यौन उत्पीड़न के आरोपी गवर्नर का स्टाफ को निर्देश- बंगाल पुलिस का कोई निर्देश न मानें
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने रविवार को एक्स पर एक लंबा चौड़ा बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने राजभवन के सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया कि वे उन पर लगे छेड़छाड़ के आरोपों के संबंध में कोलकाता पुलिस का कोई भी आदेश न माने। एक महिला कर्मचारी ने राज्यपाल आनंद बोस के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की है। पश्चिम बंगाल राज्यपाल कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। राज्यपाल बोस इसी प्रोटोकॉल का फायदा उठा रहे हैं।
— Raj Bhavan Kolkata (@BengalGovernor) May 5, 2024
राज्यपाल ने ्अपने निर्देश में लिखा है- "यह साफ है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के मद्देनजर, राज्य पुलिस माननीय राज्यपाल के खिलाफ किसी भी तरह की पूछताछ/जांच/किसी भी तरह की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती है।'' राज्यपाल ने कहा, ''उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से गिरफ्तारी या मुकदमे की कोई प्रक्रिया जारी नहीं की जा सकती।''
राज्यपाल आनंद बोस ने लिखा है- “इन हालात में, अंशकालिक, अस्थायी, डीआरडब्ल्यू (दिहाड़ी कर्मचारी) या किसी भी तरह से राजभवन में लगे लोगों सहित सभी कर्मचारियों को इस संबंध में पुलिस से किसी भी निर्देश या कम्युनिकेशन को नजरअंदाज करने का निर्देश दिया जाता है। यह कम्युनिकेशन चाहे ऑनलाइन, ऑफलाइन, व्यक्तिगत रूप से, फोन पर या किसी अन्य तरीके से आए, उस पर कोई बयान आदि न दें…।”
एक सरकारी महिला कर्मचारी ने राज्यपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। शिकायत पुलिस के पास आई तो उसने एक जांच दल गठित किया। पुलिस जांच टीम ने इससे पहले अपनी जांच के सिलसिले में राजभवन के तीन अधिकारियों और राज्यपाल के घर पर तैनात एक पुलिसकर्मी को तलब किया है। राज्यपाल ने आरोपों का खंडन करते हुए अब प्रोटोकॉल की आड़ ले ली है।
कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि "राजभवन का कोई भी अधिकारी पूछताछ के लिए पेश नहीं हुआ। सिर्फ वहां तैनात पुलिसकर्मी ही आए। हम राजभवन के अधिकारियों को सोमवार 6 मई को फिर से हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन आने का अनुरोध करेंगे। फिलहाल पूछताछ की कोई योजना नहीं है। हम लोग जानकारी जुटा रहे हैं।”
राजभवन की महिला कर्मचारी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। यह महिला राजभवन में कॉन्ट्रैक्ट पर है। राज्यपाल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि "सच्चाई की जीत होगी," और वह "ऐसे प्रायोजित हमलों से डरेंगे नहीं।"
राज्यपाल आनंद बोस कई वजहों से विवादों के घेरे में हैं। बंगाल की टीएमसी सरकार ने उन्हें केंद्र और भाजपा का एजेंट कई बार बताया है। संदेशखाली और अन्य कई मामलों में राज्यपाल का रुख केंद्र सरकार और भाजपा के अनुकूल रहा है। उनके खिलाफ टीएमसी सरकार सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी है। इससे पहले जगदीप धनखड़ जब राज्यपाल थे, तब भी ममता बनर्जी सरकार और धनखड़ के बीच लंबी रस्साकशी चली। धनखड़ अपने बयानों की वजह से चर्चा में आ गए थे। बाद में उन्हें केंद्र ने उपराष्ट्रपति नामित किया। टीएमसी ने आरोप लगाया कि धनखड़ को केंद्र ने ममता सरकार को परेशान करने का फल दिया है। धनखड़ के बाद आनंद बोस आए। आनंद बोस का भी ममता सरकार को लेकर पुराने राज्यपाल जैसा ही रुख रहा।
यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद राज्यपाल आनंद बोस ने किसी नेता की तरह बयान दिया था। राज्यपाल ने कहा था- "मैंने कई तूफानों का सामना किया है। मैं उस राजनीतिक दल से कहता हूं जो मेरे खिलाफ साजिश रच रहा है। यह कोई तूफान नहीं है। यह केवल चाय के प्याले में आया तूफान है। अगर आपको एहसास हो कि मैं तूफान हूं तो आश्चर्यचकित न हों। अपने सभी हथियार निकाल लो। अपनी आर्मरी (शस्त्रागार) का इस्तेमाल मेरे खिलाफ करो। मैं तैयार हूं। मैं बंगाल के अपने भाइयों और बहनों के सम्मान के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।" राज्यपाल का बयान एक अनुभवी नेता की तरह लगता है, जिसकी अपने भविष्य और मंजिल पर नजर है।