लोकसभा चुनाव के मौक़े पर कांग्रेस के लिए गुजरात से लगातार ख़राब ख़बरें आ रही हैं। सोमवार को जामनगर (ग्रामीण) से विधायक वल्लभ धारविया ने पार्टी छोड़ दी और विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। एक के बाद 5 विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। इसमें भी चार दिनों में तीन विधायकों ने पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के अब 72 विधायक रह गए हैं। 12 मार्च को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी गुजरात में ही होने जा रही है।
कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ने की शुरुआत पिछले साल जुलाई में हुई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक कुवंरजी बावलिया ने विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। बाद में बीजेपी ने बावलिया को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया था। फ़रवरी 2019 में ऊंझा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक आशा पटेल ने विधानसभा और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था।
बीते शुक्रवार को विधायक जवाहर चावड़ा ने कांग्रेस पार्टी तथा विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था। हैरानी तो तब हुई जब पार्टी छोड़ने के एक दिन बाद ही बीजेपी ने उन्हें राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया।
चावड़ा को गुजरात में ओबीसी समुदाय का प्रभावशाली नेता माना जाता है और वह कई बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। पिछले हफ़्ते ही पार्टी छोड़ने वाले एक और विधायक पुरुषोत्तम साबरिया ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है।
कुछ दिनों पहले ओबीसी नेता और कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर के भी कांग्रेस छोड़ने की अटकलें थीं, लेकिन बाद में उन्होंने खुद साफ़ किया कि वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं।
गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है और कांग्रेस यहाँ पूरी ताक़त लगा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर के बाद माना जा रहा है कि पार्टी और मज़बूत होगी लेकिन विधायकों के लगातार पार्टी छोड़ने के कारण पार्टी को झटका लगा है।
राहुल ने किया था प्रचार
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने पूरे राज्य में जोरदार चुनाव प्रचार किया था। चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए गुजरात की 182 में से 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2017 में वह 99 सीटों पर आकर रुक गई थी।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा था कि वह लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश करेगी, लेकिन विधायकों के पार्टी छोड़ने से उसे चुनाव में नुक़सान उठाना पड़ सकता है। चुनाव के मौक़े पर विधायकों के पार्टी छोड़ने से राज्य में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर असर पड़ना लाज़िमी माना जा रहा है।