गुजरातः बीजेपी में बगावत बढ़ी, सोमवार को सारा दिन प्रदर्शन

07:11 pm Nov 14, 2022 | सत्य ब्यूरो

गुजरात बीजेपी के गांधी नगर मुख्यालय पर सोमवार को दिन भर प्रदर्शन हुए। पार्टी में प्रदर्शनों का सिलसिला शनिवार से ही चल रहा है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को आकर यहां बागी विधायकों और अन्य नेताओं के साथ बैठक ली थी। उसके बाद उम्मीद थी कि प्रदर्शनों का सिलसिला रुक जाएगा लेकिन प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि बीजेपी कार्यकर्ता टिकटों में करप्शन का आरोप लगा रहे हैं। इसमें कितनी सच्चाई है, इसका स्पष्टीकरण पार्टी ने भी अभी तक नहीं दिया है।

बीजेपी का प्रदेश कार्यालय कमलम गांधी नगर में है। प्रदेश के कोने-कोने से असंतुष्ट विधायकों और नेताओं के कार्यकर्ता यहां सुबह से ही पहुंचने लगे। धवल सिंह झाला और रणछोर रबारी के समर्थक भारी संख्या में कमलम पर पहुंचे और कई घंटे तक प्रदर्शन करते रहे। धवल सिंह झाला के समर्थक बायद में भी सोमवार को उनके समर्थन में प्रदर्शन करते रहे। पाटन से डॉ राजुल देसाई को बीजेपी प्रत्याशी घोषित करने का भारी विरोध शुरू हो गया है। 

बीजेपी ने इस बार करीब 50 से ज्यादा टिकट काटे हैं। जब पहली लिस्ट आई थी, तभी 38 टिकट  काट दिए गए थे। पूर्व सीएम विजय रुपाणी, नितिन पटेल समेत कई दिग्गज खुद ही अपनी इज्जत बचाने के लिए चुनाव लड़ने से पीछे हट गए। कई मंत्री तो ऐसे हैं, जिन्होंने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी। कुछ ने पहले ही स्थिति भांप ली और पीछे हट गए। 

बहरहाल, गुजरात बीजेपी के बागियों को मनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरी ताकत झोंक दी है। अमित शाह का रविवार को पूरा दिन पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के बागियों से बातचीत करते बीता। अमित शाह ने रविवार को गांधीनगर में उच्चस्तरीय बैठक की थी। पार्टी के कई असंतुष्टों को उनसे मिलवाया गया। शाह ने टिकट से वंचित बीजेपी विधायक राजेंद्र त्रिवेदी से बंद कमरे में बात की। राजेंद्र को वड़ोदरा के रावपुरा से इस बार टिकट नहीं मिला। त्रिवेदी बगावत पर उतारू हैं। वो निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। शाह ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की।

पार्टी द्वारा रमन पटेल को फिर से चुनाव लड़ने की अनुमति दिए जाने के बाद उत्तर गुजरात के विजापुर से पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए कमलम पर प्रदर्शन किया।

मध्य गुजरात में डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी ने गुजरात के गृह मंत्री और सूरत से माजुरा विधायक हर्ष सांघवी को नियुक्त किया था। लेकिन सांघवी वाघोडिया से छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव, वड़ोदरा के पाडरा से पूर्व विधायक दिनेश पटेल और कर्जन के पूर्व विधायक सतीश निशालिया जैसे बागियों को शांत नहीं कर पाए। सांघवी ने कई बार इन सभी असंतुष्टों की बैठक बुलाई लेकिन इन बागियों ने बैठकों का बहिष्कार कर दिया।

मधु भाई श्रीवास्तव, 6 बार के बीजेपी विधायक ने खुद को निर्दलीय घोषित किया

मध्य गुजरात में वाघोडिया के बाहुबली और छह बार के बीजेपी विधायक मधु भाई श्रीवास्तव ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सीएम भूपेंद्र पटेल के हाथ में कुछ नहीं है। अगर मुझे बात करना होती तो मैं सीधे पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात कर सकता था। लेकिन मेरी कर्तव्यनिष्ठा का कोई फल नहीं मिला। इसलिए मैं अब निर्दलीय लडूंगा और बीजेपी को बताऊंगा कि मुझे टिकट न देना का नतीजा क्या निकला।

वडोदरा के दो अन्य बीजेपी विधायक भी बगावत की राह पर हैं। कुछ ऐसा ही हाल सौराष्ट्र के केशोद में देखने को मिल रहा है जहां पूर्व विधायक अरविंद लदानी ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

इसी तरह चोर्यासी विधानसभा क्षेत्र से झंखाना पटेल को हटाए जाने का कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। पटेल ने 2017 में 1,10,819 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के बाद दूसरे स्थान पर थे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि झंखाना पटेल को टिकट न देने की वाजिब वजह पार्टी के पास नहीं है।

सौराष्ट्र की कई सीटों पर प्रत्याशी बदलने की मांग भी उठ रही है। इस बीच, वाडवन से पार्टी द्वारा मैदान में उतारी गई जिग्ना पांड्या ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने पार्टी नेताओं को एक पत्र लिख कहा है कि उनकी जगह पर किसी और को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए।