ज्ञानवापीः 'शिवलिंग' की कॉर्बन डेटिंग की मांग पर नोटिस
ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष ने मस्जिद के अंदर अंडाकार वस्तु को शिवलिंग बताते हुए कॉर्बन डेटिंग की मांग कोर्ट से की है। इस पर वाराणसी कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मसजिद कमेटी को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 29 सितंबर को होगी।
ज्ञानवापी मसजिद फिलहाल इंतेजामिया कमेटी के कब्जे में है। 12 सितंबर को, अदालत ने कमेटी द्वारा दायर उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें पांच हिन्दू महिलाओं की याचिका न सुनने की मांग की गई थी। पांच हिंदू महिलाओं ने एक याचिका दायर कर पूरे साल मसजिद कैंपस के अंदर हिंदू देवताओं की पूजा करने का अधिकार मांगा था।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु एस जैन ने गुरुवार को बताया कि उस अंडाकार वस्तु की उम्र का पता लगाने के लिए कॉर्बन डेटिंग की मांग करने वाले उनके आवेदन को 29 सितंबर को निपटाया जाएगा। एक स्वतंत्र एजेंसी को इसकी जांच करना होगा और पता लगाना होगा। वकील जैन ने दावा किया कि वो अंडाकार वस्तु शिवलिंग है।
Court issued a notice over our application for carbon dating & demanded objections from Muslim side; disposal on Sept 29. Court rejected the 8 weeks time (sought by mosque committee to prepare for next hearing): Vishnu S Jain, representing the Hindu side in Gyanvapi mosque case pic.twitter.com/GRsvHiETrV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 22, 2022
एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें अगली सुनवाई की तैयारी के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा गया था।
क्या है पूरा मामला
मई में, वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद के वीडियो सर्वेक्षण की अनुमति दी। जिसमें पाया गया कि कैंपस में एक अंडाकार वस्तु मौजूद थी। मुसलमानों ने कहा कि वह वस्तु वज़ू खाना या टैंक में लगा एक फव्वारा है। उस तरह के फव्वारे तमाम पुरानी ऐतिहासिक बिल्डिंगों में लगे हुए हैं। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि वो अंडाकार वस्तु दरअसल शिवलिंग है।इसके बाद सिविल कोर्ट ने उस क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया जहां अंडाकार वस्तु सील थी। लेकिन वहां नमाज पढ़ने और वजू करने पर कोई रोक नहीं लगाई।
मस्जिद कमेटी ने जब सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो सुप्रीम कोर्ट 17 मई को निर्देश दिया कि सर्वे के दौरान मिली अंडाकार वस्तु को सुरक्षित रखा जाए। उसने मामले को वाराणसी जिला कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जिला कोर्ट को निर्देश दिया कि वह पहले सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे पर फैसला करे।
12 सितंबर को, जिला जज एके विश्वेश ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अर्जी को खारिज कर दिया था और कहा था कि हिंदू देवताओं की पूजा करने के लिए पांच महिलाओं की याचिका आगे सुने जाने योग्य है।
जज ने हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार कर लिया था कि वे मस्जिद के धार्मिक स्वरूप को नहीं बदलना चाहते थे। उन्होंने दावा किया कि वे केवल मस्जिद परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पूजा करना चाहते थे, जो 1993 तक होती रही थी।
12 सितंबर के फैसले के बाद, मामले में हिंदू पक्ष में से एक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक कैविएट दाखिल किया था, जिसमें अधिकारियों से अनुरोध किया गया था कि अगर अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी की अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करती है तो उसका पक्ष भी सुना जाए।