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हरिद्वार जिला रहेगा सील, कांवड़ लेने न आएं उत्तराखंड: पुलिस

हरिद्वार जिला रहेगा सील, कांवड़ लेने न आएं उत्तराखंड: पुलिस

उत्तराखंड सरकार की ओर से कांवड़ यात्रा 2021 को रद्द करने के आदेश के बाद राज्य की पुलिस ने भी सख़्त रूख़ दिखाया है।

उत्तराखंड सरकार की ओर से कांवड़ यात्रा 2021 को रद्द करने के आदेश के बाद राज्य की पुलिस ने भी सख़्त रूख़ दिखाया है। हरिद्वार जिला, जहां जल लेने के लिए लाखों कांवड़िए आते हैं, वहां की पुलिस ने साफ कहा है कि कोई भी कांवड़िया जल भरने के लिए हरिद्वार न पहुंचे वरना क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

इधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को इस मामले में कड़ा रूख़ अख़्तियार किया और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि आख़िर उसने कोरोना महामारी के दौरान कांवड़ यात्रा के आयोजन की अनुमति क्यों दी है। 

अदालत ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया। 

बहरहाल, उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा है कि राज्य की सीमाओं पर पुलिस फ़ोर्स तैनात रहेगी और किसी भी सूरत में लोगों को आने नहीं दिया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार जिले की सभी सीमाएं सील रहेंगी इसलिए मेले में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है। 

पुलिस ने कहा है कि दूसरे प्रदेश से कोई व्यक्ति अगर हरिद्वार पहुंचता है तो नियमों के मुताबिक़ 14 दिन का इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन अनिवार्य है। अगर किसी ने जिले में आने की कोशिश की तो उसके वाहन को जब्त कर लिया जाएगा। एसएसपी ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने पर हरिद्वार पुलिस आपदा प्रबंधन अधिनियिम के तहत क़ानूनी कार्रवाई करेगी। 

हालांकि दूसरे राज्यों से आने वाले कांवड़ियों को टैंकरों के जरिये गंगाजल उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है। 

सरकार का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उन्होंने इस बारे में अपनी सरकार के और पड़ोसी राज्यों की सरकार के अफ़सरों से बात कर ली है और फ़ैसला लिया है कि कांवड़ यात्रा नहीं कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि हरिद्वार कोरोना का केंद्र बने। 

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि धर्म में आस्था होने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करें। उन्होंने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने तीसरी लहर की चेतावनी जारी की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बारे में चिंता जताई है। उनियाल ने कहा कि कांवड़ यात्रा को रद्द करने का फ़ैसला लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। 

 - Satya Hindi

कोर्ट के फ़ैसले पर नज़र 

जबकि योगी आदित्यनाथ सरकार किसी भी सूरत में कांवड़ यात्रा कराना चाहती है। हालांकि अभी गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है और शीर्ष अदालत इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी। अदालत ने बुधवार को हुई सुनवाई में कहा था कि कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू हो रही है, ऐसे में इन सरकारों को जल्द से जल्द अपना जवाब दाख़िल करना चाहिए। 

पर्यटक गिरफ़्तार 

उत्तराखंड पुलिस इन दिनों काफ़ी सख़्त है और बुधवार को उसने कोरोना की फ़र्ज़ी आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लेकर देहरादून-मसूरी घूमने आए 13 पर्यटकों को गिरफ़्तार कर लिया। इन सभी के ख़िलाफ़ महामारी एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है। 

क्या है मान्यता?

कांवड़ यात्रा सावन महीने में होती है। इस दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा के कई इलाक़ों से कांवड़िए जल लेने हरिद्वार और दूसरी जगहों पर आते हैं और वापस अपने शहरों में पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। साल 2019 में 3.5 करोड़ कांवड़िए हरिद्वार आए थे जबकि 2 से 3 करोड़ कांवड़िए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों से जल भरकर ले गए थे। 

उत्तर भारत के अलावा ओडिशा में भी कौड़िया और बोल बम नाम से धार्मिक आयोजन होते हैं। बोल बम भी कांवड़ यात्रा की ही तरह है और इसमें श्रद्धालु नदियों से पानी लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। 

ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का शरीर जलने लगा था। उनके शरीर को ठंडा करने के लिए देवताओं ने उनके शरीर पर जल डाला, इससे शिव के शरीर को राहत मिली। इसी मान्यता के कारण कांवड़िए जल लाकर शिव को अर्पित करते हैं। 

कांवड़ के बारे में एक मान्यता यह भी है कि सबसे पहले परशुराम ने गंगा से कांवड़ के जरिये जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाया था और तभी से यह परंपरा शुरू हुई थी। 

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