टपकती संसद का क्या है गुजरात कनेक्शन
इस नई संसद से अच्छी तो वो पुरानी संसद थी, जहाँ पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे। क्यों न फिर से पुरानी संसद चलें, कम-से-कम तब तक के लिए, जब तक अरबों रुपयों से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 1, 2024
जनता पूछ रही है कि भाजपा सरकार में बनी हर नई छत से पानी टपकना, उनकी… pic.twitter.com/PpJ36k6RJm
दिल्ली में भारी बारिश के कारण कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने संसद की लॉबी में पानी लीक होने के वीडियो पोस्ट किए जाने के बाद भाजपा शासित केंद्र सरकार खुद को मुश्किल में पा रही है। कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने जहां लोकसभा में इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया, वहीं अखिलेश यादव ने नई संसद के निर्माण पर अरबों खर्च करने के लिए भाजपा पर तंज कसा और कार्यवाही को पुराने भवन में ले जाने की मांग की।
नए संसद भवन, सरकार की महत्वाकांक्षी 20,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है। जिसका उद्घाटन 28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति को बुलाया ही नहीं गया। इससे पहले मोदी ने जब खुद शिलान्यास किया था तो उस समय भी राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया था। अब बारिश से जो नजारा सामने आया है, उसने विपक्ष को ही नहीं, जनता को भी सोशल मीडिया पर बोलने पर मजबूर किया है।
कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा, "बाहर पेपर लीक, अंदर वॉटर लीक। संसद लॉबी में हाल ही में पानी का रिसाव नई इमारत के पूरा होने के ठीक एक साल बाद हो रहा है।" अखिलेश यादव ने लीकेज का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है- इस नई संसद से अच्छी तो वो पुरानी संसद थी, जहाँ पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे। क्यों न फिर से पुरानी संसद चलें, कम-से-कम तब तक के लिए, जब तक अरबों रुपयों से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है। जनता पूछ रही है कि भाजपा सरकार में बनी हर नई छत से पानी टपकना, उनकी सोच-समझकर बनायी गयी डिज़ाइन का हिस्सा होता है या फिर…।
टीएमसी राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने कहा- मोदी की प्रगति मैदान सुरंग, सेंट्रल विस्टा परियोजनाओं ने दिल्ली की हाइड्रोग्राफी और जल निकास के साथ खिलवाड़ किया है। दिल्ली में नई संसद भी लीक हो रही है! जवाहर ने इस मसले को राज्यसभा में भी उठाया।
Modi’s Pragati Maidan Tunnel, Central Vista projects have played havoc with Delhi’s hydrography & water exits.
— Jawhar Sircar (@jawharsircar) August 1, 2024
Condemned Delhi to constant water-logging!
Even new Parliament is leaking!
Here’s short video of my intervention in Rajya Sabha on why Modi.https://t.co/U93XRdAXmf pic.twitter.com/0NEeiFRBzY
नए संसद भवन का गुजरात कनेक्शन
लोग पूछ रहे हैं कि नए संसद भवन का निर्माण किसने कराया, इसका गुजरात से क्या संबंध है। इसका जवाब हां में मिलता है कि नए संसद भवन का निर्माण गुजरात की कंपनी ने कराया था। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस निर्माण के पीछे बिमल हसमुख पटेल की अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिज़ाइन कंपनी है। जिन्हें विपक्ष मोदी का आर्किटेक्ट कहा जाता है। गुजरात और खासकर अहमदाबाद में कई बड़े प्रोजेक्ट की डिजाइन बिमल पटेल की कंपनी एचसीपी ने ही की है। मोदी ने बिमल पटेल से वाराणसी में विश्वनाथ धाम अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट का काम लिया। इससे पहले वो भुज रीडेवलपमेंट पर भी काम कर चुके थे।
अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा का इंटरनेशनल टेंडर जारी किया था। लेकिन टेंडर पास हुआ पटेल की कंपनी एचसीपी डिज़ाइन्स का। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उस समय आधिकारिक तौर पर बताया था कि पटेल की फर्म को परामर्श सेवाओं के लिए 229.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा, परियोजना का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसमें डिजाइन, लागत अनुमान, परिदृश्य और यातायात एकीकरण योजनाएं और पार्किंग सुविधाएं शामिल होंगी। तब विपक्ष ने इसकी बहुत आलोचना की थी। लोगों ने कहा था- “वह (बिमल पटेल) गुजरात के कुछ वास्तुकार हैं जो मोदी को जानते हैं। वह दिल्ली या इसके इतिहास के बारे में क्या जानते हैं?”
बिमल पटेल और मोदी का एक लंबा इतिहास है। दरअसल, बिमल पटेल ही मोदी के सपनों के सूत्रधार और बड़ी परियोजनाओं के लिए उनके पास जाने वाले व्यक्ति हैं। 2005 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब बिमल पटेल को साबरमती रिवरफ्रंट परियोजना की जिम्मेदारी दी गई थी। जो बाद के वर्षों में फोटो सेशन के लिए मोदी की पसंद बन गई। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रात्रिभोज या महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न भी वहीं मनाया गया। इसे 2014 में मोदी के पहले चुनाव अभियान में भी दिखाया गया था।
2014 में मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद, बिमल पटेल को एक बार फिर मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। इस परियोजना का उद्देश्य 2021 तक प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक को गंगा के तीन मुख्य घाटों, लगभग 320 मीटर की दूरी से जोड़ना था। यह काम हुआ लेकिन अयोध्या की तरह पूरा बनारस उजड़ गया। लोगों के सदियों पुराने घर और कई प्राचीन मंदिर इस कॉरिडोर के लिए गिरा दिए गए। वाराणसी के लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। हालांकि मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव वाराणसी से जीत गए, लेकिन उनकी जीत का अंतर कुल डेढ़ लाख वोट रह गया। जबकि उनके 10 लाख वोटों से जीतने का दावा किया जा रहा था। अयोध्या में बनारस जैसी तबाही हुई। वहां की फैजाबाद लोकसभा सीट भाजपा हार गई। वहां से सपा के अवधेश प्रसाद जीते जो दलित हैं। फैजाबाद यानी अयोध्या की हार ने यूपी की राजनीति को इस समय बदल दिया है।
जब बनारस के विरासत और इतिहास को नष्ट करने को लेकर आलोचना हुई तो बिमल पटेल इससे प्रभावित नहीं हुए। एक इंटरव्यू में बिमल पटेल ने फरमायाः ''हमें विरासत और परंपरा का सम्मान करना चाहिए, लेकिन खुद को उनका बंधक नहीं बनने देना चाहिए। रिसर्च से पता चलता है कि बनारस एक प्राचीन शहर है जिसका लगातार कई पीढ़ियों द्वारा कई अलग-अलग तरीकों से निर्माण किया गया है। लेकिन जो महत्वपूर्ण है ऐसा करने का साहस रखना जो आवश्यक है।”