कोरोना वायरस धर्म देखकर तो लोगों को संक्रमित नहीं कर रहा है, लेकिन गुजरात के अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड ज़रूर बना दिये गये हैं। यानी हिंदू के लिए अलग वार्ड और मुसलिम के लिए अलग। यह कैसा आदेश है इस पर हॉस्पिटल के निरीक्षक ही कहते हैं कि ये राज्य सरकार के फ़ैसले के अनुसार अलग वार्ड बनाए गए हैं। ऐसा तब है जब न तो देश और न ही दुनिया के किसी देश में धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड को अलग-अलग बनाए जाने की अब तक कोई रिपोर्ट आई है। धर्म के आधार पर भेदभाव की ख़बरों के बीच ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हाल में कहा था कि धर्म के आधार पर इस वायरस के मामलों को नहीं देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात के इस हॉस्पिटल का यह मामला तब आया है जब देश में आरोप लगाए जा रहे हैं कि कोरोना वायरस के नाम पर 'इसलामोफ़ोबिया' का एजेंडा चलाया जा रहा है और मुसलिमों का दानवीकरण किया जा रहा है। पाँच दिन पहले ही दिल्ली के अल्पसंख्यक आयोग ने पत्र लिखकर दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग से कहा था कि कोरोना वायरस पर हर रोज़ जारी किए जाने वाले बुलेटिन में तब्लीग़ी जमात कार्यक्रम का अलग से ज़िक्र करने से गोदी मीडिया और हिंदुत्व ताक़तों को इसलामोफ़ोबिया एजेंडा चलाने का मौक़ा मिल रहा है। बता दें कि तब्लीग़ी जमात के निज़ामुद्दीन के कार्यक्रम में शामिल होने वाले बड़ी संख्या में लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है।
अल्पसंख्यक आयोग ने पत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी हवाला दिया था। इसने लिखा है, "विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के लिए इसे अपूर्व घटना क़रार दिया है। डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन कार्यक्रम के निदेशक माइक रयान ने 6 अप्रैल को कहा था- देशों को धर्म या किसी अन्य मानदंडों के संदर्भ में कोरोना वायरस के मामलों को नहीं देखना चाहिए।"
पिछले हफ़्ते ही जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि मुसलिमों के प्रति 'फ़ेक न्यूज़' को फैलने से रोके और इसके व नफ़रत फैलाने के लिए ज़िम्मेदार मीडिया और लोगों पर सख़्त कार्रवाई करे।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने आरोप लगाया था कि मीडिया का कुछ हिस्सा तब्लीग़ी जमात के दिल्ली में पिछले महीने हुए कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफ़रत फैला रहा है।
ऐसे ही मुसलिमों के प्रति नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट सोशल मीडिया पर भी डाले जाने के आरोप लगते रहे हैं। इसी बीच अहमदाबद में कोरोना वार्ड को हिंदुओं और और मुसलिमों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाने की ख़बर आई है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के मेडिकल सुप्रींटेंडेंट डॉ. गुणवंत एच राठौड़ ने कहा, 'आमतौर पर पुरुष और महिला रोगियों के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं। लेकिन यहाँ हमने हिंदू और मुसलिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए हैं।' इस तरह के अलगाव का कारण पूछे जाने पर डॉ. राठौड़ ने कहा, 'यह सरकार का निर्णय है और आप उनसे पूछ सकते हैं।'
लेकिन जब 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने सरकार से पूछा तो राज्य के उप मुख्यमंत्री और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने ऐसी कोई जानकारी होने से ही इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में वह जाँच करवाएँगे। अहमदाबाद के कलेक्टर ने भी ऐसी किसी जानकारी होने से इनकार किया।
अस्पताल में भर्ती प्रोटोकॉल के अनुसार, संदेहास्पद मरीजों को कोरोना वायरस की जाँच का परिणाम आने तक एक अलग वार्ड में रखा जाता है। कोरोना वायरस के लिए अस्पताल में भर्ती 186 लोगों में से 150 पॉजिटिव हैं। देश भर के कई ऐसे अस्पताल हैं जहाँ पुरुषों और महिलाओं के लिए तो अलग वार्ड बनाए गए हैं, लेकिन इसके अलावा किसी अन्य आधार पर अलग वार्ड बनाए जाने की रिपोर्ट नहीं है।