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हमास-इज़राइल युद्धः क्या है अल अक्सा विवाद, परिसर में बार-बार हमला क्यों                      

हमास-इज़राइल युद्धः क्या है अल अक्सा विवाद, परिसर में बार-बार हमला क्यों                      

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष 1945 से जारी है। लेकिन इस बार हमास ने कहा कि मस्जिद अल अक्सा पर इजराइल की ओर से हो रहे बार-बार हमलों की वजह से उन्हें शनिवार को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा। वो अल अक्सा में इजराइल को और अधिक अपराध की अनुमति नहीं दे सकते। आखिर यह सारा विवाद क्यों खड़ा हुआ, अल अक्सा मुद्दा क्या है, इजराइल बार-बार उकसावे की कार्रवाई क्यों कर रहा है। जानिए इस रिपोर्ट में। इस रिपोर्ट के संदर्भ न्यू यॉर्क टाइम्स और अल जज़ीरा से लिए गए हैं।

हमास की अल कासम ब्रिगेड ने जब शनिवार 7 अक्टूबर की सुबह पांच हजार रॉकेटों से इजराइल पर हमला शुरू किया तो उसने एक घंटे के अंदर बता दिया कि यह ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड्स है। यानी इस हमले के केंद्र में अल अक्सा है। हमास को यूएन, अमेरिका और इजराइल ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है लेकिन फिलिस्तीनी जनता के लिए यह एक जनसंगठन है, जिसकी अपनी फौज है, जो उनके अधिकारों की रक्षा करता है। इजराइल ने शनिवार को इसे युद्ध बताया और कहा कि वो ग़ज़ा में फिलिस्तीनी हिस्से को मलबे में बदल देंगे।   

अल कासम ब्रिगेड के कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा कि यह ऑपरेशन यरूशलम में टेम्पल माउंट या अल-अक्सा मसजिद को इजराइल द्वारा "अपवित्र" करने का नतीजा है। यरूशलम यहूदियों और मुसलमानों के लिए पवित्र स्थल है। 

अल अक्सा मसजिद/माउंट टेंपल का प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत जॉर्डन की यरुशलम वक्फ काउंसिल करती है। वर्ल्ड मीडिया ने 4 अक्टूबर को बताया कि दर्जनों इजराइली "निवासियों" ने अल-अक्सा मस्जिद में जबरन प्रवेश किया। जॉर्डन की वक्फ काउंसिल ने इस पवित्र क्षेत्र में "घुसपैठ" के खिलाफ अम्मान में इजराइली दूतावास को "विरोध का ज्ञापन" भी भेजा। यह ज्ञापन जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक्स (ट्विटर) पर साझा किया था। इस ज्ञापन में इजराइली पुलिस बलों द्वारा मसजिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ पूर्वी यरुशलम में ईसाइयों पर बढ़ते हमलों का मुद्दा भी उठाया गया। यानी आरोप यह है कि इस पवित्र स्थान पर मुस्लिमों और ईसाइयों को जाने से इजराइली पुलिस रोक रही है। आए दिन उकसावे की कार्रवाई की जा रही है।

इसके पहले 17 सितंबर को भी इजराइल ने उकसावे वाली कार्रवाई की। अलजज़ीरा के मुताबिक इजराइली सेना ने बाब अस-सिलसिला में फिलिस्तीनी नमाजियों पर हमला किया। बाब अस सिलसिला कब्जाए गए पूर्वी यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर के मुख्य प्रवेश द्वारों में से एक है। इजराइली बलों ने 17 सितंबर को कड़े सुरक्षा उपाय किए। अल-अक्सा मसजिद से नमाजियों को बाहर निकाला और इसके आसपास अपनी गतिविधि तेज कर दी। इसके बाद 50 वर्ष से कम उम्र के किसी भी फिलीस्तीनी को वहां प्रवेश से वंचित कर दिया।

17 सितंबर को अल अक्सा परिसर में जो हुआ, वो दहलाने वाला था। उसकी एक बानगी, आप इस वीडियो से देख सकते हैं। अल जज़ीरा ने अपनी रिपोर्ट में ट्विटर से लिए हए इस वीडियो का इस्तेमाल किया था।

इस्राइली कब्जाधारियों को जब मसजिद परिसर से हटाया गया तो उन्होंने जाते समय वहां डांस किया। लेकिन तब तक उनका मकसद पूरा हो चुका था। इस्राइली पुलिस उल्टा नमाजियों पर डंडे बरसा रही थी। सितंबर से पहले अप्रैल और उससे भी पहले फरवरी में जबरन घुसने की कार्रवाई हो चुकी है। यानी हर दो-तीन महीने पर इजराइल की ओर से यहां कोई न कोई कार्रवाई की जाती है। 1990 में तो अल अक्सा परिसर में इजराइली पुलिस ने 17 निहत्थे फिलिस्तीनी मुसलमानों की हत्या कर दी और 150 को जख्मी कर दिया। इजराइल में अल अक्सा/माउंट टेंपल कई बार राजनीतिक मुद्दा भी बन जाता है। 

अल अक्सा मसजिद 35 एकड़ जगह में फैली है। मुसलमान इस जगह को हरम अल शरीफ (डोम ऑफ द रॉक) कहते हैं। इस्लामी धर्मग्रंथ के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद साहब शब-ए-मेराज में मक्का से स्वर्ग जाते हुए सबसे पहले इस मस्जिद तक आए और फिर स्वर्ग चले गए। यहूदी इस स्थान को टेम्पल माउंट कहते हैं। उनकी मान्यता है कि यह जगह दो प्राचीन मंदिरों का स्थान है, जिन्हें कभी नष्ट कर दिया गया होगा। मंदिर के नाम पर एक दीवार को वो पूजते हैं जो अल अक्सा परिसर में है। जबकि मसजिद सदियों पुरानी है और शुरू से इसी अवस्था में है। दोनों के प्रवेश द्वार अलग-अलग हैं लेकिन यहूदी त्यौहार आने पर इजराइली पुलिस मसजिद में किसी को घुसने पर रोकटोक करती है। इसी पर संघर्ष होता है। यहूदी त्यौहार आए दिन मनाए जाने का सिलसिला चलता रहता है।

1967 के अरब-इजराइल युद्ध के दौरान इज़राइल ने पूर्वी यरुशलम और पुराने शहर पर कब्जा कर लिया, जिसमें यह स्थल भी शामिल है, फिर इसे अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ, जिसके तहत इसका नियंत्रण जॉर्डन द्वारा नियंत्रित वक्फ को सौंप दिया गया। लेकिन इजराइल बीच-बीच में उकसावे की कार्रवाई करता रहता है। 

न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में लिखा गया है- इज़राइली सुरक्षा बल साइट पर उपस्थिति बनाए रखते हैं। वहां यहूदी और ईसाई आ सकते हैं। लेकिन बाकी पर रोकटोक है। अभी हाल ही में इजराइली पुलिस ने चुपचाप यहूदियों को वहां प्रार्थना करने की इजाजत दे दी।

न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक इज़राइली धार्मिक राष्ट्रवादियों ने तेजी से इस स्थान पर जाने का मुद्दा अपने देश में उठाया है। हमास सैन्य विंग ने शनिवार को हमले के बाद बयान में मसजिद में यहूदी प्रार्थना का हवाला दिया है। उसने कहा कि इजराइली "आक्रामकता" मसजिद परिसर में बढ़ती जा रही है और "पिछले दिनों में चरम पर पहुंच गई थी।" 

यह साइट लंबे समय से संघर्ष का फ्लैशप्वाइंट बनी हुई है। इससे पहले सन् 2000 में इज़राइल के तत्कालीन दक्षिणपंथी विपक्षी नेता एरियल शेरोन ने यहां की बार-बार यात्रा करके इसे इजराइल में मुद्दा बना दिया था, जबकि उस समय की इजराइली सरकार एरियल शेरोन के अल अक्सा का बार-बार चक्कर लगाने के खिलाफ थी। उसने शेरोन को रोकने की कोशिश की। बेंजामिन नेतन्याहू भी कट्टर दक्षिणपंथी नेता हैं। हाल के वर्षों में इस स्थल पर इजराइली पुलिस की झड़पें बढ़ रही हैं। मई 2021 में मसजिद परिसर में इजराइली कार्रवाई की वजह से इजराइल और हमास के बीच 11 दिन युद्ध चला था। 

इस रिपोर्ट को पढ़ने वाले पाठकों को 1967 में इजराइल-अरब युद्ध और उससे पहले इजराइल के अस्तित्व में आने का इतिहास जरूर पढ़ना चाहिए। अगर उन घटनाओं को इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा तो रिपोर्ट काफी लंबी हो जाएगी। इसलिए उन घटनाक्रमों का इस रिपोर्ट में सिर्फ संकेत दिया गया है।

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