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सरकारी एजेंसी का दावा सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर गिरकर 6.4% हुई

सरकारी एजेंसी का दावा सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर गिरकर 6.4% हुई

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण सर्वेक्षण (एनएसएसओ) का दावा है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर गिरी है। लेकिन यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि देश के लगभग सभी राज्यों में बेरोजगारी चरम पर है। यूपी-बिहार के बेरोजगार तो आंदोलन तक चला रहे हैं।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण सर्वेक्षण (एनएसएसओ) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरकर 6.4 प्रतिशत हो गई। बेरोजगारी या बेरोजगारी दर को लेबर फोर्स में बेरोजगार लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है। वित्त वर्ष (FY) 24 की सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर 6.6 फीसदी थी।

बेरोजगारी दर में 0.02 फीसदी की कमी कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं है। हालांकि केंद्र सरकार की एजेंसी गिरावट का दावा कर रही है। लेकिन दरअसल आंकड़ा यह बताता है कि बेरोजगारी दर स्थिर है। वो न तो बढ़ी है और न ही उल्लेखनीय गिरावट के साथ नीचे आई है। 0.02 फीसदी की गिरावट कोई मायने नहीं रखती है।


आंकड़े बता रहे हैं कि कृषि में श्रमिकों के वितरण में मामूली वृद्धि हुई है और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में पिछले वर्षों की तुलना में नौकरियां देने में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है।

इस साल जनवरी-मार्च के दौरान बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में गिरावट की यह लगातार दूसरी तिमाही है। लिंग आधारित विभाजन से पता चला कि महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर भी जुलाई-सितंबर में 8.4 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर थी। हालाँकि, यह लगातार पांचवीं तिमाही है जब महिला बेरोजगारी दर 8 प्रतिशत से ऊपर रही। पुरुषों के लिए, बेरोजगारी दर जुलाई-सितंबर में कम होकर 5.7 प्रतिशत हो गई, जो एक तिमाही पहले 5.8 प्रतिशत और एक साल पहले 6 प्रतिशत थी।

शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में लेबर फोर्स भागीदारी दर जुलाई-सितंबर में बढ़कर 50.4 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 49.3 प्रतिशत थी। अप्रैल-जून 2024 में यह दर 50.1 फीसदी थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने मौजूदा आंकड़े पर कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा आर्थिक गतिविधियों और नियुक्तियों में तेजी का संकेत मिलता है।

लेबर फोर्स से मतलब जनसंख्या के उस हिस्से से है, जो वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए श्रम की आपूर्ति करता है या आपूर्ति करने की पेशकश करता है और इसलिए, इसमें नियोजित और बेरोजगार दोनों व्यक्ति शामिल हैं।

इससे पहले श्रम ब्यूरो ने 23 सितंबर, 2024 को जो जुलाई 2023 और जून 2024 के बीच की अवधि के लिए जो लेबर फोर्स सर्वे जारी किया था, उसमें भी बेरोजगारी दर में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। खेती और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में श्रमिकों को पिछले वर्षों की तुलना में नौकरियां देने में कोई वृद्धि नहीं हुई है। बढ़ती बेरोजगारी दर और नौकरियों में महिलाओं की संख्या में कमी को लेकर केंद्र को आलोचना का सामना लगातार करना पड़ रहा है।

बेरोजगारी की असलियत

सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी) के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर मई 2024 में 7 प्रतिशत से बढ़कर जून 2024 में 9.2 प्रतिशत हो गई। शहरी भारत के साथ-साथ ग्रामीण भारत में भी बेरोजगारी दर बढ़ी। ग्रामीण बेरोजगारी दर मई के 6.3 प्रतिशत से बढ़कर जून में 9.3 प्रतिशत हो गई। शहरी बेरोजगारी दर 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 8.9 प्रतिशत हो गई।

श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में वृद्धि और रोजगार दर में गिरावट के साथ जून में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई। भारत में एलपीआर जून में बढ़कर 41.4 प्रतिशत हो गया, जो पिछले महीने में 40.8 प्रतिशत था। रोजगार दर, जो कामकाजी उम्र की आबादी में नियोजित व्यक्तियों का अनुपात है, जून 2024 में 38 प्रतिशत से गिरकर 37.6 प्रतिशत हो गई।

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