकर किसानों के मुद्दे उठाने वाले दुष्यंत अचानक भाजपा के कृषि कानूनों के समर्थक बन गए। पंजाब-हरियाणा के किसान एक साल तक दिल्ली हरियाणा की सीमा पर बैठे रहे, लेकिन दुष्यंत चौटाला एक बार भी उनके आंसू पोंछने वहां नहीं पहुंचे।
हरियाणा में भाजपा ने एक रणनीति के तहत सबसे पहले लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले जेजेपी को अपने गठबंधन से अलग किया। दूसरा उसने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को सीएम बना दिया, ताकि सरकार विरोधी लहर को रोका जा सके। भाजपा की दोनों रणनीतियां नाकाम होती नजर आ रही हैं।
जेजेपी को जब भाजपा से लात पड़ी तो उसने किसानों के मुद्दों पर बोलने की कोशिश की लेकिन हरियाणा के किसानों को दुष्यंत और उनके पिता अजय चौटाला की बातें अब समझ नहीं आ रही हैं। हरियाणा में जाट बेल्ट के किसान जाट हैं। दुष्यंत की मां नैना चोटाला जो खुद विधायक हैं, उन्होंने बाकायाद माफी मांगी। लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हैं। दुष्यंत और पूरा परिवार अब हर मुद्दे पर भाजपा का विरोध कर रहे हैं लेकिन यह रणनीति कामयाब नहीं होती नजर आ रही है।
नैना चौटाला किसानों से माफ़ी मांगते हुए।
— Rishi Choudhary 🇮🇳 (@RishiRahar) April 9, 2024
दुष्यंत चौटाला को किसान गांवों में नहीं घुसने दे रहे हैं तो अब नैना चौटाला को आगे करके माफी मांग रहा है।
दुष्यंत तेरी चाबी टाइट किसान ही करेंगे, जा बैठ जा भाजपा की गोद में। pic.twitter.com/OtFLuscHHD
कुंगड़ गांव में मंगलवार को जो हुआ, दरअसल उसी से पता चल रहा है कि गांवों में इन दोनों दलों को लेकर कितना गुस्सा है। जेजेपी प्रमुख अजय चौटाला का गांव में एक कार्यक्रम तय था। जैसे ही उनका काफिला गांव में दाखिल हुआ, राजेश सिहाग के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी गांव के एंट्री प्वाइंट पर जमा हो गए। काले झंडे लेकर उन्होंने कहा कि वे अजय को गांव में नहीं घुसने देंगे। अजय के साथ आए स्टाफ सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों से बहस करने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी बात से नहीं हटे। 10 मिनट की बहस के बाद अजय गाड़ी से बाहर आए, लेकिन प्रदर्शनकारियों का मूड भांपकर तुरंत वापस चले गए। इसके बाद काफिला वापस लौट गया। सिहाग ने कहा कि अजय ने किसानों के आंदोलन को "बीमारी" बताया था। “अजय चौटाला का रुख और बयान बेहद आपत्तिजनक था। हम उन्हें या किसी भी जेजेपी नेता को गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे।”
किसान जिन मुद्दों पर खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं, उसके मूल में किसानों के अलावा महिला पहलवानों का मुद्दा भी प्रमुख है। आंदोलनकारी अधिकांश महिला पहलवान हरियाणा से थीं। संसद मार्ग पर जब पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं और सड़कों पर घसीटा, उसके वीडियो, फोटो वायरल हुए थे। हरियाणा के जाटों ने अपमान महसूस किया। जंतर मंतर पर जब उनका धरना चल रहा था, सबसे ज्यादा हरियाणा की जाट खाप पंचायतें उनके समर्थन में पहुंच रही थीं लेकिन भाजपा और जेजेपी पर इसका असर नहीं पड़ रहा था। जाट बेल्ट का किसान दरअसल, इस बात को विश्वासघात मान रहा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उसने जेजेपी को दस सीटें दी थीं। 2014 में जब मोदी लहर पर हरियाणा में जब भाजपा सरकार बनी तो सबसे पहले जाटों का मोह भंग हुआ था। फिर 2018 में जेजेपी पैदा हुई और 2019 के चुनाव में उसे कामयाबी मिली। लेकिन जब जेजेपी ने भाजपा से हाथ मिला लिया तो इसे जाटों ने विश्वासघात माना, क्योंकि उन्होंने वो दस सीटें भाजपा के खिलाफ दी थीं। यही वजह है कि किसान हिसार और फतेहाबाद जिलों में भी भाजपा नेताओं की सार्वजनिक बैठकों के दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नीचे वीडियो देखिए-
आज ऐलनाबाद, हरियाणा में किसानों ने #BJP की प्रचार गाड़ी से उतारकर BJP के झंडे जलाये
— Ramandeep Singh Mann (@mannraman1974) April 9, 2024
BJP और JJP के नेताओं को गाँवों से दौड़ाया जा रहा है, इनके MLA इस्तीफे दे रहे हैं, कहा था न "सब याद रखा जायेगा", किसान कौम अपने 750 शहीदों को कभी नहीं भूलेगी, शुभकरण सिंह की शहीदी कभी नहीं भूलेगी pic.twitter.com/mCiO8PfMvE
जेजेपी में इस्तीफे
बरवाला से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग ने पार्टी के पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने हरियाणा इकाई के उपाध्यक्ष और रोहतक लोकसभा के प्रभारी के रूप में कर्तव्यों से मुक्त होने के लिए पार्टी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा, ''मेरे पास निजी कारण हैं।'' इससे पहले जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया । इस एक घटनाक्रम ने रोहतक लोकसभा चुनाव में माहौल जेजेपी और भाजपा विरोधी कर दिया है। क्योंकि जेजेपी अब शायद ही दस सीटों पर उम्मीदवार उतार पाए।जेजेपी-इनेलो में विलय मुश्किल
चारों तरफ से विपरीत परिस्थितियों में घिरे अजय और दुष्यंत चौटाला ने चौटाला परिवार में एकता और दोनों पार्टियों के विलय की बात जोरशोर से उठाई थी। लेकिन इनेलो अध्यक्ष और अजय के भाई अभय चौटाला ने यह कोशिश अपने बयान से नाकाम कर दी। अभय चौटाला ने कहा- मेरे भाई अजय को पहले लोगों को बताना चाहिए कि उन्होंने चौधरी देवीलाल द्वारा स्थापित इनेलो क्यों छोड़ा था। अभय ने कहा- “वह चौटाला साहब (पिता ओम प्रकाश चौटाला) को उन लोगों को आमंत्रित करने के लिए क्यों कह रहे हैं? चौटाला साहब ने उन्हें कभी जाने के लिए नहीं कहा था। उस समय वह जेल में थे। उन्हें पहले यह बताना चाहिए कि उन्होंने इनेलो क्यों छोड़ा।'' अभय ने कहा- “अगर उन्हें पछतावा है, तो उन्हें पहले अपने कृत्य के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। अगर उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी होती तो 2019 में इनेलो सत्ता में होती।” उन्होंने कहा कि अजय और उनका परिवार अब इनेलो में लौटने को उत्सुक है क्योंकि उनके कार्यकर्ता जेजेपी छोड़ रहे हैं और नाराज किसान उन्हें किसी भी गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं।भाजपा ने दूरगामी नजर रखते हुए योजना यह बनाई थी कि जाट वोट जेजेपी, इनैलो और कांग्रेस के जाट नेताओं के बीच बंट जाएंगे औऱ भाजपा सभी जगह आसानी से सीटें निकाल ले जाएंगी। यही वजह है कि जेजेपी को चिढ़ाने के लिए उसने एक भी लोकसभा सीट ऑफर नहीं की। बहरहाल, सारी योजना बैकफायर कर गई और भाजपा के लिए हरियाणा की 10 सीटें केक वॉक नहीं हैं।