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खारकीव में ग्राउंड ज़ीरो की हकीकत, कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आती

खारकीव में ग्राउंड ज़ीरो की हकीकत, कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आती

यूक्रेन के खारकीव शहर में छात्र तमाम मुसीबतों से घिरे हुए हैं, जबकि रूस का हमला उस शहर में बढ़ता जा रहा है। भारत सरकार के दावों के विपरीत वहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है।

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यूक्रेन के बड़े शहर खारकीव में हालात बदतर हैं, कमोबेश यही हाल कीव का है। खारकीव से वीडियो आ रहे हैं, जिससे हालात का अंदाजा होता है। तमाम वीडियो इंस्टाग्राम पर डाले जा रहे हैं। इन वीडियो को देखकर लगता है कि भारत सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद खारकीव या कीव में नहीं पहुंची है। 

अमृतसर के डॉ  के.पी. एस. संधू खारकीव में फंसे कुछ छात्रों के साथ पैदल ही मेट्रो स्टेशन जा रहे हैं। उनके गले से ठीक से आवाज तक नहीं निकल पा रही है। इसमें वो बाकी छात्रों के लिए संदेश दे रहे हैं और छात्रों के पैरंट्स से प्रार्थना करने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा  कि कोई मदद नहीं मिली। उनके साथ चल रहे स्टूडेंट्स का साफ कहना है कि एम्बेसी की कोई मदद खारकीव नहीं मिली। अभी भी कीव और खारकीव में हजारों छात्र फंसे हैं। डॉ संधु वो शख्स हैं, जिनके बारे में छात्रों ने बताया कि उन्होंने तमाम छात्र-छात्राओं तक खाना पहुंचाया।  

दरअसल, डॉ संधु का अमृतसर में अस्पताल है और इसके अलावा उनकी एक एजेंसी एडुपीडिया ओवरसीज भी यूक्रेन और तमाम देशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को यूक्रेन भेजती है। उन्होंने जिन छात्रों को यूक्रेन में भेजा था, उन्हें वापस लाने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए वे यूक्रेन गए हुए हैं, ताकि वहां से सभी छात्रों को लाया जा सके। डॉ संधु के बारे में पंजाब के छात्र राजकरण सिंह सत्य हिन्दी को पहले ही बता चुके थे। 

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इंस्टाग्राम पोस्ट में कार्तिक बावा ने खारकीव हालात बयान किए हैं। बंकरों में रह रहे इन छात्रों का साफ कहना है कि यहां पर हमारे लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है। जो लोग कह रहे हैं कि यहां बसें लगाई गई हैं, वो सरासर गलत है। छात्रों ने खारकीव के हालात भयावह बताए हैं।

बहरहाल, विदेश मंत्री ने आज जिन एक हजार से ज्यादा भारतीय छात्रों को भारत लाने का दावा किया है, उनमें वही खुशकिस्मत छात्र हैं जो यूक्रेन-हंगरी-पोलैंड-रोमानिया-माल्डोव बॉर्डर पर हैं, या आसपास के इलाकों से हैं या फिर किसी तरह पैदल या लिफ्ट लेकर बॉर्डर तक पहुंच गए हैं।कल कर्नाटक के छात्र नवीन शेखरप्पा की खारकीव में मौत के बाद सारे छात्र सहमे हुए हैं। सोशल मीडिया को देखने से पता चलता है कि अभी भी ढेरों छात्रों को मदद नहीं मिल पा रही है।कुछ के पास तो खाने-पीने का सामान तक खत्म हो गया है।  

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बहरहाल, भारत में लौट रहे छात्रों के साथ केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के फोटो खिंचवाने का सिलसिला जारी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी इसमें पीछे नहीं रहीं। आज जो प्लेन भारतीय छात्रों के लेकर आया है, स्मृति भी अन्य मंत्रियों की तरह प्लेन रुकते ही उसके अंदर जा पहुंचीं और उनका स्वागत करने लगीं। उन्होंने छात्रों को बताया कि किन हालात में उन्हें यहां तक मोदी सरकार ने पहुंचाया है और आगे उन्हें अपने घर तक भेजने की व्यवस्था की गई है।

 जिन छात्रों की सबसे पहली फ्लाइट मुंबई में उतरी थी, उसका स्वागत करने मंत्री पीयूष गोयल गए थे। उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रह्लाद जोशी, जितेन्द्र सिंह वगैरह ने स्वागत किया। आज स्मृति ईरानी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री मोदी भी अपने भाषणों में छात्रों को लाने का जोरशोर से प्रचार किया है। सरकार चाहती है कि मीडिया सिर्फ उन पर बात करे जिन छात्रों को लाया जा रहा है। उनके पॉजिटिव पक्ष को दिखाए। हालांकि कुछ स्टूडेंट्स ने तो प्रमुख टीवी चैनलों पर सामने आकर सरकार की बखिया उधेड़ दी है।

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