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हमास-इजराइल युद्धः कैसे रुकेगा संघर्ष, बड़े देशों की नीयत क्या है 

हमास-इजराइल युद्धः कैसे रुकेगा संघर्ष, बड़े देशों की नीयत क्या है 

इजराइल की धमकियों और हमास के दुस्साहस ने इस युद्ध को प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया है। बड़े देश या तो इजराइल के साथ हैं या फिर तटस्थ हैं। हमास ने पश्चिमी एशिया में सारा समीकरण बदल दिया है। अमेरिका खुलकर इजराइल के साथ आ गया है। रूस, चीन और तुर्की युद्ध रुकवाने के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभाने को तैयार हैं, लेकिन रास्ते में व्यावहारिक मुश्किलें हैं। इस गुत्थी को समझिएः

यूएन नामक संस्था है जो ऐसे युद्ध में शांति बहाली की कोशिश करती है। यूएन की अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन बेनतीजा रहीं। यूएन तटस्थता दिखा रहा है लेकिन ग़ज़ा में मचाई गई तबाही की निन्दा के लिए तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव का कहना है कि वह ग़ज़ा पट्टी की पूरी घेराबंदी से "बहुत व्यथित" हैं। यूएन ने हमास की निन्दा की लेकिन ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए इजराइल की निन्दा नहीं की। बुधवार 11 अक्टूबर को युद्ध का पांचवां दिन है। इजराइल ने कहा है कि उसके 1200 लोग मारे गए हैं, जिनमें विदेशी भी हैं। ग़ज़ा में 1150 लोग मारे गए हैं। हालांकि रॉयटर्स और अन्य पश्चिमी एजेंसी दोनों तरफ मरने वालों की तादाद 3500 बता रही हैं। ग़ज़ा में करीब पांच हजार लोग जख्मी हैं। ढाई लाख लोग बेघर हो गए हैं।

कौन सा देश किस तरफ है और कौन मध्यस्थता करना चाहता है, आगे पढ़िएः

अरब लीग का रवैया

अरब लीग के विदेश मंत्री आपातकालीन शिखर सम्मेलन कर रहे हैं। लीग के बयान में कहा गया है कि फिलिस्तीनी प्रतिनिधिमंडल ने असाधारण सत्र का अनुरोध किया था। महासचिव होसाम ज़की ने कहा कि मंत्री ग़ज़ पर "इजराइल की आक्रामकता को रोकने" के अरब प्रयासों पर चर्चा करेंगे। हालांकि बैठक के संभावित नतीजे अस्पष्ट हैं। ज़वेरी का कहना है कि अरब लीग की कोई भूमिका नहीं है। यह खंडित अरब सरकारों का प्रतिबिंब है। इसके पास कोई ताकत नहीं है। 

क्या चाहता है चीनः बीजिंग ने संघर्ष के बढ़ने पर गहरी चिंता व्यक्त की और दोनों पक्षों से "शांत रहने" का आह्वान किया। चीन मध्यस्थता को भी तैयार है। सवाल है कि क्या चीन ईरान और सऊदी अरब के बीच सफलतापूर्वक मेल-मिलाप कराने के बाद खुद को क्षेत्रीय शांति निर्माता के रूप में बढ़ावा देने की कोशिश करेगा। अप्रैल में, चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री किन गैंग ने इजराइली और फिलिस्तीनी विदेश मंत्रियों से कहा था कि चीन शांति वार्ता के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार है। चीन इजराइल-फिलिस्तीनी संघर्ष के लिए दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है, जो 1967 से पहले की सीमाओं पर आधारित है और पूर्वी यरुशलम को एक संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की राजधानी के रूप में रखा गया है। इसने फ़िलिस्तीनियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय विकास सहायता की भी वकालत की है।

इजिप्ट में चुनाव है, तो चुप्पी है

मिस्र ने पिछले संघर्षों में इज़राइल और फिलिस्तीनी समूहों के बीच मध्यस्थ के रूप में काम किया है, लेकिन वहां के मंत्री ज़वेरी का कहना है कि उनका देश इस बार ग़ज़ा में बढ़ती स्थिति से खुद को दूर रखने की कोशिश करेगा। “जो कुछ हो रहा है उससे हम खुद को दूर रखना चाहते हैं क्योंकि… मिस्र में चुनाव होने जा रहे हैं।” 

यूरोप का रुख क्या हैः फ्रांस और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों के नेताओं ने हमास के हमलों की निंदा की और इजराइल के साथ एकजुटता दिखाई है। यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री युद्ध पर चर्चा के लिए एक असाधारण बैठक आयोजित करने वाले हैं। संघर्ष पर यूरोपीय संघ की प्रारंभिक प्रतिक्रिया फ़िलिस्तीनियों के लिए मदद को तत्काल निलंबित करने की घोषणा करना थी। बाद में उसने कहा कि वह सहायता की समीक्षा करेगा, उसे निलंबित नहीं करेगा। स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बरेज़ ने कहा कि ऐसा कदम अस्वीकार्य है और सहयोग जारी रहना चाहिए। उन्होंने स्पेनिश रेडियो स्टेशन कैडेना एसईआर को बताया, "हम हमास को, जो यूरोपीय संघ की आतंकवादी समूहों की सूची में है, फ़िलिस्तीनी आबादी, फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण या ज़मीन पर मौजूद संयुक्त राष्ट्र संगठनों के साथ भ्रमित नहीं कर सकते।"

ईरान क्या चाहता है

मध्यस्थता में ईरान की संभावित भूमिका अस्पष्ट अभी है। ईरान के सर्वोच्च नेता अली होसैनी खामेनेई ने कहा है: “हम निश्चित रूप से फिलिस्तीनियों के साथ हैं। हम फ़िलिस्तीन के बहादुर लड़ाकों और युवाओं के माथे और बांहों को चूमते हैं, हाँ यह सच है। लेकिन जो लोग कहते हैं कि जो किया गया उसके पीछे गैर-फिलिस्तीनी लोग थे... वे फिलिस्तीनियों को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। उन्होंने फ़िलिस्तीन राष्ट्र को कमतर आंका है। यह उनकी गलती है। ईरान की इस हमले में कोई भूमिका नहीं है।”

कतर का रुख

कतर को फिलिस्तीनी-इजराइल संघर्ष में मध्यस्थता प्रयासों और ग़ज़ा की मदद के लिए जाना जाता है। कतर  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने रॉयटर्स से कहा, "हमारी प्राथमिकताएँ खून खराबे को खत्म करना, कैदियों को रिहा करना और यह सुनिश्चित करना है कि संघर्ष पर कोई क्षेत्रीय प्रभाव न पड़े।" हालाँकि, एक इज़राइली अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया: "कोई बातचीत नहीं चल रही है।"

रूस का रुखः रूस पूरी तौर पर हमास का समर्थन कर रहा है। हालांकि उसने मध्यस्थ की भूमिका के लिए खुद को पेश नहीं किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि फिलिस्तीनी राज्य बनाना इजराइल में शांति के लिए "सबसे विश्वसनीय" समाधान है और अकेले लड़ने से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने ग़ज़ा में कत्ल-ए-आम के लिए इजराइल की आलोचना की।

तुर्की शांति चाहता है

राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हमास लड़ाकों और इजराइली सशस्त्र बलों दोनों से हिंसा रोकने का आह्वान किया और मध्यस्थता की पेशकश की। यदि शांति वार्ता शुरू होती है, तो तुर्की और कतर दोनों की सक्रिय भूमिका होगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि उन दोनों का हमास और इज़राइल के साथ कम्युनिकेशन है। यह देखना होगा कि दोनों पक्षों से बात करने में कौन सक्षम है।

अमेरिका की भूमिका

सारे मामले में अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। वो खुलकर इजराइल के साथ है। हालांकि अमेरिका में फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं। हजारों लोगों ने शिकागो में सड़कों पर प्रदर्शन कर ग़ज़ा में बिजली, पानी, खाना-दाना बंद करने का विरोध किया। लेकिन अमेरिका ने इज़राइल को "कठोर और अटूट" समर्थन का वादा किया है। उसने कहा है कि वह अपने सैन्य जहाजों और विमानों को उसके करीब ले जाने और युद्ध सामग्री भेजेगा। हालांकि वाशिंगटन ने कहा है कि वो भविष्य में फिलिस्तीनी राज्य चाहता है, लेकिन वह इजराइल को, जिसे वह सालाना 3 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देता है, फिलिस्तीनियों के साथ किए गए समझौतों का सम्मान करने के लिए मनाने में विफल रहा है। लेकिन यह साफ है कि अमेरिका मूल रूप से इज़राइल को ग़ज़ा में वह सब करने की अनुमति दे रहा है जो वो चाहता है।

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