उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में बग़ावत की सुगबुगाहट है। पार्टी के बड़े चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट कर कांग्रेस के कैंप में हलचल मचा दी है। रावत ने ट्वीट कर कहा है कि चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है लेकिन संगठन का ढांचा अधिकांश जगहों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।
रावत ने अपने ट्वीट के जरिये कांग्रेस हाईकमान पर भी निशाना साधा है। रावत ने कहा है कि जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे उनके हाथ-पांव बांध रहे हैं।
रावत के बारे में यह बात आम है कि वह उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस के बाक़ी नेता सामूहिक नेतृत्व के तौर पर चुनाव में जाना चाहते हैं।
रावत के ही कहने पर हाईकमान ने गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन इसके बाद भी रावत का यह कहना कि संगठन का सहयोग नहीं मिल रहा है, यह गंभीर सवाल खड़े करता है।
रावत ने कहा है कि मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!। उन्होंने कहा है कि वह बड़ी उहापोह में हैं और नया साल शायद उन्हें रास्ता दिखा दे।
हाईकमान के दुलारे हैं रावत
रावत कांग्रेस हाईकमान के दुलारे नेता हैं। हाईकमान का हाथ हमेशा ही रावत के सिर पर रहा, चाहे वह कितनी ही बार चुनाव हारे, उत्तराखंड में रावत और उनकी पसंद को हमेशा अहमियत दी जाती रही।
हालिया कुछ सर्वे में इस बात को दिखाया गया है कि उत्तराखंड में कांग्रेस बीजेपी को करारी टक्कर दे रही है। रावत के बारे में यह कहा जाता है कि वह कांग्रेस में वहां सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं।
रावत इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और सोनिया से लेकर मनमोहन सिंह तक के साथ काम कर चुके हैं। वे 45 साल से कांग्रेस में हैं और सरकार व संगठन में तमाम बड़े पदों पर रह चुके हैं।
ऐसे हालात में कांग्रेस के इस दिग्गज नेता का यह ट्वीट करना कि 'जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे हाथ-पैर बांध रहे हैं', इसका सीधा मतलब है कि रावत हाईकमान से नाराज़ हैं और वह चाहते हैं कि उन्हें खुलकर मैदान में उतरने दिया जाए।
बीते कुछ सालों में तमाम बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर गए हैं। G-23 गुट के नेता पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। ऐसे में एक पुराने नेता हरीश रावत भी अगर पार्टी से नाराज़ होते हैं तो कांग्रेस के लिए उत्तराखंड में चुनाव लड़ना ही बेहद मुश्किल हो जाएगा।