डॉक्टरों के उलट मंत्री क्यों कह रहे- कोरोना ख़त्म होने को है?
क्या कोरोना अब ख़त्म होने को है? कम से कम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो कह दिया है कि कोरोना महामारी अब ख़त्म होने के क़रीब है। लेकिन क्या विशेषज्ञ और डॉक्टर भी यही बात कह रहे हैं? क्या कोरोना संक्रमण के आँकड़े इसका संकेत देते हैं? या फिर ये मंत्री अपनी मर्जी से ही ऐसे बयान दे रहे हैं?
एक समय जब देश में हर रोज़ कोरोना संक्रमण के मामले क़रीब 8 हज़ार के आसपास पहुँच गए थे, अब यह आँकड़ा बढ़कर 18 हज़ार पहुँच चुका है। लगातार तीन दिन से संक्रमण के मामले 18000 से ज्यादा आ रहे हैं। महाराष्ट्र के कई ज़िलों में लॉकडाउन और रात का कर्फ्यू लगाना पड़ा है। महाराष्ट्र में और जगहों पर अधिकारी लॉकडाउन की आशंका जता रहे हैं। केरल और कर्नाटक में भी संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं।
कोरोना संक्रमण पर यदि फिर से हालात बिगड़ने की आशंका सरकार को नहीं थी तो फिर केंद्र सरकार ने फ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में ही 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च स्तरीय टीमें क्यों भेजीं? केंद्र ने कोरोना फैलने से रोकने के लिए किए गए उपायों और नियमों पर ढिलाई बरतने पर संक्रमण के फिर से तेज़ी से बढ़ने की चेतावनी दी है। वह भी ऐसे वक़्त पर जब नये क़िस्म के कोरोना के संक्रमण देश में आ चुके हैं। भारत में अभी तक कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई है और इसलिए इसको लेकर आशंकाएँ भी जताई जा रही हैं। दुनिया के कई देशों में संक्रमण की दूसरी लहर आई है और पहले से कहीं ज़्यादा घातक भी।
इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि भारत 'कोरोनोवायरस महामारी ख़त्म होने को है' और इस चरण को सफल बनाने के लिए कोरोना वैक्सीन अभियान से राजनीति को दूर रखना चाहिए। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में महामारी का दौर खत्म हो रहा है।
इन बयानों के बाद डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए के एक बयान में कहा गया है कि यह दुखदायी है कि राजनीतिक गलियारों में महामारी ख़त्म होने बनाम महामारी की स्थिति पर चर्चा की जा रही है।
आईएमए ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन या आईसीएमआर द्वारा वैज्ञानिक प्रमाण से प्रमाणित किए जाने के बाद ऐसी चर्चा की जानी चाहिए।
आईएमए ने कहा, 'पिछले एक हफ्ते में राज्य के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण के मामलों में 35 से 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। यहाँ तक कि देश की राजधानी में प्रतिदिन औसतन मामले 100 से बढ़कर 140 हो गए हैं।' एसोसिएशन ने अनधिकृत राजनीतिक बयानों के बारे में चेताया है।
बता दें कि न तो आईसीएमआर और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की ओर से कोरोना महामारी के ख़त्म होने के संकेत मिले हैं। बल्कि डब्ल्यूएचओ ने तो चेताया है कि संक्रमण के 2021 के आख़िर तक भी ख़त्म होने के आसार नहीं हैं।
डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ दिन पहले ही कहा है कि यह सोचना 'अपरिपक्व' और 'अवास्तविक' है कि साल के अंत तक महामारी को रोका जा सकता है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में प्रभावी टीकों के आने से कम से कम अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों और मौत के मामले कम करने में मदद मिल सकती है।
तब डब्ल्यूएचओ के आपात कार्यक्रमों के निदेशक डॉ. माइकल रयान ने कहा था कि दुनिया का एकमात्र ध्येय अभी कोरोना के प्रसार को कम से कम रखना होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर हम होशियार हैं तो हम इस महामारी से जुड़े अस्पताल में भर्ती होने के मामलों और मौत के मामलों को साल के अंत तक ख़त्म कर सकते हैं।'
रयान ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ को जो आँकड़े मिले हैं उससे पता चलता है कि कई टीके वायरस के विस्फोटक प्रसार पर अंकुश लगाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के मामले और मौत के मामले ही कम करने पर ही सिर्फ़ असर नहीं डालेगी, बल्कि कोरोना को फैलने से भी यह रोकेगी। उन्होंने कहा कि अभी वायरस बहुत हद तक नियंत्रण में है।