कोविशील्ड की खुराक 12-16 हफ़्ते में लेने की सिफारिश अब क्यों?
कोविशील्ड वैक्सीन की जो खुराकें शुरुआत में 4 हफ़्ते के अंतराल में लगाई जा रही थीं उसको 12-16 हफ़्ते बढ़ाने की सरकारी पैनल ने सिफ़ारिश की है। पीटीआई न्यूज़ एजेंसी ने यह ख़बर दी है। ऐसे समय में जब देश में कोरोना टीके की ज़बर्दस्त माँग है और वैक्सीन की कमी के कारण कई टीकाकरण केंद्रों के बंद होने की ख़बरें आ रही हैं, कोविशील्ड की खुराक लेने के अंतराल में बढ़ोतरी से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
ये सवाल किस बात को लेकर उठ रहे हैं और क्यों उठ रहे हैं, इसको जानने से पहले यह जान लें कि सरकारी पैनल ने क्या कहा है। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने कोविशील्ड की खुराक के अंतराल बढ़ाने की सिफारिश के साथ ही यह भी कहा है कि गर्भवती महिलाएँ अपना टीका चुन सकती हैं और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ प्रसव के बाद इसके लिए पात्र होंगी। इन सिफारिशों को लागू करने से पहले NEGVA यानी टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
क़रीब दो महीने में यह दूसरी बार है जब कोविशील्ड की खुराक के अंतराल को बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है। शुरुआत में यह अंतराल 4 हफ़्ते यानी 28 दिन का था। मार्च के दूसरे पखवाड़े में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 28 दिनों के अंतराल को बढ़ाकर छह-आठ सप्ताह किया गया था। और अब मई के मध्य में इस अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ़्ते करने की सिफ़ारिश की गई है। इसी पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर पूछा है, 'सरकारी पैनल की कोविशिल्ड खुराकों के बीच 12-16 सप्ताह की घोषणा तब आई है जब यूके ने दिसम्बर में और डब्ल्यूएचओ ने फ़रवरी में इसकी खुराक के बीच 8-12 सप्ताह के अंतराल की बात कही थी। भारत सरकार ने पहले 4 सप्ताह, फिर 6-8 सप्ताह का निर्णय लिया था। क्या भारत सरकार अपनी 12-16 सप्ताह की सिफारिश के पीछे के विज्ञान को जनता को समझा सकती है?'
Govt panel's announcement of 12-16 weeks between Covishield shots follows the UK recommending 8-12 weeks in Dec & @WHO saying 8-12 weeks in Feb. GOI had first decreed 4 weeks, then 6-8 weeks. Could GOI pls explain to the public the science behind their 12-16 weeks recommendation? pic.twitter.com/xLVryQWKK1
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 13, 2021
इसी तरह का सवाल कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी उठाया। उन्होंने पूछा, 'शुरुआत में दूसरी खुराक के लिए 4 सप्ताह का अंतराल था, फिर 6-8 सप्ताह और अब हमें 12-16 सप्ताह बताया गया है। क्या यह इसलिए है क्योंकि उन सभी के लिए पर्याप्त स्टॉक नहीं हैं जो इसके योग्य हैं या फिर पेशेवर वैज्ञानिक सलाह ऐसा कहती है? क्या हम मोदी सरकार से कुछ पारदर्शिता की उम्मीद कर सकते हैं?'
First, it was 4 weeks for the 2nd dose, then 6-8 weeks and now we are told 12-16 weeks. Is this because there are not enough stocks of the vaccines for all who are eligible or because professional scientific advice says so? Can we expect some transparency from the Modi Govt? pic.twitter.com/DJy31KEA0a
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 13, 2021
हालाँकि, सरकार की सिफ़ारिश आने के बाद वैक्सीन की कमी का मामला उठाने वाले राज्यों में से एक बीजेपी शासित कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डॉ. सीएन अश्वत्तनारायण ने ट्वीट किया, 'अंतराल को बढ़ाने से सरकार को टीकाकरण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद मिलेगी।'
उन्होंने दावा किया, 'कई देश इस नियम का पालन करते हैं। कनाडा में अंतराल तीन-चार महीने है। इस बीच हम आपूर्ति बढ़ाने और स्थानीय उत्पादन विकल्पों का पता लगाने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।'
Many countries are following this practice. In Canada, for example, the gap is 3-4 months.
— Dr. Ashwathnarayan C. N. (@drashwathcn) May 13, 2021
In the meantime, we are also making all efforts to increase #vaccine supply and explore local production options.https://t.co/7QDUY3zYdO
मार्च महीने में जब पिछली बार खुराक के अंतराल को बढ़ाया गया था तब भी सवाल उठे थे। तब सरकार ने जो बदलाव किया था उसके लिए तर्क भी रखा था। राज्यों को भेजे गए पत्र में केंद्र सरकार ने कहा था, 'उभरते वैज्ञानिक साक्ष्यों के मद्देनज़र, कोरोना के टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) और टीकाकरण अभियान के लिए गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह द्वारा कोविशिल्ड की दो खुराकों के बीच के अंतराल में बदला किया गया है।' केंद्र सरकार के पत्र में कहा गया है कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक को छह और आठ सप्ताह के बीच देने पर सुरक्षा बढ़ी हुई लगती है।
बता दें कि विज्ञान की पत्रिका लांसेट में 19 फ़रवरी को प्रकाशित रिपोर्ट में पाया गया कि 6 हफ़्ते के अंतराल से पहले कोविशील्ड की दो खुराक लगाने से वह वैक्सीन 55.1 फ़ीसदी ही प्रभावी थी जबकि उन खुराकों के बीच 12 हफ्तों का अंतराल था तो 81.3 फ़ीसदी प्रभावी थी। विश्लेषण में यह निष्कर्ष निकाला गया कि अंतराल बढ़ने से वैक्सीन की इम्युनोजेनेसिटी भी बढ़ती है। यह विश्लेषण सामने आने से पहले ही ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन की दोनों खुराक को 3 महीने के अंतराल पर लगवाया जा रहा था।
इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का सुझाव भी आया था। फ़रवरी में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने डब्ल्यूएचओ की उस सिफारिश की समीक्षा करने के लिए बैठक की थी कि टीके की दो खुराक के बीच के अंतराल को चार सप्ताह से 8-12 सप्ताह तक बढ़ाया जाए या नहीं। बाद में इसने इतने अंतराल को ही बेहतर माना था। हालाँकि स्पेन ने एस्ट्राज़ेनेका की दूसरी खुराक को 16 सप्ताह के अंतराल में लगाने की मंजूरी दी है। एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीके का ही उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है और इस टीके का नाम कोविशील्ड दिया गया है।
जब पहली बार अंतराल को बढ़ाया गया था तब यही सवाल उठाया गया था कि जब शोध बताते हैं कि 12 हफ़्ते का अंतराल होना चाहिए तो सरकार 4 हफ़्ते के अंतराल में टीके क्यों लगवा रही थी और क्या सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया?
तो भारत में कोविशील्ड को 28 दिन के अंतराल में लगाने के लिए क्यों चुना गया था? इस सवाल का जवाब कर्नाटक की कोविड तकनीकी सलाहकार समिति के अध्यक्ष एम के सुदर्शन ने दिया था। 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' से उन्होंने कहा था, 'इतनी बड़ी आबादी के लिए पहली खुराक से तीन महीने (12-सप्ताह) के अंतराल पर लोगों को टीका लगाना मुश्किल होगा। कई कारणों से लोग टीका लगवाने नहीं आ सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'हमने पहले किए गए ऐसे ही अध्ययनों पर बहस करने के बाद दो खुराक के बीच चार सप्ताह के अंतराल पर फ़ैसला किया।'