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हरियाणा में सरकारी भ्रष्टाचार का ईको सिस्टमः 170 प्राइवेट लोग बटोरते थे रिश्वत

हरियाणा में सरकारी भ्रष्टाचार का ईको सिस्टमः 170 प्राइवेट लोग बटोरते थे रिश्वत

हरियाणा में बीजेपी सरकार पिछले 10 वर्षों से ज्यादा समय से है। तहसीलों में भ्रष्टाचार खत्म करने के दावे के साथ यह सरकार आई थी। तहसीलों का सीधा संबंध किसानों और अन्य ग्रामीण लोगों से है। लेकिन हरियाणा की तहसीलों में इतना भ्रष्टाचार है कि वहां 370 पटवारियों ने 170 लोगों को रिश्वत बटोरने के लिए काम पर रखा हुआ था। भाजपाई राज्य में भ्रष्टाचार के इस ईको सिस्टम का मामला पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सामने आया है।

हरियाणा में एक सरकारी गोपनीय पत्र सामने आया है, जिससे पता चलता है कि राज्य की तहसीलों में 370 पटवारियों और उनके द्वारा रखे गये 170 लोगों का गठजोड़ एक बड़े रिश्वत सिस्टम को चला रहा था। इसे हरियाणा के करप्शन का ईको सिस्टम भी कहा जा सकता है। यह गोपनीय पत्र हरियाणा राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग का है। जिसमें 370 पटवारियों (राजस्व अधिकारियों) को भ्रष्ट बताया गया है। सूची में 170 निजी व्यक्ति भी शामिल हैं जो इन अधिकारियों के लिए बिचौलिए-सह-सहायक के रूप में काम करते हैं। लेकिन तहसीलों में यही सिस्टम रिश्वत वसूल कर ऊपर तक पहुंचाता है और यह रकम आईएएस अफसरों के अलावा सत्तारूढ़ पार्टी में ऊपर तक पहुंचती है। लेकिन लिस्ट सिर्फ भ्रष्ट पटवारियों की आई है।

अधिकारियों पर राजस्व विभाग में काम कराने के बदले लोगों से सीधे या बिचौलियों के जरिये पैसे लेने का आरोप है। कैथल जिला 46 "भ्रष्ट" पटवारियों के साथ सूची में शीर्ष पर है, जबकि पंचकुला जिले में एक भी नहीं है। कैथल के बाद सोनीपत (41) और महेंद्रगढ़ (36) जिले हैं।

गुड़गांव जिले में बिचौलियों की अधिकतम संख्या (26) है, जो कथित तौर पर पटवारियों की ओर से पैसे लेते हैं। महेंद्रगढ़ जिले में ऐसे 20 लोग हैं।

दिलचस्प बात यह है कि, रोहतक जिले में एक बिचौलिया खुद को पटवारी बताकर लोगों से राजस्व संबंधी कार्यों के लिए पैसे वसूल रहा है। पानीपत के बापौली ब्लॉक में, एक बिचौलिए यूसुफ खान पर पहले से ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप चल रहे हैं। सिरसा जिले में एक और व्यक्ति एक पटवारी के ड्राइवर और बिचौलिए के रूप में काम कर रहा है। 

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लिस्ट के मुताबिक महेंद्रगढ़ जिले में, जबकि एक पटवारी प्रॉपर्टी डीलिंग (रियल एस्टेट एजेंट) में व्यस्त रहता है, वह अपने अधिकांश आधिकारिक कार्यों को संभालने के लिए एक बिचौलिए पर निर्भर रहता है। पत्र से पता चलता है कि हिसार जिले में, एक पटवारी शायद ही कभी काम पर जाता है, जिससे जनता को अपना काम करवाने के लिए रिश्वत का सहारा लेना पड़ता है।

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इसमें कई पटवारियों के भी नाम हैं जो सहायकों या बिचौलियों को शामिल किए बिना सीधे रिश्वत की मांग करते हैं। पत्र के अनुसार, ये अधिकारी काम की प्रकृति के आधार पर प्रति कार्य 200 रुपये से लेकर 5,000 रुपये या यहां तक ​​कि 10,000 रुपये तक की रिश्वत मांगते हैं। जहां अधिकांश पटवारियों को उनकी वर्तमान पोस्टिंग 2023 या 2024 में मिली है, वहीं कुछ 2016 से उसी स्टेशन पर हैं।

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उपायुक्तों को जारी पत्र में कहा गया है कि ये निजी व्यक्ति (बिचौलिये) प्रशासनिक कार्यों को संभालने में शामिल हैं, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और जनता का शोषण होता है। एक पटवारी आमतौर पर 'खाता तकसीम' (भूमि रिकॉर्ड का विभाजन), भूमि माप, संपत्ति का दाखिल खारिज और भूमि रिकॉर्ड में सुधार आदि का काम करता है।

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सूची पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भ्रष्टाचार पर भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति दोहराई। उन्होंने वित्तीय आयुक्त-सह-एसीएस, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन ने उपायुक्तों को भ्रष्ट आचरण में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और 15 दिनों के भीतर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

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हरियाणा में सतर्कता ब्यूरो ने पिछले दिनों पटवारियों और अन्य राजस्व अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए अभियान छेड़ा था लेकिन वो अभियान अचानक रोक दिया गया। विपक्षी दलों का आरोप है कि राजस्व विभाग में रिश्वत तहसील से शुरू होती है और चंडीगढ़ में उच्च स्तर तक जाती है। हरियाणा में अधिकांश राजस्व अधिकारी प्रॉपर्टी डीलिंग के काम में लगे हुए हैं और राज्य में उच्च पदों पर बैठे आईएएस अधिकारी तक उनके पार्टनर हैं। तहसील या जिला मुख्यालय पर कोई भी रजिस्ट्री बिना रिश्वत दिये नहीं हो सकती। 

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