लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी या भाजपा का खाता खुल गया है। गुजरात के सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल बिना चुनाव लड़े और मतदान से पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए हैं।
निर्वाचन अधिकारी ने सोमवार को उन्हें जीत का सर्टिफिकेट भी दे दिया है। इस सीट से उनके मुख्य विरोधी कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन पत्र रविवार को रद्द हो गया था। उनके नामांकन पत्र में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर में गड़बड़ी थी।
इस आधार पर उनका नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया। नामांकन पत्र में गड़बड़ी की शिकायत भाजपा नेता और पूर्व डिप्टी मेयर दिनेश जोधानी ने चुनाव आयोग से की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी ने अपने नामांकन पत्र में प्रस्तावकों के फर्जी हस्ताक्षर करवाएं हैं।
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सौरभ पारधी ने शिकायत के बाद रविवार को नीलेश कुंभाणी से स्पष्टीकरण मांगा था। रविवार को जिला निर्वाचन अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों के समक्ष इस मामले में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान नीलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र में जिन चार प्रस्तावकों का हस्ताक्षर था वे नहीं पहुंचे।
सुनवाई में इस गड़बड़ी के आधार पर चुनाव अधिकारी ने नीलेश कुंभाणी का नामांकन पत्र रद्द कर दिया। इसको लेकर जानकारी दी गई है कि कांग्रेस उम्मीदवार के नामांकन पत्र को प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगतियां पाए जाने के बाद रद्द कर दिया गया है। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि ये हस्ताक्षर असली नहीं लग रहे हैं।
सूरत लोकसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार के साथ कुल 10 उम्मीदवार थे। इसमें 7 निर्दलीय और एक बसपा उम्मीदवार भी थे।
इस मामले में चौंकाने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्द होने के बाद पहले सभी सातों निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, इसके बाद इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार के विरोध में सिर्फ बसपा उम्मीदवार बचे थे।
हद तो यह हो गई कि सोमवार को बसपा उम्मीदवार प्यारे लाल भारती ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया। इसके बाद सूरत लोकसभा सीट के चुनावी मैदान में सिर्फ और सिर्फ भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल बचे। इस सीट पर उनके अकेले बचे होने के कारण निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें निर्विरोध जीत का सर्टिफिकेट भी सोमवार को दे दिया।
आमतौर पर लोकसभा चुनाव में इस तरह से निर्विरोध चुने जाने की घटना होती नहीं है। माना जा रहा है कि गुजरात के इतिहास में यह पहली घटना है कि लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार निर्विरोध चुना गया है। वहीं निर्विरोध निर्वाचित होने वाले वह भाजपा के पहले सांसद हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन पत्र को रद्द किए जाने और भाजपा प्रत्याशी के निर्विरोध चुने जाने पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा के इशारे पर उसके उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया है। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा है कि पार्टी इस मामले में अपनी लीगल टीम से मशविरे के बाद हाईकोर्ट या सीधे सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर करेगी।