गुजरात हादसाः अब तक 132 मौतें, बिना पड़ताल खोला गया पुल
गुजरात के मोरबी शहर में ढह गए 140 साल पुराने केबल पुल को खोलने से पहले म्युनिस्पल अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया गया था। यह बात स्थानीय नगर निकाय प्रमुख ने एनडीटीवी से कही। पुलिस के मुताबिक पुल टूटने से अब तक 132 लोगों लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि अस्सी गंभीर रूप से घायल हैं और करीब 200 लोग लापता हैं। पुलिस ने इस मामले में आपराधिक केस दर्ज किया है। माछू नदी पर बना यह पुल मोरबी शहर को दो हिस्सों में बांटता है।
245 मीटर लंबा पुल ब्रिटिश काल में यूके से आयातित सामग्री से बनाया गया था। इसका उद्घाटन 1879 में मुंबई के गवर्नर सर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राजकोट के सांसद मोहन कुंदरिया के 12 रिश्तेदार पुल गिरने की त्रासदी के पीड़ितों में शामिल थे। इस बीच, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने मीडिया को बताया कि एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और एक रेंज आईजी अधिकारी के तहत जांच शुरू हो गई है।
एनडीटीवी के मुताबिक एक निजी ट्रस्ट ओरेवा को इस पुल की मरम्मत का सरकारी टेंडर मिला था। मरम्मत के लिए सात महीने से पुल बंद था। 26 अक्टूबर को इसे फिर से खोल दिया गया। 26 अक्टूबर को गुजरात का नववर्ष मनाया जाता है। गुजरात के कुछ पत्रकारों का कहना है कि ओरेवा ट्रस्ट सत्तारूढ़ पार्टी के नजदीकी लोगों का है।
मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने एनडीटीवी को बताया कि कंपनी ओरेवा ने पुल खोलने से पहले अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी टेडर था। ओरेवा समूह को पुल खोलने से पहले इसके नवीनीकरण का विवरण देना था और क्वॉलिटी की जांच करानी थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। सरकार को इसके बारे में पता नहीं था।
एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कई लोगों को पुल पर कूदते और दौड़ते हुए देखा गया था। उनकी हरकतों से केबल ब्रिज हिलता नजर आया। लेकिन इस वजह से पुल टूटा, ऐसा दावा नहीं किया जा सकता।
Heavy traffic before crashing machhu hanging bridge many of this people try to damage this bridge. pic.twitter.com/pmfdh5QDGl
— vijay patel (@vijaypatelMorbi) October 30, 2022
अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान पूरी रात चला। सेना की टीमें, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और भारतीय वायु सेना के जवान मौके पर हैं, मलबे के बीच बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं।
विजुअल्स में, पुल टूटने के बाद कुछ लोगों को सुरक्षित तैरते हुए देखा गया। कई लोग पुल के टूटे सिरों पर चिपके हुए देखे गए। आधे डूबे कुछ लोग मदद के लिए चिल्लाने लगे।
This is not an act of God but an act of fraud. - Modi Ji#मोरबी pic.twitter.com/0bVL1kQRLA
— Sanjeev Jha (@Sanjeev_aap) October 30, 2022
एक्ट ऑफ गॉड या एक्ट ऑफ फ्रॉड
इस समय सोशल मीडिया पर लोग पीएम मोदी के उस भाषण को याद कर रहे हैं। जो उन्होंने चुनाव के दौरान अप्रैल 2016 में पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान दिया था। वहां उस समय एक पुल गिर गया था। पीएम मोदी ने कहा था कि यह एक्ट ऑफ गॉड नहीं, बल्कि एक्ट ऑफ फ्रॉड है। दरअसल, टीएमसी नेताओं ने उस घटना को ईश्वरीय हादसा बताया था। लेकिन मोदी ने कहा था कि फ्रॉड यानी भ्रष्टाचार का नतीजा है। लोगों ने सोशल मीडिया पर पूछा है कि पीएम मोदी अब क्या कहेंगे।Reminds me of the Act of God and Act of fraud speech given by the Prime Minister when a bridge in WB collapsed.
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) October 30, 2022
Not sharing the video because of his sheer insensitivity , just as insensitive&careless as this ⬇️⬇️⬇️ https://t.co/YpM5Xfdjpd
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के इस ट्वीट को देखिए। जिसमें उन्होंने पीएम मोदी के बंगाल वाले भाषण को याद करते हुए कटाक्ष किया है। ऐसे और भी असंख्य ट्वीट हैं, जिनमें बीजेपी और आरएसएस के गुजरात मॉडल पर सवाल उठाए गए हैं। चार दशक से गुजरात में बीजेपी की सरकार है और मोरबी जैसे शहर में अभी भी केबल पुल है।