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कृषि विधेयक पर हरिवंश ने माना, मत विभाजन मांगते वक्त सीट पर थे त्रिची शिवा

कृषि विधेयक पर हरिवंश ने माना, मत विभाजन मांगते वक्त सीट पर थे त्रिची शिवा

कृषि विधेयकों के ध्वनि मत से राज्यसभा में पारित होने के मुद्दे पर एक बार फिर उप सभापति के फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि उप सभापति ने इस पर सफाई दी है, पर उससे भी कई सवाल खड़े होते हैं।

कृषि विधेयकों के ध्वनि मत से राज्यसभा में पारित होने के मुद्दे पर एक बार फिर उप सभापति के फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि उप सभापति ने इस पर सफाई दी है, पर उस सफाई पर भी कई सवाल खड़े होते हैं।

याद दिला दें कि 20 सितंबर को राज्यसभा कृषि विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया, जबकि विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की थी। उप सभापति हरिवंश ने कहा था कि चूंकि मत विभाजन की मांग करने वाले सदस्य अपनी सीट पर नहीं थे, मत विभाजन की उनकी मांग खारिज कर दी गई थी।

सीट पर थे त्रिची सिवा

लेकिन राज्यसभा टीवी के फुटेज से साफ दिखता है त्रिची सिवा और सीपीआईएम के के. के. रागेश मत विभाजन की मांग करते वक़्त अपनी सीट पर थे। 

राज्यसभा टीवी फुटेज सामने आने के बाद उप सभापति ने यह माना है कि त्रिची सिवा मत विभाजन की मांग करते वक़्त अपनी सीट पर मौजूद थे। उप सभापति हरिवंश ने सफाई देते हुए कहा है कि चूंकि सदन में अव्यवस्था थी, इसलिए उन्होंने मत विभाजन नहीं कराया।

अव्यवस्था में विधेयक पारित!

इसके साथ ही कई सवाल खड़े होते हैं। राज्यसभा उप सभापति सदन के ही टीवी चैनल के फुटेज सामने आने के बाद यह मान रहे हैं कि सिवा अपनी सीट पर थे। पहले उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा था कि वह अपनी सीट पर नहीं थे। वे ऐसा क्यों बोल रहे हैं, पहले उन्होंने ग़लत जानकारी क्यों दी थी, यह सवाल मौजूं है।

एक और सवाल अहम है कि यदि सदन में अव्यवस्था थी तो उस अव्यवस्था के बीच विधेयक पारित कैसे कर दिया गया यदि अव्यवस्था की वजह से मत विभाजन नहीं हो सकता है तो उस अव्यवस्था के बीच विधेयक पारित कैसे हो गया

  • राज्यसभा टीवी के फुटेज देखने से साफ होता है कि 1.10 पर डीएमके सदस्य सिवा ने विधेयक को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग की थी, उस समय वह अपनी सीट पर थे। उन्होंने इसके साथ ही मत विभाजन की मांग भी की थी।
  • इसी तरह के. के. रागेश ने 1.10 पर कृषि विधेयक में संशोधन पेश किया, उन्होंने इस पर मत विभाजन की मांग की थी। वे उस समय अपनी सीट पर ही थे। उनकी यह मांग भी खारिज कर दी गई थी।
  • लेकिन इस पर राज्यसभा के उप सभापति का जवाब दूसरा है। वह कहते हैं कि के. के. रागेश की मांग को ध्वनि मत से 1.07 पर खारिज कर दिया गया था। वह उस समय अपनी सीट पर नहीं थे, वेल में थे, यानी सभापति के आसन के नज़दीक थे

सदन का समय बढ़ाने पर सवाल

उस दिन सदन की कार्यवाही का समय बढ़ाने के मुद्दे पर भी सवाल उठते हैं।
  • 1 बजे राज्यसभा के उप सभापति ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि 1 बज गए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन का समय बढ़ाने को कहा।
  • उप सभापति ने सदन में पूछा कि क्या विधेयक पर काम पूरा होने तक सदन चलते रहना चाहिए। 
  • 1.03 बजे सदन में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि यदि सदन का समय बढ़ाया जाता है तो यह आम सहमति के आधार पर ही होना चाहिए। 
  • उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सदस्य चाहते हैं कि सदन का समय नहीं बढ़ाया जाए और मंत्री कल जवाब दें।
  • लेकिन 1.07 बजे विपक्ष की नारेबाजी के बीच उप सभापति विधेयक पारित होने के पहले की क़ानूनी ज़रूरतें पूरी करने लगते हैं। 
  • यानी, विपक्ष के नहीं चाहने के बावजूद सदन की कार्यवाही का आगे बढ़ाया गया था।

विपक्ष का आरोप है कि उप सभापति ने विधेयक पारित कराने में सरकार की मदद की है। उप सभापति का कहना है कि सदन में अव्यवस्था थी, इसलिए मत विभाजन नहीं कराया गया।

इसके बावजूद हरिवंश ने अगले दिन सदन में शोरगुल मचाने पर 8 सदस्यों को निलंबित कर दिया। इसके वाद वे सदस्यों के व्यवहार से इतने 'दुखी' हुए कि सभापति और राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी। 

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