शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिये तैयार है सरकार: रविशंकर प्रसाद
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे धरने को लेकर मोदी सरकार की ओर से पहली बार बड़ा बयान आया है। सरकार ने कहा है कि वह प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिये तैयार है। शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें इतना लंबा समय धरने पर बैठे हुए हो गया है कि लेकिन सरकार के किसी नुमाइंदे ने उनसे बातचीत करने की ज़रूरत तक नहीं समझी।
केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी के एक कार्यक्रम में शोएब जमई ने सवाल पूछा कि वे लोग 40 दिन से ज़्यादा दिन से धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनसे बातचीत करने के लिये नहीं आया। प्रसाद ने इसके जवाब में कहा, ‘आप लोग विरोध कर रहे हैं तो अच्छी बात है, लेकिन आपकी जमात के बाक़ी लोगों का हम जो स्वर सुनते हैं टीवी पर कि जब तक सीएए वापस नहीं करोगे तो कोई बातचीत नहीं होगी। लेकिन अगर वे चाहते हैं कि सरकार का कोई नुमाइंदा बातचीत करे तो वहां से स्ट्रक्चर्ड रिक्वेस्ट आनी चाहिए कि हम सब लोग तैयार हैं। कोई अगर इनसे बात करने गया और उससे बदसलूकी की गई तो…।’ प्रसाद ने आगे कहा कि अगर आप यह कहेंगे कि वहीं आकर बातचीत करिये तो वहां से कैसे बातचीत होगी।
रविशंकर प्रसाद ने इस कार्यक्रम का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि मोदी सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने और नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उनकी जो भी शंकाएं हैं, उन्हें दूर करने के लिये तैयार है।
Government is ready to talk to protestors of Shaheen Bagh but then it should be in a structured form and the @narendramodi govt is ready to communicate with them and clear all their doubts they have against CAA. pic.twitter.com/UjGikFN8tY
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) February 1, 2020
शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून को वापस ले लेकिन सरकार इससे साफ़ इनकार कर चुकी है। ऐसे में सरकार अगर बातचीत के लिये तैयार है और प्रदर्शनकारी भी राजी हो जाते हैं तो माना यह जाना चाहिए कि सुलह का कोई रास्ता निकल सकता है। क्योंकि सरकार ने अगर बातचीत के लिए क़दम आगे बढ़ाया है और प्रदर्शनकारी भी बातचीत के लिये क़दम आगे बढ़ाते हैं तो इस मसले का समाधान हो सकता है। दिल्ली में शाहीन बाग़ की ही तर्ज पर 13 और जगहों पर धरने चल रहे हैं।