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क्या हमास के हमले का संबंध भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर से है?

क्या हमास के हमले का संबंध भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर से है?

इजराइल पर 7 अक्टूबर को हमास के हमले को लेकर तरह-तरह की कहानियां पेश की जा रही हैं। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे भारत से जोड़कर नई कहानी को जन्म दे दिया है। पढ़िए, उन्होंने क्या कहा हैः

पीटीआई की खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि उन्हें यकीन है कि हमास द्वारा इजराइल पर आतंकवादी हमला करने का एक कारण भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारा है। इस कॉरिडोर की घोषणा हाल ही में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी। इस कॉरिडोर के जरिए पूरे क्षेत्र को रेलमार्गों के नेटवर्क से जोड़े जाने का प्रस्ताव है।

7 अक्टूबर को हमास ने जबरदस्त हमलों में इजराइल में घुसकर 1,400 से अधिक लोगों को मार डाला था। हालांकि इजराइल ने फिर से इस संख्या को 1300 बताया है। इस हमले के बाद इज़राइल ने भी गजा पर जवाबी कार्रवाई की, जो गुरुवार को 20वें दिन भी जारी है। गजा में 6500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। करीब आठ हजार लोग घायल हैं। 

बाइडेन ने भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि उनका विश्लेषण उनकी अपनी सोच पर आधारित है और इसके लिए उनके पास कोई सबूत नहीं है।

पीटीआई ने बाइडेन के बयान को कोट किया है- “मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि हमास का हमला उन कारणों में से एक कारण है। मेरे पास इसका कोई सबूत नहीं है, बस मेरी अंतरात्मा मुझे बता रही है कि इसकी वजह वो कारण था जो हम इज़राइल के लिए क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में कर रहे थे। भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर इस एकीकरण का हिस्सा है। हम उस काम को पीछे नहीं छोड़ सकते।”

एक हफ्ते से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब बाइडेन ने हमास के हमले के संभावित कारण के रूप में भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (आईएमईसी) का उल्लेख किया है। बाइडेन ने यह भी कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में मैंने जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला, मिस्र के राष्ट्रपति सिसी, फिलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति अब्बास और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सहित पूरे क्षेत्र के नेताओं से बात की है। इज़राइल के लिए अधिक एकीकरण की दिशा में काम करने की आवश्यकता के बारे में जोर देते हुए बाइडेन ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाएं उस भविष्य का भी हिस्सा होंगी।

क्या है भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर

इस आर्थिक कॉरिडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। सितंबर में नई दिल्ली में जी20 के दौरान संयुक्त रूप से अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने घोषणा की। थी इस गलियारे में एक पूर्वी गलियारा शामिल है जो भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ता है और एक उत्तरी गलियारा है जो खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ता है। आईएमईसी कॉरिडोर में एक बिजली केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी शामिल होगी।

भारत के लिए इसका महत्व

भारत में मुंद्रा (गुजरात), कांडला (गुजरात), और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई) इस कॉरिडोर से जुड़े हैं। मुंद्रा पोर्ट का संचालन अडानी समूह करता है। गुजरात के दो बंदरगाह को इससे फायदा मिलेगा। संयुक्त अरब अमीरात में फ़ुजैरा, जेबेल अली और अबू धाबी के साथ-साथ सऊदी अरब में दम्मम और रास अल खैर बंदरगाह इस कॉरिडोर के रास्ते में हैं। रेलवे लाइन फ़ुजैरा बंदरगाह (यूएई) को सऊदी अरब (घुवाईफ़ात और हराद) और जॉर्डन के जरिए हाइफ़ा बंदरगाह (इज़राइल) से जोड़ेगी। इज़राइल में हाइफ़ा बंदरगाह इस कॉरिडोर के लिए सबसे महत्वपूर्म है। हाइफा बंदरगाह को अडानी समूह डेवलेप कर रहे हैं। यूरोप के ग्रीस में पीरियस बंदरगाह, दक्षिण इटली में मेसिना और फ्रांस में मार्सिले बंदरगाह इस कॉरिडोर से जुड़ेंगे।

इस कॉरिडोर की घोषणा के समय पाकिस्तान को पूरी तरह नजरन्दाज किया गया। हालांकि कुछ सऊदी अरब इसमें पाकिस्तान को शामिल करने की हिमायत कर रहे थे लेकिन भारत के कड़े विरोध के बाद पाकिस्तान का नाम प्रस्ताव से हटा दिया गया। 

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