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सरकार ने एक देश एक चुनाव के लिए बनाई 8 सदस्यीय समिति 

सरकार ने एक देश एक चुनाव के लिए बनाई 8 सदस्यीय समिति 

इस समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह,लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी समेत कुल 8 सदस्य होंगे।

एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार ने शनिवार 2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बना दी है। इस समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह,लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी समेत कुल 8 सदस्य होंगे। 

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति की बैठकों में विशेष सदस्य के तौर पर शामिल होंगे। यह समिति मौजूदा कानूनी ढ़ांचे को ध्यान में रख कर देश में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने की व्यवहार्यता को लेकर जांच करेगी। समिति इस बात पर विचार करेगी कि क्या देश में एक साथ ये सभी चुनाव कराये जा सकते हैं। 

केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ऐसे में संभावना जताई  जा रही है कि सरकार एक देश, एक चुनाव पर विधेयक ला सकती है।  देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने को लेकर भाजपा पूर्व में वादे करती आयी है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इसको लेकर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। 

कई राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि अगर देश में एक साथ लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो वर्तमान राजनीति को देखते हुए इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। आगामी चार राज्यों के चुनाव में राज्य के मुद्दें अगर हावी रहते हैं तो भाजपा की उन राज्यों में स्थिति खराब हो सकती है। 

वहीं अगर राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़े जाए तो पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव केंद्रित हो सकता है और इससे भाजपा के लिए जीत की राह आसान होगी। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व यह सोच रहा है कि  आने वाले दिनों में अगर लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव साथ-साथ होते हैं तो राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर भाजपा की लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव में बड़ी जीत हो सकती है। 

दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं का मानना है कि अचानक से संसद का विशेष सत्र बुलाना और एक देश एक चुनाव के लिए समिति बनाने का फैसला बताता है कि भाजपा इंडिया गठबंधन से डर गई है। गठबंधन को एकजुट होने या रणनीति बनाने का मौका नहीं मिले इसलिए भाजपा इस तरह की घोषणाएं कर रही है। विपक्षी नेता लगातार बयान भी दे रहे हैं कि सरकार समय से पहले भी चुनाव करवा सकती है। 

अभी सिर्फ समिति का गठन हुआ है 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि एक बार समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी तो इस पर सार्वजनिक डोमेन और संसद में चर्चा की जाएगी।जोशी ने एक ट्वीट में कहा था, कि भारत लोकतंत्र की जननी है और हमारा लोकतंत्र एक परिपक्व लोकतंत्र है। देशहित से जुड़े विषयों पर चर्चा की एक लंबी और समृद्ध परंपरा रही है। अभी केवल 'एक देश, एक चुनाव' विषय पर चर्चा करने और लोगों की राय जानने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। संसद के आगामी विशेष सत्र का एजेंडा जल्द ही देश के साथ साझा किया जाएगा। 

अचानक सरकार को इसकी क्यों जरूरत पड़ गई

एक देश और एक चुनाव को लेकर राजनैतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। विभिन्न राजनेता इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया दे चुके हैं। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अचानक से सरकार को इसकी जरूरत क्यों पड़ गई। शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने एक बयान में कहा कि भाजपा इंडिया गठबंधन से डरी हुई है। एक देश एक चुनाव के मामले को मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए लाया जा रहा है। 

वहीं समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने अचानक से संसद के विशेष सत्र को बुलाए जाने को लेकर कहा है कि केंद्र सरकार संसदीय व्यवस्था की सभी मान्यताओं को तोड़ रही है। अगर विशेष सत्र बुलाना ही था तो केंद्र सरकार को सभी विपक्षी दलों से कम से कम अनौपचारिक बात तो करनी चाहिए थी। अब किसी को नहीं पता नहीं है कि एजेंडा क्या है लेकिन सत्र बुला लिया गया है। 

इसलिए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की बात सामने आयी

वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एएनआई से बात करते हुए कहा है कि हर वर्ष देश में कहीं न कहीं चुनाव होता है। इससे विकास में बाधा आती है, अधिक खर्च भी होता है। इसी के चलते 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की बात सामने आई होगी। कमेटी बनी है वो अध्ययन करेगी और रिपोर्ट जमा करेगी। ये अच्छी बात है। इसे कोई व्यंग्य के तौर पर लेता है तो इसका मतलब उनकी सोच ठीक नहीं है। एनडीए का हिस्सा लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास गुट) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा है कि'हमारी पार्टी एक देश एक चुनाव का समर्थन करती है। इसे लागू करना चाहिए। 

दूसरी ओर कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है व्यक्तिगत तौर पर मैं एक देश एक चुनाव का स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा है कि यह नया नहीं, पुराना आइडिया है। 

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