
400 करोड़ के 'घोटाले' में बीजेपी मंत्री के ख़िलाफ़ ट्रायल पर गुजरात हाईकोर्ट की रोक
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य के मत्स्यपालन मंत्री पुरुषोत्तमभाई सोलंकी के ख़िलाफ़ 400 करोड़ रुपये के कथित मत्स्यपालन घोटाले में मुक़दमे पर रोक लगा दी है। इस घोटाले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा रखी है और विपक्षी दलों ने इसे सत्तारूढ़ पार्टी के ख़िलाफ़ बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है।
अदालत का यह निर्णय सोलंकी द्वारा दायर एक याचिका के बाद आया, जिसमें उन्होंने अपने ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर और निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को चुनौती दी थी। सोलंकी के वकीलों ने तर्क दिया कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और इसको लेकर सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह घोटाला मत्स्यपालन विभाग में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का मामला है और इसमें सोलंकी के जुड़े होने की जाँच ज़रूरी है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई तक मुक़दमे पर रोक लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में गहन जांच की ज़रूरत है और सभी तथ्यों को ध्यान में रखा जाएगा।
यह घोटाला तब सुर्खियों में आया जब विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मंत्री सोलंकी ने मत्स्यपालन विभाग में ठेकों के आवंटन में अनियमितताएं कीं, जिससे राज्य को 400 करोड़ रुपये से अधिक का नुक़सान हुआ। सोलंकी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, और निचली अदालत में मुक़दमा चल रहा था। हालांकि, सोलंकी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया और उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उनके वकीलों ने दावा किया कि सबूतों का अभाव है और यह मामला उनके राजनीतिक करियर को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश है।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुक़दमे पर रोक लगा दी। यह फ़ैसला एक अंतरिम राहत के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह जाँच को लंबा खींचने का जरिया बनेगा या सचमुच तथ्यों को सामने लाने में मदद करेगा।
सोलंकी ने कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'मैं शुरू से कहता रहा हूं कि मेरे ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है। यह फ़ैसला मेरे पक्ष में न्याय का प्रतीक है। मैं अपने कर्तव्यों का पालन करता रहूंगा।' वहीं, विपक्ष ने इस रोक को 'सत्ता के प्रभाव का दुरुपयोग' बताते हुए आलोचना की और कहा कि वे इस मामले को जनता के बीच ले जाएंगे।
गुजरात में बीजेपी की मज़बूत सत्ता के बावजूद यह मामला विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन गया था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार के सबूत के रूप में पेश करते हुए सोलंकी के इस्तीफे की मांग की थी।
हाई कोर्ट का यह फ़ैसला बीजेपी के लिए राहत है और पार्टी को यह दावा करने का मौक़ा देता है कि विपक्ष के आरोप निराधार हैं।
यह मुद्दा अब विधानसभा के अंदर से सड़कों तक जा सकता है, क्योंकि विपक्ष इसे जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रहा है।
हाई कोर्ट का यह फ़ैसला अंतिम नहीं है। अगली सुनवाई में यह तय होगा कि सोलंकी के ख़िलाफ़ मुक़दमा आगे बढ़ेगा या पूरी तरह रद्द हो जाएगा। इस बीच, जांच की दिशा और निष्पक्षता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यदि जांच में कोई ठोस सबूत सामने नहीं आते, तो यह भाजपा की स्थिति को मजबूत करेगा। लेकिन अगर घोटाले के दावों में सच्चाई पाई गई, तो यह गुजरात में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर तब जब राज्य में उनकी सरकार दशकों से अजेय मानी जाती है।
जनता की नज़र भी इस मामले पर बनी हुई है। मत्स्यपालन गुजरात के तटीय इलाक़ों में एक महत्वपूर्ण आजीविका का स्रोत है, और इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार के आरोप आम लोगों को सीधे प्रभावित करते हैं। यदि यह धारणा मजबूत होती है कि सत्ता में बैठे लोग जवाबदेही से बच रहे हैं, तो यह बीजेपी की छवि को नुक़सान पहुंचा सकता है।
यह मामला न केवल सोलंकी के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि गुजरात में बीजेपी और विपक्ष के बीच शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)