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गुजरातः दूसरे चरण में 58.70% वोटिंग, कहीं खतरे की घंटी तो नहीं 

गुजरातः दूसरे चरण में 58.70% वोटिंग, कहीं खतरे की घंटी तो नहीं 

गुजरात में चुनाव आयोग की तमाम कोशिशों के बावजूद मतदान प्रतिशत बढ़ नहीं आया। क्या कम मतदान राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंटी है। दोनों ही चरण मिलाकर गुजरात अपने 2017 के मतदान प्रतिशत को भी नहीं छू पाया। जानिए पूरा घटनाक्रम आंकड़ों के हवाले से।

गुजरात में दूसरे चरण के मतदान में भी वोट प्रतिशत नहीं बढ़ पाया। चुनाव आयोग के मुताबिक शाम 5 बजे तक दूसरे चरण में 58.70 फीसदी मतदान हुआ। हालांकि अंतिम प्रतिशत देर रात संशोधित होगा लेकिन उसके 60 फीसदी से ऊपर जाने के अनुमान नहीं हैं। पहले चरण में 63.14 फीसदी मतदान हुआ था। दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए तो चुनाव आयोग ने शनिवार को बड़ी मेहनत की थी लेकिन उम्मीद के हिसाब से दूसरे चरण में प्रतिशत नहीं बढ़ा। कम प्रतिशत को क्या खतरे की घंटी माना जाए।

मतदान का कम प्रतिशत शहरी या सेमी अर्बन इलाकों में रहा। इन इलाकों को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस तरह 2022 में मतदान ke प्रतिशत 2017 के बराबर  भी नहीं पहुंच पाया है। इसका एक अर्थ यह निकलता है कि शहरी मतदाता इस बार भी वोट डालने कम तादाद में गया, तो क्या उसे राजनीतिक दलों से नाराज माना जाए। ऐसे में लोगों की पहली नाराजगी तो सत्तारूढ़ दल यानी बीजेपी से ही होती है लेकिन 8 दिसंबर को सही तस्वीर सामने आएगी कि इस बार शहरी इलाकों ने बीजेपी का कितना साथ दिया। 

2012 और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से अगर तुलना की जाए तो 2012 में बीजेपी को शहरी क्षेत्रों से ज्यादा बढ़त मिली थी लेकिन 2017 में उसे शहरी क्षेत्रों में 2012 के मुकाबले बढ़त नहीं मिल पाई। जबकि कांग्रेस ग्रामीण इलाके में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है। 2012 में सबसे ज्यादा 71.32 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 68.41 फीसदी मतदान हुआ था। 

गुजरात 182 विधानसभा सीटों में से 98 सीटें ग्रामीण और 84 सीटें शहरी मानी जाती हैं। 2017 में बीजेपी ने शहरी इलाकों में 63 सीटें जीती थीं, जबकि ग्रामीण इलाकों में उसे 36 सीटें ही मिल सकी थीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में जो पहले चरण में मतदान हुआ, उसमें आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी इलाकों वाले मतदाता 15 फीसदी कम वोट डालने आए। पहले चरण में 89 सीटों के लिए वोट डाले गए थे।

सौराष्ट्र क्षेत्र में 2017 में कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ दिया था। जहां लगभग 75% सीटें ग्रामीण इलाकों में आती हैं। 2012 में बीजेपी ने इस क्षेत्र की 54 में से 35 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2017 के चुनाव में यह घटकर 23 रह गई थी। 2017 के परिवर्तन ने बताया था कि बीजेपी को ग्रामीण इलाकों में बड़ा झटका लगा था।

उत्तर गुजरात की नब्बे फीसदी सीटें ग्रामीण हैं। दक्षिण गुजरात में यह आंकड़ा महज 50% है। सौराष्ट्र और मध्य गुजरात के लिए, ग्रामीण सीटों का हिस्सा 75% और 63% है। उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र के ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस बीजेपी से आगे रही थी।

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